NPA हिंदी में, NPA (Non Performing Assets) के लिए जिम्मेदार कौन है? जनता, बैंक या सरकार ? non npa meaning in hindi, non performing assets examples, types of non performing assets
क्या आप जानते है की इस देश की जनता का सबसे ज्यादा भरोसा किन बैंको पर करती है, बिलकुल आप जानते होंगे की सरकारी बैंको (सार्वजनिक क्षेत्र) पर. भारत में किसी का प्राइवेट बैंक में अकाउंट हो न हो पर सरकारी बैंक में जरुर होंगा, क्युकी देश की जनता सरकार पर, सरकार के कर्मचारियों व् अफसरों पर तथा इनकी संस्थायो पर ज्यादा विश्वास करते है. वही दूसरा सच NPA या बैंक घोटालो में ये भी निकल के आ रहा है की उसी जनता के साथ विश्वासघात हो रहा है, जानते है कैसे.
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको को पैसे देती है, कर्मचारियों एवं अफसरों को मोटी से मोटी सैलरी देती है, बदले में ये सरकारी अफसर या कर्मचारी क्या देते है सिर्फ बैंक घाटा और NPA . अगर देखा जाये तो सबसे ज्यादा कस्टमर सरकारी बैंको के पास है प्राइवेट बैंक की तुलना में लेकिन सरकारी बेंक फिर भी घाटे में रहते है, सोचा है क्यों? जरुर सोचिये.
अभी हाल ही में पंजाब नेशनल बैंक में 11000 हज़ार करोड़ का सबसे बड़ा घोटाला हो गया जिसे नीरव मोदी घोटाला कहा जा रहा है और इस बैंक को पता ही नहीं चला, वही ये बैंक हर तिमाही में अपनी बैलेंस शीट बनाता है, ऑडिट करवाता है लेकिन फिर भी ये बात किसी की नज़र में नहीं आई क्यों?
अब आप ये सोचेंगे की आपको क्या फर्क पड़ता है, साहब बिलकुल फर्क पड़ता है. क्युकी ये वही सरकारी बैंक है जिनके कर्मचारियों एवं अफसरों को मोटी मोटी सैलरी मिलती है, किसलिए ? इसलिए की ये सरकार का या जनता का पैसा कही भी बाँट दे? मेरे हिसाब से इन बैंको को तो प्राइवेट बैंक से ज्यादा ईमानदार और जिम्मेदार होना चाहिए क्युकी देश की जनता इनपर ज्यादा विश्वास करती है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा है। की आईडीबीआई बैंक (कुल अग्रिम के 24.11 प्रतिशत के सकल एनपीए अनुपात के साथ) और इंडियन ओवरसीज बैंक (23.6 फीसदी) में एनपीए अनुपात 20 फीसदी से अधिक है पीएसबी में, इंडियन बैंक का न्यूनतम जीएनपीए अनुपात 7.21 फीसदी है, केअर रेटिंग्स ने कहा कि वित्त वर्ष 18 के अप्रैल-जून तिमाही (क्यू 1) में 38 बैंकों के एक नमूने के एनपीए वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 34.2 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ बढ़े हैं। इसके अलावा जून 2016 में एनपीए अनुपात 8.42 प्रतिशत से बढ़कर जून 2017 में 10.21 प्रतिशत हो गया जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे ज्यादा है।
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको को पैसे देती है, कर्मचारियों एवं अफसरों को मोटी से मोटी सैलरी देती है, बदले में ये सरकारी अफसर या कर्मचारी क्या देते है सिर्फ बैंक घाटा और NPA . अगर देखा जाये तो सबसे ज्यादा कस्टमर सरकारी बैंको के पास है प्राइवेट बैंक की तुलना में लेकिन सरकारी बेंक फिर भी घाटे में रहते है, सोचा है क्यों? जरुर सोचिये.
अभी हाल ही में पंजाब नेशनल बैंक में 11000 हज़ार करोड़ का सबसे बड़ा घोटाला हो गया जिसे नीरव मोदी घोटाला कहा जा रहा है और इस बैंक को पता ही नहीं चला, वही ये बैंक हर तिमाही में अपनी बैलेंस शीट बनाता है, ऑडिट करवाता है लेकिन फिर भी ये बात किसी की नज़र में नहीं आई क्यों?
अब आप ये सोचेंगे की आपको क्या फर्क पड़ता है, साहब बिलकुल फर्क पड़ता है. क्युकी ये वही सरकारी बैंक है जिनके कर्मचारियों एवं अफसरों को मोटी मोटी सैलरी मिलती है, किसलिए ? इसलिए की ये सरकार का या जनता का पैसा कही भी बाँट दे? मेरे हिसाब से इन बैंको को तो प्राइवेट बैंक से ज्यादा ईमानदार और जिम्मेदार होना चाहिए क्युकी देश की जनता इनपर ज्यादा विश्वास करती है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा है। की आईडीबीआई बैंक (कुल अग्रिम के 24.11 प्रतिशत के सकल एनपीए अनुपात के साथ) और इंडियन ओवरसीज बैंक (23.6 फीसदी) में एनपीए अनुपात 20 फीसदी से अधिक है पीएसबी में, इंडियन बैंक का न्यूनतम जीएनपीए अनुपात 7.21 फीसदी है, केअर रेटिंग्स ने कहा कि वित्त वर्ष 18 के अप्रैल-जून तिमाही (क्यू 1) में 38 बैंकों के एक नमूने के एनपीए वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 34.2 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ बढ़े हैं। इसके अलावा जून 2016 में एनपीए अनुपात 8.42 प्रतिशत से बढ़कर जून 2017 में 10.21 प्रतिशत हो गया जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे ज्यादा है।
NPA (Non Performing Assets) क्या है? non performing assets in hindi
अगर आज आप देखेंगे तो पता चलेगा की सबसे ज्यादा NPA (Non Performing Assets) हमारे PSU (public sector banks) सरकारी बैंको के पास है प्राइवेट बैंक की तुलना में.आप सोच रहे होंगे की NPA होता क्या है? इसका जवाब इसके नाम में ही छुपा है - NPA (Non Performing Assets) मतलब ऐसी रकम / कीमत जो परफॉर्म नहीं कर रही है मतलब बैंक के पास पैसा उनके एकाउंटिंग किताबो में है पर वास्तव में है ही नहीं है, क्युकी वो पैसा तो उन्होंने ऐसे लोगो को बाँट दिया जो वापस नहीं कर रहे या नहीं कर पा रहे है.
कौन है जो NPA (Non-Performing Assets) बनाते है?
- NPA (Non Performing Assets) बनाने में सबसे बड़ा हाथ इस देश के ज्यादातर इज्जतदार उधोगपति लोग होते है जो अपने आप को इज्जतदार या पैसवाला समझते है और उधार के पैसे से ऐश या बिज़नस करते है. ये लोग प्राइवेट या सरकारी बैंको की नज़र में सबसे ज्यादा इज्जतदार या सम्माननीय लोग होते है. सरकारी बैंक या प्राइवेट बैंक इन लोगो से लोन के बदले जमानत लेने में शर्म कर करती है. या वेरिफिकेशन करने में शर्म करती है. क्युकी अगर इतना मोटा कस्टमर हाथ से निकल गया तो बैंक के अफसरों या कर्मचारियों का इंसेंटिव हाथ से निकल जायेगा. क्युकी उन्हें ऐसा लगता है जितना ज्यादा क़र्ज़ बैंक उन्हें देगा उतना ज्यादा बैंक व्याज वसूल कर कमा लेगा. पर उस पैसे के बदले उन्हें गारंटी लेने में शर्म लगती है.
- इसके बाद मिडिल क्लास के लोग आते है, जिन्हें हर बैंक शक़ की नजर से देखता है और सबसे ज्यादा वेरिफिकेशन इन्ही लोगो की होती है. पर इनमे कुछ लोग मजबूरी का शिकार होते है तो कुछ लोग वास्तव में वापस नहीं करना चाहते, पर ध्यान रहे 90 मिडिल क्लास के लोग मजबूरी का ही शिकार होने पर ही पैसे वापस नहीं कर पाते है. मान लो किसी मिडिल क्लास फॅमिली ने अपनी बेटी की शादी, घर बनाने के लिए, या बच्चो की पढाई के लिए लोन लिया और किसी कारणवश बैंक को वो पैसा नहीं लौटा पाते. कारण कुछ भी हो सकता है जैसे नौकरी का छूट जाना, जो कमाता है उसके साथ कुछ अनहोनी हो जाना आदि आदि.
- और लास्ट में आता है किसान जो बैंक की नज़र में बिलकुल इज्जतदार नहीं होता पर उसी इज्जत के लिए किसान आजादी से लेकर आज तक जान देता चला आ रहा है. वो ये वर्दाश्त नहीं कर पाते की जो उन्होंने बैंक से उधार लिया था वो पैसा वापस कर पाने में सक्षम नहीं है, और अब उसे गाँव या समाज के लोग क्या समझेंगे. कारण यहाँ भी वही हो सकते है जैसे फसल का अच्छा न होना जो उसकी जीविका या कमाई एकमात्र साधन होता है या घर में शादी या पढाई आदि आदि
- और इसके बाद कुछ और भी छोटे मोटे कारक हो सकते है.
- बैंक उस उधोगपति की प्रॉपर्टी (commercial, residential, fixed or moving) को बैंक बिना कोर्ट के आर्डर भी जब्त कर सकती है.
- बैंक उस प्रॉपर्टी को Auction या Sale कर सकती है.
- यदि उस उधोगपति ने किसी तीसरे को अपना प्रॉपर्टी पहले से ही बेच दिया है तो बैंक तीसरे इंसान से भी सारे प्रॉपर्टी ले सकती है.
- यदि तीसरे खरीददार के पास उस उधोगपति के पैसे हैं तो बैंक उसे भी जब्त कर सकती है.
- पर ध्यान रहे SARFAESI के अंतर्गत 10 लाख तक के लोन का मामला ही आ सकता है.
- SARFAESI एक्ट केवल उन परिसंपत्तियों पर ही लागू होता है जो ऋण प्राप्त करने के लिए “गिरवी / सुरक्षित” हों.
- यदि किसी उधोगपति ने बैंक से बिज़नस के लिए लोन लिया है तो बैंक उसे अपने कारखाने / मशीनी / वाहनों / भूमि आदि को बंधक (mortgage) के रूप में रखने के लिए कहता है. क्युकी बैंक SARFAESI एक्ट के नाम पर उसके निजी घर-फर्नीचर, महँगी कलाई-घड़ी या उनके बेटे की साइकिल नहीं ले सकता है. खेती को भी SARFAESI act में शामिल नहीं किया गया है.
किस तरह के बैंको के पास सबसे ज्यादा NPA (Non Performing Assets) है?
जिन बैंको के पास सबसे ज्यादा NPA (Non Performing Assets) है इसका मतलब ये हो सकता है की इन बैंको ने उधार / क़र्ज़ देने में बिलकुल जिम्मेदारी नहीं दिखाई. हो सकता है की कुछ उधोगपतियो को वास्तव में किसी उधोग में नुकसान हुआ हो पर सभी को हो या इतने ज्यादा को हो ये समझ से बाहर है. बैंको को प्लान समझना चाहिए था. लेकिन जब बैंक के अफसर या कर्मचारी ही खुद किसी को कुछ रिश्वत के बदले क़र्ज़ दे तो फिर ये सारी बातें बेकार हो जाती है. चलिए एक बार देखते है की आज मतलब फ़रवरी 2018 में किस तरह की बैंको के पास कितना NPA है. मैं चाहता तो हर बैंक का NPA यहाँ दिखा सकता था पर यहाँ में जो आकंडे दे रहा हु सिर्फ उदहारण के लिए, आपको बताने या समझाने के लिए. ज्यादा और सही जानकारी के लिए RBI की वेबसाइट पर देख सकते है .
Net NPAs
|
||
Banks
|
As on
March 31
|
As on
March 31
|
(
previous year )
|
(
current year )
|
|
STATE
BANK OF INDIA & ITS ASSOCIATES
|
688944
|
969322
|
NATIONALISED
BANKS
|
2515681
|
2861567
|
PRIVATE
SECTOR BANKS
|
266774
|
477802
|
FOREIGN
BANKS
|
27619
|
21406
|
SMALL
FINANCE BANKS
|
457
|
1147
|
Bad बैंक क्या है?
Bad Banks एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नये बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है। जब किसी बैंक की गैर निष्पादित संपत्ति (Non Performing Assets) सीमा से अधिक हो जाती है तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है जो मुख्य बैंक की देयताओं को एक निश्चित समय के लिए धारण कर लेता है, 1991-92 के दौरान स्वीडन में इस तरह की प्रक्रिया द्वारा आर्थिक चुनौतियों का सामना किया गया था। 2012 में स्पेन ने आर्थिक संकट के दौरान ऐसे ही बैंकों का सहारा लिया है। इन Bad बैंकों को 10 से 15 वर्ष की समय सीमा दी गयी है। स्थानीय सरकार द्वारा इन बैंकों को निर्धारित अवधि में लाभ में लेकर आना होगा।
सरकार क्या कर सकती है?
मेरे हिसाब से सरकार को इन public sector बैंको को प्राइवेट हाथो में बेंच देना चाहिए, इससे बैंक प्राइवेट बैंको की तरह अच्छे से काम करेंगे और देश की अर्थ व्यवस्था ख़राब नहीं होगी. क्युकी प्राइवेट बैंक अपने टारगेट के हिसाब से काम करते है/.
जनता को क्या करना चाहिए ?
जनता को चाहिए की उन बैंको में पैसे न रखे (फिक्स्ड डेपोजीट या किसी भी रूप में) जिनका NPA ज्यादा है क्युकी इसका मतलब ये है की कही न कही उस ज्यादा NPA के लिए बैंक भी जिम्मेदार है और आपके मेहनत के पैसे को कही भी उड़ा सकता है. अगर कही कोई बैंक दिवालिया हो गया तो आपकी जिंदगी भर की कमाई चली जाएगी जिसका हर्जाना सरकार भी नहीं देगी.
तो अब आपको समझ में आ गया होगा की NPA के लिए जितना लोन लेने वाले लोग जिम्मेदार है उतना ही लोन देने वाले बैंक या उनके कर्मचारी. साथ ही साथ सरकार को विदेशो से सीख लेकर कोई न कोई रास्ता निकालना चाहिए - जैसे लोन की एक अधिकतम सीमा हो जैसे 50 करोड़ या 100 करोड़ या 500 करोड़. ऐसा नहीं होना चाहिए की कोई 11000 करोड़ का कोई लोन ले ले और वापस न करे क्युकी ये तो समझ से बाहर है.
ध्यान रखे : इस लेख (non npa meaning in hindi) को केवल जानकारी के तौर पर ले, हम आपको कोई सुझाव या एडवाइस नहीं दे रहे. न ही इसका कही कानूनी प्रक्रिया में इस्तेमाल करे. ये सिर्फ लेखक की अपनी समझ है. अगर जानकारी में कुछ त्रुटी हो तो जरुर बताये हम सुधार करने में विश्वास रखते है.
Bad Banks एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नये बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है। जब किसी बैंक की गैर निष्पादित संपत्ति (Non Performing Assets) सीमा से अधिक हो जाती है तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है जो मुख्य बैंक की देयताओं को एक निश्चित समय के लिए धारण कर लेता है, 1991-92 के दौरान स्वीडन में इस तरह की प्रक्रिया द्वारा आर्थिक चुनौतियों का सामना किया गया था। 2012 में स्पेन ने आर्थिक संकट के दौरान ऐसे ही बैंकों का सहारा लिया है। इन Bad बैंकों को 10 से 15 वर्ष की समय सीमा दी गयी है। स्थानीय सरकार द्वारा इन बैंकों को निर्धारित अवधि में लाभ में लेकर आना होगा।
NPA (Non Performing Assets) से देश की अर्थ व्यवस्था पर प्रभाव ?
इसे हम ऐसे समझ सकते है की मान लो आपके पास 5 लाख रुपये है, उसमे से आपने अपने दोस्त को 4 लाख क़र्ज़ या उधार में दे दिए. फिर वो दोस्त आपके पैसे वापस नहीं कर रहा या नहीं कर पा रहा है. तो आपके पास कितने पैसे है 5 लाख या १ लाख. आप अपनी मन की शांति के लिए सोच सकते है की आपके पास 5 लाख रुपये लेकिन आप इस्तेमाल सिर्फ एक लाख ही कर सकते है, जो वास्तव में आपके पास है. वही हमारे देश की स्थिति होती है की नाम के लिए देश के बैंको के पास रुपये है, लेकिन वो पहले से ही चुरा लिए गए है. मन की शांति के लिए कुछ भी कह लो.सरकार क्या कर सकती है?
मेरे हिसाब से सरकार को इन public sector बैंको को प्राइवेट हाथो में बेंच देना चाहिए, इससे बैंक प्राइवेट बैंको की तरह अच्छे से काम करेंगे और देश की अर्थ व्यवस्था ख़राब नहीं होगी. क्युकी प्राइवेट बैंक अपने टारगेट के हिसाब से काम करते है/.
जनता को क्या करना चाहिए ?
जनता को चाहिए की उन बैंको में पैसे न रखे (फिक्स्ड डेपोजीट या किसी भी रूप में) जिनका NPA ज्यादा है क्युकी इसका मतलब ये है की कही न कही उस ज्यादा NPA के लिए बैंक भी जिम्मेदार है और आपके मेहनत के पैसे को कही भी उड़ा सकता है. अगर कही कोई बैंक दिवालिया हो गया तो आपकी जिंदगी भर की कमाई चली जाएगी जिसका हर्जाना सरकार भी नहीं देगी.
तो अब आपको समझ में आ गया होगा की NPA के लिए जितना लोन लेने वाले लोग जिम्मेदार है उतना ही लोन देने वाले बैंक या उनके कर्मचारी. साथ ही साथ सरकार को विदेशो से सीख लेकर कोई न कोई रास्ता निकालना चाहिए - जैसे लोन की एक अधिकतम सीमा हो जैसे 50 करोड़ या 100 करोड़ या 500 करोड़. ऐसा नहीं होना चाहिए की कोई 11000 करोड़ का कोई लोन ले ले और वापस न करे क्युकी ये तो समझ से बाहर है.
ध्यान रखे : इस लेख (non npa meaning in hindi) को केवल जानकारी के तौर पर ले, हम आपको कोई सुझाव या एडवाइस नहीं दे रहे. न ही इसका कही कानूनी प्रक्रिया में इस्तेमाल करे. ये सिर्फ लेखक की अपनी समझ है. अगर जानकारी में कुछ त्रुटी हो तो जरुर बताये हम सुधार करने में विश्वास रखते है.
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