इस बार के मतदान में भी बहुत से लोग ऐसे होंगे जो पहली बार वोट करेंगे। यह बाबा भीमराव अम्बेडकर की सोच और समझ का नतीजा है कि भारत का संविधान स्वतंत्र रूप
जैसे की आपको पता होगा कि चुनाव आयोग ने हाल ही में चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान किया है। तो हर बार की तरह इस बार के मतदान में भी बहुत से लोग ऐसे होंगे जो पहली बार वोट करेंगे। यह बाबा भीमराव अम्बेडकर की सोच और समझ का नतीजा है कि भारत का संविधान स्वतंत्र रूप से अपना कार्य करता है।
इसलिए यहाँ मैं अपने अनुभव बताता हूँ की क्या सोचकर वोट करना चाहिए, और क्या नहीं।
Note - मैं भली भांति समझता हूँ कि सबके अपने अपने सकारात्मक भाव होते है । अगर आपके सकारात्मक विचार अलग है तो मैं उनका सम्मान करता हूँ।
सबसे पहले इन शब्दों को थोड़ा और समझते है -
मत - अर्थात समर्थन करना या पसंद करना।
दान - दान करनाअर्थात इसके बदले में आपको कुछ मिलेगा नहीं क्युकी दान वापस माँगा नहीं जाता।
मतदान - अपने मत का दान करना।
चुनाव - दो या दो से अधिक नेताओं या पार्टी में से किसी एक को अपना मत देने का अर्थ उसे चुनना है।
अर्थात वोट देने का मतलब है कि दो या दो से अधिक नेताओं या पार्टी में से किसी एक को वोट देना है।
लेकिन चुनने में अगर भ्रमित है तो कि किस पार्टी को चुने या किस व्यक्ति को चुने तो इन बातों पर विचार अवश्य करना चाहिए।
किसी परिचित को वोट देना -
अगर पहली बार अपना वोट अपने किसी परिचित सदस्य को देखकर ही सिर्फ वोट दिया है। तो क्या आपने ईमानदारी को चुना है ?विचार करे और पहले न्याय चुने ।
अपनी जाति वाले को ही वोट देना -
अगर अपनी और उसकी जाति को एक जैसा देखकर ही सिर्फ वोट दिया है । तो क्या आपने जातिवाद नहीं फैलाया? विचार करे और पहले न्याय चुने ।
अपना धर्म देखकर वोट करना -
अगर अपनी और उस उम्मीदवार के धर्म को एक जैसा देखकर ही सिर्फ वोट दिया है, तो क्या न्याय से बड़ा धर्म है? क्युकी जिस धर्म में न्याय ही धर्म से छोटा हो वहाँ किसके साथ न्याय हो सकता है? खैर
तो फिर सबसे पहले क्या देखे ? -
सबसे पहले पार्टी -
मेरे अनुसार तो बाबा साहब का सविंधान ही सबकी अपनी विचारधारा होनी चाहिए। और उस विचारधारा के अनुसार सबसे पहले आपको किसी भी राजनीतिक पार्टी को चुनते समय उन राजनीतिक पार्टियों के अंदर के सविंधान को देखना चाहिए, क्या उन्होंने सविंधान को अपनी पार्टी या राजनीतिक जीवन अपनाया है या नहीं।
फिर अपने क्षेत्र के उम्मीदबार को भी देखे -
पैसे वाला है इसलिए अमुक पार्टी ने उसे टिकट दिया या वह व्यक्ति वास्तव में जनता या देश की सेवा करना चाहता है।
अगर किसी अमुक उम्मीदबार ने उम्मीद से ज्यादा पैसा देकर किसी पार्टी का टिकट लिया है तो क्या वह व्यक्ति परिचित होने के बाद भी पहले जनता के लिए फण्ड का इस्तेमाल करेगा या अपने फायदे के लिए, इसमें संदेह ही बात है।
इसलिए
हमेशा ऐसी पार्टी का उम्मीदबार चुने जो बाबा साहब का सम्मान करती हो, उनके सविंधान का सम्मान करती हो। सविंधान का राजनीतिक जीवन में पालन करना ही उसका सच्चा सम्मान है। इसलिए सामाजिक संगठन के रूप में काम करने वाली पार्टी को ही वोट देना चाहिए, जहाँ एक दूसरे के अध्यक्ष भी वोट के माध्यम से चुने जाते हो।
क्युकी जिस राजनीतिक पार्टी में खुद का संविधान होता है उसमे आपके क्षेत्र का भी उम्मीदवार भ्रस्टाचार करने से पहले कई बार सोचेगा क्युकी उसे पार्टी से निकाला जा सकता है,
क्युकी से कौन निकाल सकता है जिसने पैसे देकर आपके क्षेत्र का टिकट लिया हो।
अगर हो सके तो अपने पहले वोट की शुरुआत पहला वोट न्याय को देने को करे। न्याय को धर्म से छोटा न करे, क्युकी न्याय का दूसरा नाम ही धर्म है । जहाँ न्याय होता है वही धर्म है।
इसलिए जिस तरह से वोट करना धर्म है वैसे ही वोट किसे करना है वह भी धर्म है।
ऑनलाइन मतदान -
ऑनलाइन मतदान कैसे करें इस बात की प्रतीक्षा कई सालो से कर रहा हूँ, हो सकता है। सरकार के दिमाग में उन वोटो को भी उनका अधिकार देने का कोई रास्ता हो। जो अपनी आर्थिक स्थिति के कारण दूसरे शहर की नौकरी से छुट्टी नहीं जा पाते है। शायद कोई ऑनलाइन मतदान जैसी कोई सुविधा हो क्युकी एक-एक वोट का महत्व होता है।
मुझे आशा है, कि मेरे द्वारा दी गयी मेरे विचारो पर आधारित जानकारी से उन पहली बार वोटर्स को सोचने में काफी सहायता प्रदान करेंगे जो उचित न्याय नहीं कर पा रहे थे।
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