Are investigative agencies like CBI independent in India or not? Is CBI an independent body in India? भारत में CBI जैसी जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं कि
झारखंड के रहने वाले यश जलुका को UPSC-2020 में ऑल इंडिया चौथी रैंक हासिल हुई है. उनसे इंटरव्यू पैनल द्वारा ये ट्रिकी सवाल पूछा गया था. इस बात को खबर बनाकर देश के प्रतिष्ठित प्राइवेट मीडिया आजतक ने प्रकाशित किया है।
झारखंड के रहने वाले यश जलुका ने जवाब में कहा कि -
मेरे विचार से भारत में सीबीआई समेत अन्य जांच एजेंसियां आंशिक रूप से ही स्वतंत्र हैं. इसके टॉप ऑफिसर्स का चयन सरकार ही करती है. इसके अलावा इन जांच एजेंसियों द्वारा होने वाली रेड या अन्य कार्रवाई का कई बार पब्लिक को कारण भी पता नहीं चल पाता कि आखिर क्यों छापा मारा गया.
वो कहते हैं कि मैंने जवाब के साथ यह सुझाव भी दिया कि इन एजेंसियों के लिए संसद में एक कमेटी ऐसी होनी चाहिए जहां कोई भी एजेंसी ये सूचित करे कि उनके छापेमारी के पीछे वजह क्या है,उनके पास किस तरह के एविडेंस हैं जिसके आधार पर यह कार्रवाई हो रही है. भले ही यह जनता से गुप्त रखा जाए लेकिन विपक्ष को इसके बारे में पता होना चाहिए.
जबकि पूरा सच क्या है ? -
भारत में सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां स्वतंत्र नहीं हैं। सीबीआई भारत सरकार के अधीन होती है और उसे इसके द्वारा दिए गए अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करना होता है। सीबीआई को भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था और इसके निर्देशक मंत्री के अधीन होता है। यहाँ अधीन का अर्थ गुलामी या चापलूसी नहीं बल्कि सविंधान के नियमो के अधीन रहते है।
सीबीआई को अपनी जांच के लिए आवश्यक अनुमति भारत सरकार से प्राप्त करनी होती है, जवाबदेही सरकार की होती है। क्युकी कोई भी विधायक या MLA संसद में सरकार से प्रश्न पूछ सकता है।
सीबीआई को भारतीय दंड संहिता और अन्य कानूनों के अंतर्गत काम करना होता है, अर्थात संविधान के अनुसार। यह संस्था नियमों और विधियों के अधीन होती है और इसे नियमित रूप से संबंधित सरकारी अधिकारियों को रिपोर्ट करना होता है।
भारत सरकार अर्थात -
मंत्री बनने वाला व्यक्ति एक शपथ से जुड़ा रहता है जब मंत्रालय या कार्यभार सौपा जाता है
जबकि अन्य विधायक और MLA जरुरी नहीं कि वो किसी भी मंत्रालय या एजेंसी के प्रति उत्तरदायी हो। विपक्ष के विधायकों और MLA को अपने क्षेत्र के लोगो की आवश्यकताएं और सुविधाएं के लिए आवाज़ संसद में उठाने की जिम्मेदारी मिलती है। अर्थात वे भी जनता के प्रति अपने कर्तव्यों के अधीन या उत्तरदायी रहते है।
तो क्या उन्हें भी CBI, पुलिस या कोई सुरक्षा एजेंसी कोई ऐसी सुचना देगी कि छापेमारी के पीछे वजह क्या है, उनके पास किस तरह के एविडेंस हैं जिसके आधार पर यह कार्रवाई हो रही है?
यह मेरे अनुभव से ठीक तथ्य नहीं है। अगर किसी को किसी भी सुरक्षा एजेंसी की कार्यवाही से दिक्कत या प्रॉब्लम है तो उसे भी एवीडेंस के आधार पर कोर्ट में चैलेंज करना चाहिए। क्युकी नागरिको को सम्पूर्ण रूप से न्याय का अधिकार या न्याय मिले इसके लिए न्यायपालिका होती है।
अगर UPSC के परीक्षार्थी के अनुसार सोचे तो -
- पुलिस अपने राज्य के विपक्ष को अपनी कार्यवाही बताएगी
- CRPF किसी भी राज्य के विपक्ष को अपनी कार्यवाही बताएगी
- सेना कार्यवाही से पहले विपक्ष को अपनी कार्यवाही बताएगी
- CBI कार्यवाही से पहले विपक्ष को अपनी कार्यवाही बताएगी
- इसी प्रकार से अन्य एजेन्सिया अर्थात इत्यादि।
अर्थात सरकारी एजेंसी की जबाबदेही सविंधान की शपथ से बंधे अर्थात सरकार में शामिल महानुभावों के साथ साथ विपक्ष के प्रति भी होनी चाहिए। यही हुआ न ?
अगर कोई अफसर सरकार की बाते लीक करके विपक्ष को बताएगा तो गोपनीयता की कसम खिलवाने को कोई महत्त्व ही नहीं रह जायेगा। इस प्रकार की बातें करना उचित नहीं, जब ये देश सर्वमान्य सविंधान के नियमो से चल रहा है।
Disclaimer :
1. सबके अपने-अपने विचार होते है, यह मेरा व्यक्तिगत विचार था, फालतू में दिल पर न ले। मेरा व्यक्तिगत विचार सही भी हो सकता है या गलत भी। मेरा विचार सही होने से कोई मेरा UPSC में चयन नहीं हो जायेगा।
2. ओहो ! Sorry! UPSC इत्यादि सरकारी नौकरियों से तो गरीब सवर्णो को पहले ही दूर कर दिया गया है, क्युकी इन्हे अन्य गरीबो के समान सरकारी सहायता नहीं मिलती है। सरकारी सहायता के लिए मुझे शायद कुछ विशेष जातियों में पैदा होना चाहिए था।
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