इसलिए स्पष्ट है कि "राष्ट्रवाद शब्द का बड़ा सकारात्मक रूप अतिराष्ट्रवाद है"। जैसे कि - अति उत्साहित या अति प्रसन्न शब्द " - Hyper Nationalism
मैने अपने जीवन में राष्ट्रवाद किस रूप में समझा है वो मैंने आपको अपनी पिछली पोस्ट में बता दिया था और साथ ही साथ बोला था कि अतिराष्ट्रवाद के बारे में आपको बतायूंगा
कि अतिराष्ट्रवाद के बारे में क्या समझाता हूँ? -
क्युकी आज सूचनाओं के प्रसार की सदी है। जिस सूचना को आप लाइक और फॉलो करेंगे, उसी तरह की सूचना आपको अपना गुलाम बनाकर रखेगी, मतलब हर सेकंड आपके स्मार्टफोन में वही सूचना दिखेगी जो आपके विचारधारा को सूट करती है। आपको वो दिखाई ही नहीं देगा जिसे आप सुनना या देखना पसंद नहीं करते। अर्थात आप या तो सत्य से बहुत दूर है या फिर असत्य से।
जैसा की मैने आपको राष्ट्रवाद का मतलब बताया था कि -
राष्ट्र - अर्थात वह भूखंड जिस पर सभी धर्म व् जाति के लोग रहते है या खड़े है जो सविंधान द्वारा एक दूसरे से जुड़े है।
वाद - जो विना किसी विवाद हर परिस्थिति में अपने राष्ट्र के लिए सकारात्मक भाव है। कोई विवाद नहीं।
अति - अर्थात जरुरत से ज्यादा
अगर हम माने कि अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती। तो हिंदी शब्द होंगे -
अति हताश - अर्थात जरुरत से ज्यादा हताश होना ( जिसका परिणाम असफलता)
अति भोजन - अर्थात आवश्यकता से बहुत अधिक भोजन करना (जिसका परिणाम बीमार और आलसी जीवन)
ठीक वैसे ही
अगर हम माने की ही कुछ चीज़ो की अति अच्छी होती है। तो वे हिंदी शब्द होंगे -
अति उत्साहित - अर्थात जरुरत से ज्यादा उत्साह ( परिणाम - सफलता)
अति प्रसन्न - अर्थात जरुरत से ज्यादा प्रसन्न होना (परिणाम - सुखी जीवन )
अर्थात अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती, ये मानना पूर्णतः सत्य नहीं है।
इसलिए स्पष्ट है कि "राष्ट्रवाद शब्द का बड़ा सकारात्मक रूप अतिराष्ट्रवाद है"। जैसे कि - अति उत्साहित या अति प्रसन्न शब्द "
लेकिन अगर कोई पत्रकार, लेखक या बुद्धिजीवी आपको किसी विदेशी लेखक या विदेशी घटना का उदाहरण देकर ये कहे कि अतिराष्ट्रवाद देश के लिए घातक होता है। तो उनसे पूछे -
अपने भारत देश की घटना के बारे में जिसमे अतिराष्ट्रवाद ने नुक्सान पहुंचाया हो।
लेकिन मेरे पास Ati Rashtravad का बेहतर और प्रमाणित उदाहरण है जिससे समझा जा सकता है कि देश को Hyper Nationalism से फायदा हुआ था।
वह उदाहरण है -
अतिराष्ट्रवाद का पालन करने वाले शहीद जैसे कि भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफ़ाक़ उल्ला खां, झाँसी की रानी, छत्रपति शिवजी महाराज इत्यादि और अन्य नेता।
आज की बुद्धिजीवियों से पूछे जिन्होंने अतिराष्ट्रवाद शब्द की गढ़ना कि -
कि गरम दल के लोग राष्ट्रवादी थे या अतिराष्ट्रवादी?
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