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देश का नेता कैसा .... जैसा हो ?, ये शायद हर आदमी अपने किसी न किसी नेता के लिए जरूर बोलता है, चाहे वो किसी भी पार्टी का हो. लेकिन क्या वो जैसा बोलता है उसे वैसा ही नेता मिलता है. ये शायद कोई सोचता ही नहीं या सोचना नहीं चाहता ?? क्युकी नेता चुनाव जीत चुका होता है उसे जनता से कोई मतलब नहीं रह जाता और जनता अपने बीबी बच्चो, माँ बाप, और दिन की कमाई में उलझ जाती है.
मे तो थोड़ा सा कन्फ्यूज़ हु की नेताहोता क्या है , नेता होना कैसा चाहिये. जब एकसाधारण आदमी एक नेता बन ता है उसकी सोच कैसे बदल जाती है आखिर वो आदमी भूल क्यो जाता है की वो भी किसी दिन उसी समाज़ का हिस्सा था . आखिर वो समाज़ से अलग कैसे हो जाता है क्यू वो अपने आप को एक VIP की श्रेनीमे रखने लगता है जबकि समाज़ उसे आपना नेता चुनता है एसलिए चुनता है की वो सबकी रक्षा करेगा , ख्याल रखेगा , बच्चो को नौकरी के अवसर देगा, आपदा मे भगवान की तरह मसीहा बन के खड़ा हो जायेगा.
पर जो सच्चाई आज है वो आप भी जानते है और हम भी. जिसे हम ना देखना पसन्द करते है ना सुनना, वो न्यूज़ चॅनेल्स बताते है. तो बुरा लगता है, की जिसे हमने बड़े विस्वास के साथ चूना था. वो घोटालेबाज़ है , उसका पैसा विदेशो मे है, हम समाज के लोग है हमे पता है की हमारे समाज़ मे कौन सा लड़का आपराधिक प्रव़ति का है और कोन नही,
हमे जब पता है की समाज़ के कुछ लड़के गलत क्दम पर चल सकते है तो शायद उनमे समझ नही होती . पर गुस्सा आता है की वही लड़के आप के मुख्या द्वार पर खड़े है. जो मुझ सामाजिक प्राणी को अपने चुने ह्युए नेता से मिलने को रोक रहे है, जिस नेता को हमने अपनी सुरक्षा के लिये चूना था आज उसे ही अपनी सुरक्षा की जरूरत पड गयी . और जिन बच्चो गलत राह पर जाने से रोकना था. आपने तो हुँए देशका दुश्मन बना दिया .
आप तो थे ही ऐसी सोच मारे . पर आपने सभी लोगो के सात मिलकर उनकी भी सोच खराब की . आखिर उन लडको को क्या मिलता होता जो आपको अपना आका मानाने लगते है. ए भी समाज़ जनता जानती है की उन्हे खुली छुट मिलती है की वो किसी भी होटेल मे फ्री मे खयाए , कोई भी वारदात करे कोई चिंता नही क्युकी उनके सिर् पर आका का हाथ है .
अब उस नेता को अपने आप से पूछ ना चाहिये की .... की मे क्या हु?, क्यू हु? और कहा हु ?
सच बतायु मेरी नज़र मे नेता की एक परिवार के मुखिया की तरह होता है. पिता जी की तरह होता है जो की हमे गलत चलने से रोकते है , हमारी आशाओ की पुरिती करते है . हमारे बुरे समय मे एक भगवान या फरिस्ते की तरह साथ नही छोड़तें . समाज समझ सकता है की आपने ये अपने परिवार के लिए किया , अपने बच्चो के लिए किया और अपने लिए किया / आपकी नज़र से ये ठीक हो भी सकता है . समाज भी आपसे वही करने को कह रहा है की अपना घर देखो, अपने बच्चो को देखो उनकी जरुरतो का ख्याल रखो मुस्किलो में साथ दो, कुछ नया करने की प्रेणना दो ..
बस अपने दिमाग इनकी मीनिंग बदल तो प्लीज ...
अपना घर देखो मतलब ये देश आपका घर है, हम सब आपके बच्चो के जैसे, हमारी जरूरते भी आपके बच्चो की जैसी, मुस्किलो में साथ रहो, कुछ नया दो अपने देश को. और आप अपना नाम भी बहुत कुछ achcha करके इतिहास के पन्नो पर लिख सकते हो हमारे पास भी कुछ हो अपने बच्चो को बताने की हमारे ज़माने आप जैसे नेता थे जिन्होंने अपने देश यानि अपने घर को और घर के लोगो को गुलामी से आजाद कराया, हमारी ज़िंदगी को बदल दिया,
आप अगर अच्छे होंगे तो आपके दुश्मन भी नहीं होगे, और दुश्मनो से बचने के लिए जिन समाज के बच्चो को गलत रह पर ले जा रहे थे उनका भी उनके परिवार का भी भला कर सकते है . अगर अच्छा इंसान किसी कारनवष कुछ हो जाता है लकिन फिर भी उसकी अच्छाई, सच्चाई और भलाई जिन्दा रहती है, हमारे दिलो में. जैसे की हमारे डॉ. अब्दुल कलाम साहब हर भारतीय के दिल में है.
अभी आप ऐसे चले जायेगे तो वो खुद, भगवन भी आपसे पूछेगा की आप तो उस समाज के नेता थे, उनके मसीहा थे. चोर कैसे बन गए भाई. आपने अपने देश की जनता का ही सर नहीं झुकाया बल्कि अपने बच्चो के माथे पर भी कलंक दे आये . आजकल का समझदार समाज आपके बच्चो को किस नज़र से देखेगा की ये चोर का बेटा है, घोटालेबाज़ का बेटा है आप सुच मेरा ज़रा सोचिये क्या ये द्रस्य आप अपने जीते जी या मरने के बाद सुनना, देखना पसंद करेंगे. क्युकी मुझे नहीं लगता की जिस बाहुबलीपण से अपने अपनी ज़िंदगी गुज़री थी, वो अपने ही कुल पर दाग लगा देगा/......... नहीं आप कभी नहीं कर सकते क्योंकी समाज ने आप पर भरोषा किया है, उनके आसया आपसे लगी हुयी है आप इतना गलत नहीं कर सकते . अगर आप ही गलत करोगे तो हमें गलत करने से कौन रोकेगा / आज कल हम अपने घरो में विदेशी घरो की , जगह की , बसो की, रेलों की फोटोज दिवार पर चिपकाते है, क्या आप हमारे सपनो को सपना ही रखना चाहते है. कैसे मुखिया है आप देशरूपी परिवार के. ..
ऐसा जरुरी नहीं है की जो ये पोस्ट पद रहा है वो मेरी कल्पना के अनुरूप ही है. अगर मेरी ये कल्पना किसी भी हमारे देश के नेता पर फिट बैठती है शर्म है हमारे भरोसे पर जिन्होंने उसे तोडा है. काश आप ऐसे हमारे नेता होते जिनकी विकसित सोच की तारीफ हम अपनी पीड़ी से कर सके...
आप चाहे विपक्ष में हो या पक्ष में आपका उद्देश्य राष्ट्रहित ही होना चाहिए . में सामाजिक प्राणी आपको विस्वाश दिलाता हु की आप किसी भी पक्ष या विपक्ष में रहे ... नेता आप ही हमारे होगे..जो नेता अपनी पार्टी के बारे में ही सोचे और राष्ट्रहित से भटक जाये.. तो आप चाहे विपक्ष में हो या पक्ष में ... जनता आपको देख रही है, और समझ भी रही है.
जनता की समझदारी का एक उदहारण है मेरे पास :
में गॉव या बहुत छोटे शहर से हु. जहा मेरे पिता जी के उम्र के लोगो को भी राजनीती में कोई इंटरेस्ट नहीं है और न था. पर जब में अपने से छोटे बच्चे मिलता हु तो पता चलता है की उसे बहुत सारी ऐसी बातें पता है या उसमे इंटरेस्ट है जिस उम्र में मुझे पता भी नहीं था या मेने सोचा भी नहीं था. जैसे टेक्नोलॉजी के मामले में नाती, बच्चे से ज्यादा जनता है और बच्चा बाप से ज्यादा.
खैर समाज में तो ऐसी सोच बन गयी है की सब नेता एक जैसे ही है. लेकिन फिर भी दिल में एक उम्मीद है की हर पार्टी में कोई न कोई तो ऐसा होगा, मेने किसी व्यक्ति से पुछा "भाई किसको वोट देकर आ रहे हो ?" जबाब मिलता है "क्या फर्क पड़ता है चारो लोग एक जैसे ही है, पहले इनके पास कुछ भी नहीं था, अब बंगला है, बड़ी बड़ी गाड़िया है, शादी में किसी को भी एक अच्छे नेता की हैसियत से बुलाओ तो अपने साथ गुंडों की फ़ौज लेकर आते है साथ में बॉडीगार्ड होता है गन लेकर, ये क्या हमारा भला करेंगे ? और फिर उसका चेहरा मायूसी से भर जाता है मनो कह रहा हो की हम आज भी गुलाम ही है पहले अंग्रेजो के थे आज इनके जिसे हमने समाज का रखवाला चुना था.
मेरे हिसाब से एक अच्छा लीडर या नेता बनाने के लिए सबसे पहले आपके पास आईडिया पर आईडिया की लिस्ट होनी चाहिए ..जैसे में नेता बनुगा या पावर में आयूंगा तो सबसे बड़ी जो समस्या का निदान कैसे करना है. और उसके लिए आप अकेले कुछ नहीं कर सकते आपको समाज पर और समाज को आप पर विस्वाश होना चाहिए.
विस्वाश पाने के लिए आपको उनके बीच में जाकर हर इलाके में जाकर उनकी छोटी छोटी समस्याको को पता करना पड़ेगा. अगर आप ईमानदारी से जनता से बताएँगे की हमें सरकार से फण्ड इतना मिला है पर ये काम बहुत बड़ा है. उस क्षेत्र के लोगो में बहुत से ऐसे मिल जायेंगे तो चंदा देकर अपनी उस परेशानी को आपके सहयोग से हल कर लेंगे. और आप वह का छोटा सा काम करके बड़े हीरो बन सकते है. क्युकी लोगो को पता है की आप नेता के रूप में उनके रखवाले है, मददगार है, आपके लिए धर्म, समुदाय, उंच नीच कोई मायने नहीं रखते. फिर आप किसी भी पार्टी से चुनाव लड़े ...कितना भी बुरे से बुरा आदमी आपके बारे में जरूर सोचेगा क्युकी :
- जब उसकी कोई बहन बेटी रात में घर आने में देर होती है तो डरता नहीं है, क्युकी उसे पता है कोई भी सरकारी रक्षक, होमगार्ड या पुलिस का आदमी उन्हें घर छोड़ जायेगा. क्या ऐसा होना संभव नहीं है ?
- अगर आपको कभी इमरजेंसी सुबिधाओं की जरुरत पड़ती है तो सरकारी एम्बुलेंस, प्राइवेट एम्बुलेंस से जल्दी पहुचने की जल्दी में होगी, और आपके साथ मरीज़ो जैसा नहीं बल्कि एक भाई तरह हॉस्पिटल पहुचाया जाता है. और हॉस्पिटल आपके लिए शोप्पिंग मॉल न होकर, एक भगवान का मंदिर हो जहा आपके पैसे से ज्यादा आपकी भावनाओ, आपके दर्द को समझा जाता हो. क्या ऐसा होना संभव नहीं है ?
- और भी समाज में परेशानियों का ढेर है, लेकिन समस्या यही है चाहे कोई भी डिपार्टमेंट हो वह पर शायद ही किसी समस्या का समाधान समय पर होता है, और होता है तो सामने वाले को पैसा दो तभी वो मुस्करा कर थैंक यू बोलेगा. नहीं तो ऐसे काम करेगा जैसा वो हमारी मजबूरी में मदद कर रहा है और जाते जाते वह यहाँ - वहाँ की बातें सुना कर जायेगा. जिससे लोगो का इनके प्रति गुस्सा या विरोध पैदा होता है. अगर किसी भी डिपार्टमेंट से आपके यहाँ आदमी आये और वो ऐसे सोच रहा हो, की में इसके टैक्स से हर महीने की सैलरी लेता हु, इस भाई की समस्या मेरी है, और सारी मदद करने के बाद जाये तो बोले "सर अगर भविस्य कोई परेशानी हो तो जरूर याद करे" और मेरी सर्विसेज का फीडबैक १० में से १० दे मेरे अफसर को. क्या ऐसा होना संभव नहीं है ?
- एक अच्छे नेता का फ़र्ज़ बनता है की वो इन सभी सरकारी व्यक्तियों का ख्याल भी रखे और नज़र भी. एक प्राइवेट कंपनी के डायरेक्टर की तरह. हर १५ दिन में वो उस डिपार्टमेंट में जाकर बात तो कर सकता है पूछ सकता है की सर्विसेज देने में कही कोई खुद में ही तो कमी नहीं है. या जो सर्विसेज दे रहे हो वो आधारहीन हो, उसकी रिपोर्ट राज्य या केंद्र सरकार को देना चाहिए.. क्युकी आप अच्छे राष्ट्रभक्त होने के नाते देश का पैसा और समय बर्बाद नहीं कर सकते. क्या ऐसा होना संभव नहीं है ?
- आप 15अगस्त या २६ जनवरी या किसी भी स्कूल कार्यकर्म में बुलाये जाते है तो आपको बॉडीगार्ड के साथ नहीं बल्कि एक उस इंसान की तरह जैसे आप - एक आर्मी व्यक्ति हो, एक पुलिस के बड़े अफसर है, एक क्रन्तिकारी है देश के विकाश के प्रति, एक सच्चे राष्ट्रभक्त है जाये और लोग भी आपको उसी नज़र से देखे. आप उस दिन बच्चो के साथ मनोरंजक कार्यक्रमों के बजाय, आप पेड़ लगा सकते है, सफाई सीखा सकते है, बहनो की इज्जत करना बी उनकी मदद कैसे करे आदि आदि सीखा उस दिन को यादगर बना सकते है. क्युकी समाज को बांधने का काम आप ही कर सकते है, क्युकी आप आम आदमी नहीं हो, बल्कि हमारे नेता हो, जो आपको हमसे स्पेशल बनाता है आपको. और आप जो हमें सिखाते है वैसे हम आगे बढ़ाते है..आप हमें आगे बढ़ाकर देश को जरूर आगे बढ़ाएंगे . क्या ऐसा होना संभव नहीं है ?
जो चाहे पक्ष में हो या विपक्ष में सिर्फ जनता के बारे में ही सोचेगा. क्युकी कोई भी सच्चा हिंदुस्तानी, एक राष्ट्रभक्त अपने घर मतलब देश का सर नहीं झुका सकता. और वो किसी कलंक के साथ नहीं मर सकता. एक ऐसा नेता जिसके चर्चो को हम कहानी की तरह आने वाली पीड़ी को पड़ा सके...
काश हमारे नेताओ की टीम राष्ट्रहित में एक आर्मी की तरह काम करे देश को विकसित करने के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नाम की उंच नीच हो बस सब मसीहा की तरह बन जाये...और इस पृथ्वी को बता दे की हिंदुस्तान विकाशशील नहीं बल्कि विकसित देश है ....
कृपया ध्यान दे !! - यह पोस्ट किसी भी राजनीतीक पार्टी , किसी व्यक्ति विशेष, उद्योग, किसी भी धर्म या समुदाय से सम्बन्ध नहीं रखती है.
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