सूचना के जाल फेक न्यूज में उलझता हुआ भारत - FAKE NEWS

जानिये फेक न्यूज क्या है? फेक न्यूज को सोशल मीडिया पर कैसे पहचाने ? फेक न्यूज़ इन हिंदी फेक न्यूज पर निबंध Fake News #fakenews

 कहते है अगली सदी भारत की है, ऐसा में नहीं, लेकिन न्यूज़ चैनल्स और हमारे राजनेता ऐसा पॉजिटिव विचार हमारे अंदर डालने की कोशिश करते है जो होना भी चाहिए। पर देखने वाली बात है की क्या भारत ऐसा कर पायेगा ? आज बात करूँगा सूचना की जिसके अंदर हर भारतीय फसा हुआ है। तो जानते है कैसे. मेरी नज़र से-

जानते और समझते है फेक न्यूज क्या है? (Fake News Kya Hai? फेक न्यूज को सोशल मीडिया पर कैसे पहचाने ? #Fakenews

फेक न्यूज क्या है? (Fake News Kya hai?)


सोशल मीडिया से सूचना (#fakenews on social media ) -

क्या आपने कभी सोचा है की सोशल मीडिया पर आपको मिलने वाली हर खबर या सूचना सही है या गलत?, अगर नहीं सोचा तो सोचिये।

(यहाँ सोशल मीडिया से मतलब फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब वीडियोस या अन्य तंत्र। जहाँ आप मनोरंजन या टाइम पास  के लिए जाते है और सूचना के आवेग में फस कर फड़फड़ाते है।)

कैसे जाने की आप भी सूचना के जाल में फसकर, अपनों से दूर हो रहे है?

इसका एक उदाहरण आपको देता हु।

आप अपने किसी ऐसे मित्र की सोशल मीडिया प्रोफाइल देखिये (जैसे की फेसबुक वाल, ट्विटर वाल और यूट्यूब या व्हाट्सप्प पर आने वाले वीडियो।) और उसको अपनी दिखाइए जो आपसे वैचारिक रूप से बिल्कुल भिन्न हो, राजनीतिक और आर्थिक रूप से। आपको सिर्फ इतना देखना है की उसकी प्रोफाइल पर या उसको कैसी खबरे या सूचनाएं मिल रही है और फिर अपनी प्रोफाइल देखे और जाने की आपको कैसी सूचनाएं मिल रही है।

आप एक दम से सर पकड़ सकते है क्युकी आपको मिलने वाली सूचनाएं आपकी सोच और विचार को सही बताती है और उसको (आपके मित्र) मिलने वाली सूचनाएं उसको सही बताने का प्रयास करती है।  लेकिन ये कैसे संभव है की दोनों लोग किसी भी मुद्दे पर एक साथ सही हो सकते है? बिलकुल नहीं।

आप और आपके मित्र झूठी सूचना के जाल में फसे है. उसी झूट को पढ़कर आप कभी हसते है, गुस्सा होते है, आशीर्वाद देते है या फिर कोशते है।

तो क्या करे ?

सोशल मीडिया का इस्तेमाल खबरों के लिए नहीं बल्कि मनोरंजन या समय पास करने के लिए करे। किसी भी खबर या वीडियो पर सीधा विश्वास न करे। और एक भी गलत खबर पाने पर उस पेज या व्यक्ति से दूर रहे। 

प्राइवेट न्यूज़ चैनल्स के द्वारा सूचना (#fakenews) -

(ध्यान दे - यहाँ में मीडिया पर सवाल नहीं उठा रहा बल्कि उनके कुछ तरीको पर अपने विचार व्यक्त कर रहा हु की मुझे कैसा लगता है। )

आज भारत के लोग प्राइवेट मीडिया या प्राइवेट न्यूज़ चैनल की सूचनाओं के जाल में भी फसे है क्युकी ये प्राइवेट न्यूज़ चैनल्स अब खबर के साथ साथ अपने विचार व्यक्त करते है। किसी पत्रकार को न्यूज़ चैनल पर खबर दिखाने या खबर पढ़ने के लिए बैठाया जाता है या उसकी अपने निजी विचार व्यक्त करने के लिए? ये सोचने वाली बात है।

आपने देखा होगा कुछ पत्रकार जो गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी पर अपना नजरिया देते देते देश के सिस्टम को उल्टा सीधा बोलने लगते है। और उसी खबर को वो अपने नज़रिये या विचार से भिगो कर आपको बताते है।

जो किसी भी देश के लिए घातक हो सकता है। किसी न्यूज़ चैनल के पत्रकार का काम सिर्फ खबरे ढूढ कर बताना काफी होता है न की उस खबर को वैचारिक रूप से गन्दा किया जाए। 

क्युकी मेरे जैसा व्यक्ति खबरे देखने के लिए न्यूज़ चैनल लगाता है विचार सुनने के लिए नहीं। विचार तो में तब सुनुँगा जब आप अपने काम की सैलरी न लेकर वहाँ देशभक्ति या देशहित में काम कर रहे हो। लेकिन वो भी आपके विचार पॉजिटिव होने चाहिए। आपको किसने हक़ दिया टीवी पर नेगेटिव या नकारात्मक विचारो के प्रदर्शन का ?

तो क्या करे?

सिर्फ उन्ही न्यूज़ चैनल को देखे जो तथ्यों के साथ आपको खबर दिखाते हो. उन न्यूज़ चैनल से दूर रहे जो अपनी खबर में "मान लीजिये", "सोचिये" "फिर आप क्या करेंगे", "क्या होगा" जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते है। क्युकी ऐसे लोग आपको भविष्य के प्रति डर दिखा कर आपकी सोच पर राज़ करते है। ये आपकी आपकी जाती खतरे में बताते है, कभी धर्म, कभी नौकरी, तो कभी कुछ। 

कही-सुनी सूचना (#propaganda)-

जब से भारत में सबके पास स्मार्टफोन और हाई स्पीड इंटरनेट आया है तबसे हर व्यक्ति अपने आप में ज्ञानी है, क्युकी उसे लगता है की वही सही है बाकी सब गलत फिर वो बहस के करने लगता है।  और कभी कभी तो वह अपने माँ बाप, मित्रो से भी उसी बहस में उलझता दिखाई देता है। सही भी है और देश को सुधारने के जिम्मा भी उसी का है। 

आज जहाँ भी, जिस झुण्ड या समूह में , मैं कही खड़ा होता हु बस वही पोलिटिकल या डरावनी बातें सुनने को मिलती है. कभी कभी तो बहस इतनी बढ़ जाती है की दोस्ती भी खतरे में पढ़ती नज़र आती है। तब भी लगता है की यहाँ पर भी हम  सूचना के जाल में फसे है।

तो क्या करे?

अगर कोई आपसे बहस कर रहा है तो स्वीकार करे. विरोध करने से सामने वाला और कट्टर बनता है। स्वीकार करके मुस्कराये और धार्मिक किताब पढ़ने के लिए प्रेरित करे। वहाँ चल रही वहस पर फुल स्टॉप लगाए। 

सम्बंधित प्रश्न - 

फेक न्यूज क्या है? (Fake News Kya hai?)

फेक न्यूज़ का मतलब झूठी खबर होता है लेकिन आज कल ये कुछ  प्राइवेट न्यूज़ चैनल्स और सोशल मीडिया बिलकुल आम है। ये सही खबर के अंदर भी किन्तु, परन्तु लगाकर अपना एजेंडा सेट करते है। कुल मिलकर आप तक ख़बर नहीं बल्कि एजेंडा या प्रोपेगंडा को पहुंचना मकसद होता है।

फेक न्यूज़ या झूठी ख़बरों को कैसे पहचाने ? (Fake News kaise Pahchane?)

पेंसिलवानिया स्टेट यूनिवर्सिटी की ओर से किए रिसर्च में फर्जी खबरों को मुख्य तौर पर 7 श्रेणी में रखा गया है। इनमें 

  • गलत खबरें
  • ध्रुवीकरण वाली खबरें
  • व्यंग्य
  • गलत रिपोर्टिंग
  • कॉमेंट्री
  • उत्तेजक सूचनाएं 
  • और सिटिजन जर्नलिज्म 

में बांटा गया है।

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