आखिर लोग क्यों लिखते है विवादित किताब? - controversial book in india - Pradeeptomar.com Blog
क्या आप जानते है की लोग अपनी किताबो में जान कर और समझकर ऐसा क्यों लिखते है जो सत्य नहीं होता, जो अक्सर विवाद का कारण बनता है। हमारे देश में वैसे तो कई विचारधाराएं है जो अपनी अपनी राग अलापते है। ये सभी विचार धाराएं कही न कही Right Wings और Left Wings में जाकर समाहित हो जाती है।
जहाँ तक मुझे राजनीती की समझ बिलकुल नहीं है लेकिन फिर भी मुझे जो अनुभव हुआ वो बताता हु की कौन सी पार्टी किस विचारधारा के द्वारा किस विंग से जाकर अंततः मिलती है। (ऐसा मैने महसूस किया )
राइट विंग -
- भारतीय जनता पार्टी
- (अन्य क्षेत्रीय पार्टियां )
लेफ्ट विंग (वामपंथी / कम्युनिस्ट) -
- कांग्रेस - जिन्होंने केरल में वामपंथियों से मिलकर सरकार बनायीं ।
- आम आदमी पार्टी - जिन्होंने दिल्ली में कांग्रेस से मिलकर सरकार बनायीं।
- समाजवादी पार्टी - जिन्होंने कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर 2019 में चुनाव लड़ा था।
- बहुजन समाजवादी पार्टी - जिसने ज्यादातर कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है केंद्र में सरकार बनाने में ।
- शिवसेना - शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए राइट विंग की विचारधारा को छोड़ कोंग्रेस से। समझौता किया और कांग्रेस और नेशनल कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनायीं ।
- तृणमूल कांग्रेस - जिन्होंने हमेशा कांग्रेस को ही समर्थन दिया केंद्र में सरकार बनाने को।
- (अन्य क्षेत्रीय पार्टियां )
तो मैं बात कर रहा था विवादित किताब के ऊपर, यहाँ मेने लेफ्ट विंग और राइट विंग और उससे सम्बंधित पार्टी इसलिए बताई है ताकि आप भी गूगल में सर्च कर सके की किस विंग के लोग और किस पार्टी से सम्बंधित लोग सबसे ज्यादा विवादित किताबे लिखते है। और उससे उनका फायदा क्या होता है। यहाँ मेने किसी भी पार्टी को गलत या सही नहीं बोला है। सिर्फ जो मुझे आभास होता है उसका प्रतिबिम्ब प्रदर्शित किया है। इसे अन्यंथा था न ले अपने विवेक से सोचे और सावधान रहे।
अब आते है अपने टॉपिक पर।
क्या इससे उनकी किताबो की मार्केटिंग / Sale होती है?
नहीं! ऐसा मुझे नहीं लगता है की अगर किताबो में कुछ विवादित वाक्य डाल दो तो वो ज्यादा बिकने लगेगी।
फिर क्या कारण हो सकता है -
जरुरी नहीं है की आप या सभी मेरे विचार से सहमत हो लेकिन मुझे लगता है वो बताता हूँ।
विवादित किताबे लिखना या अपनी किताब में विवाद डालना गलती नहीं बल्कि सोची समझी साजिश होती है। इसे आप मेरे स्वयं के उदाहरण से समझे
मान लो मैंने आज एक किताब लिखी और उसमे मेने अपने दिमाग की गंदगी भर दी अर्थात कुछ भी अंट शंट अपने विचार डाल दिए जो मेरी विचारधारा को लेकर हो।
फिर हो सकता है आज लोगो को पसंद न आये, लोग उसपर हो हल्ला करे। मीडिया वाले चिल्लाये, फिर मेरी भी विचारधारा के लोग आगे आएंगे और मेरा और मेरी किताब में विवाद का समर्थन न करने का नाटक करेंगे।
जिससे मीडिया शांत हो जाएगी और देशवाशी भी चुप हो जायेगे, इसे किताबी और दिमागी गलती समझा जायेगा और कुछ दिनों बाद इस बात को भुला दिया जायेगा।
यहाँ उदाहरण भी ख़त्म होता है और आपको लगेगा बात भी ख़त्म हो गयी।
लेकिन क्या आप को इस प्रश्न "आखिर लोग क्यों लिखते है विवादित किताब? का उत्तर मिल गया?
पक्का पता है नहीं मिलेगा होगा।
मेरे अनुसार विवादित किताब की कहानी यही से शुरू होती है जहाँ से सारी बात ख़त्म हो जाती है। ये बहुत बड़ी प्लानिंग है भारत की संस्कृति, धर्म और यहाँ की डेमोग्राफी को बदलने का।
क्युकी आज आप जो किताब विवादित समझकर आपने कचड़े के डब्बे में डाल देते या भूल जाते है , भविष्य में उसी विचारधारा की सरकार आने पर उसी किताब की उसी विवादित वाक्य या लाइन को आपके बच्चो के स्कूल किताबो में डालकर उन्हें झूठ पढ़ाया जाता है। विवादित किताब लिखने वाला लेखक तो मर जाता है लेकिन उसकी गंदगी इस समाज को हमेशा खोखला करती रहती है।
लोगो को इतना भ्रमित किया जाता है की वे अपने धर्म और जाती से नफरत करने लगते है और कभी कभी तो धर्म भी परिवर्तन कर लेते है।
धर्म परिवर्तन मुझे एक वायरस की तरह लगता है। जैसे की Zoombies होते है। की किसी एक को Zoombie काट लेता है तो वो खुद Zoombie बनकर समाज सबको काटने में लग जाता है।
और समाज में ऐसे Zoombies को पैदा करने में इन विवादित किताबो को बहुत बड़ा हाथ होता है। ये भविष्य / संस्कृति, धर्म और डेमोग्राफी बर्बाद करने वाली टाइम बम की तरह होती है जो भविष्य में आपके बच्चो के दिमाग में उनके स्कूल या स्कूल टीचर द्वारा इस किताब को जरिया बनाकर डाला जाता है।
इसकी सत्यता की प्रामणिकता जांचने के लिए अब आपको इंटरनेट पर ऐसे लोगो को सर्च करना है जिन्होंने विवादित किताबे लिखी है, उनकी लिस्ट बनाये , कोशिश करे उस विवादित वाक्य या चैप्टर को जरूर पढ़े और उनका सम्बद्ध किस पार्टी और विचारधारा से उसे समझे। ऐसा उन्होंने क्यों किया वो भी सोचे। क्या वो देशभक्ति से सबंध रखती है या गद्दारी से उसे सोचे।
अगर आपको भी कुछ समझ में आये तो ऐसे लोग और पार्टियों के बारे में अपने बच्चो को जरूर सावधान करे, उन्हें पहले ही सत्य बताकर रखे ताकि भविष्य में झूठी शिक्षा से वो नास्तिक या काफिर न बने। और धर्म परिवर्तन तक न पहुंचे ये हर माता पिता का कर्तव्य होना चाहिए।
आशा है मेरी ब्लॉग पोस्ट आपको पसंद आयी होगी। थोड़ी सी राजनीती से सम्बंधित है लेकिन जरुरी लगा ये विषय।
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