पितृ पक्ष में क्या करे? पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए? pitru paksha tithi chaturthi date time in 2024, Pitru Paksha/Shraddha - No care for living
आज श्राद्ध के समय कुछ लोग सोशल मीडिया पर ऐसे ज्ञान दे रहे जैसे कोई कालनेमि सनातनियो को उनके पथ से भटकाना चाहता हो। जैसे कि - जिन्दा माँ बाप को कोई देखता नहीं, मरने के बाद खीर पूरी बांटना अन्धविश्वास है। सोचा कमेंट करके जवाब देने से अच्छा अपने ब्लॉग पर अपने विचार व्यक्त करू, इस बात पर मैं क्या सोचता हूँ उसे अपने "What I Think " सेक्शन के द्वारा जितना मुझे इतने जीवन में समझ में आया उसे बताता हूँ।
अगर ज्ञान नहीं है फिर भी श्राध्द करना चाहते है तो सीधा-सीधा अपने पूर्वजो को धन्यवाद रूप में ह्रदय से, निस्वार्थ से श्राध्द कर दे। इतना तो कर ही सकते है।
लेकिन आप पूर्वजो को नहीं मानते, या पुनर्जन्म को नहीं मानते तो फिर आप भगवान् में विश्वास नहीं करते। ऐसे लोगो को नैतिकता का पाठ कौन समझा सकता है।
तो फिर श्राध्द कौन कर सकता है?
पुत्र या पुत्री या इनके न होने पर इनके पुत्र या पुत्री श्रध्दा और भक्ति के साथ श्राध्द कर सकते है। श्रध्दा और भक्ति तभी होती है जब श्राध्द की महिमा अर्थात माहात्म्य का ज्ञान हो।
लेकिन श्राध्द क्यों करते है?
इसके लिए आपको श्राध्द महिमा किसी परम्परारा के साधु या संत से जानना चाहिए। फिलहाल इस उदाहरण से समझे, जो मेरे मतिष्क में आया है -
पुत्र या पुत्री श्राध्द कर्म के द्वारा "No Objection Certificate " उस आत्मा को देते है, अर्थात बच्चे सभी बंधनो से मुक्त करने का प्रमाण पत्र देते है, जिससे आत्मा मुक्त होकर पुनर्जन्म के चक्र में भाग लेने के लिए उसे फिर से मौका मिल जाता है ताकि वह जीव भगवान् प्राप्ति के लिए प्रयत्न कर सके।
और इस प्रकार से पुत्र या पुत्री के ऐसा करने पर वे आत्माये आशीर्वाद देती है। याद रखे, श्राप और आशीर्वाद कभी व्यर्थ नहीं जाते है।
श्राध्द करना है कि नहीं, कैसे पता करे?
अपने पूर्वजो के श्राध्द अभी बाकी बचे है कि नहीं, उसे सोचने से पहले सबसे पहले स्वयं के माता पिता का श्राध्द अवश्य करे (जो भी जीवित न हो ), अगर दोनों जीवित है लेकिन आपका परिवार परेशान है, श्राध्द न करने के दोष (पितृदोष) प्रकट हो रहे है? तो श्राध्द के बारे में, अपने माता पिता से पूछे । अगर उन्होंने नहीं किया, तो अवश्य करवाए, उनका ऐसा करने में सहयोग करे । अगर माता पिता के श्राध्द करने के बाद भी, पितृदोष के लक्षण दिखाई दे रहे है तो अपने सभी पूर्वजो का आवाहन करके उनके बारे में भगवान् से प्रार्थना कर सकते है। किसी परम्परा के अन्तर्गत आने वाले साधु संत से बात करे
पितृदोष के कारण -
गलत कर्मो अर्थात अज्ञानता के कारण पीढ़ी का विनाश हो जाता है। इसलिए अपने पूर्वजो में इन कुकर्मो को पता करे जिसकी वजह से उनके परिवार में सभी की बुद्धि असंतुलित हुयी है।
- वे अधर्म के सामने झुक गए होंगे
- लालच के लिए धर्म परिवर्तन किया होगा, धोखा दिया होगा, झूठ बोला होगा ।
- पूर्वजो की निशानी अर्थात उनके सरनेम (अपने गोत्र /वंश का नाम) को त्यागा होगा ।
- स्वार्थ के लिए किसी को धोखा दिया होगा या चोरी की होगी।
- स्वार्थ के लिए गलत चुनाव किया होगा। साथ दिया होगा, या गलत न्याय किया होगा
- किसी की हत्या करना, कटु शब्द बोलना, अपनी प्रशंसा करना, किसी के गलत में साथ होगा।
- अपनी या अपने परिवार की आत्मरक्षा न करके, उन्हें धोखा देकर भाग गया होगा।
- ऊपर दिए गए कुकर्म करने वाले कुकर्मी का साथ दिया होगा।
- और अन्य अनैतिक कुकर्म
इत्यादि कुकर्मों के साथ अगर पूर्वज अपना जीवन जीकर गए है, जो स्वार्थवश ये सोचते थे कि अपना एन्जॉय करो सही या गलत तरीके से। बच्चे खुद अपना देख लेंगे हमें क्या।
तो उस परिवार में ये चीज़े जरुरत से ज्यादा होगी। (जैसे भोजन में अत्यधिक नमक होने से स्वाद बिगड़ जाता है। ) -
- घर परिवार में सभी के अंदर अत्यधिक लालच होगा।
- घर परिवार में सभी के अंदर एक दूसरे से अत्यधिक मोह होना। लेकिन प्रेम नहीं होगा।
- घर परिवार में सभी के अंदर अत्यधिक एक दूसरे से, समाज से, हर किसी से मान, सम्मान, पैसे या प्रॉपर्टी को लेकर भयभीत होंगे। जिससे क्लेश और लड़ाई उत्पन्न होगा।
- घर परिवार में सभी का अत्यधिक स्वार्थी होना। और उसी स्वार्थ के लिए एक दूसरे से भेदभाव करेंगे ।
- घर परिवार में एक दूसरे से ऊपरी दिखावे का प्रेम करना, लेकिन पीठ पीछे अत्यधिक जलन या ईर्ष्या होना।
- मांगलिक कार्य न हो पाना जैसे विवाह , पुत्र जन्म, इत्यादि
ऐसे परिवार में पले, बढे ज्यादातर बच्चे अपने चिढ़े हुए स्वभाव के कारण, अपने माता पिता पर हाथ तक उठा देते है, खाने को नहीं देते और तो और वृद्धाश्रम तक छोड़कर आ जाते है।
लेकिन
लेकिन
लेकिन
अगर इसी परिवार में पला बढ़ा व्यक्ति अगर गलती से ही सही, श्रीमद् भागवत कथा, या श्रीमदवाल्मीकि रामायण, या श्री हनुमान चालीसा या या श्रीमद भगवदगीता पढ़ लेता है, या भगवान् के नाम का जप करने लगता है तो?
तो उसकी भ्रमित बुध्दि ठीक हो जाती है और अपने माता पिता के कुकर्मों को अनदेखा करके अर्थात ऐसे कुकर्मों पर क्रोध न करके अपने धर्म को निभाते है, श्राध्द करके अपने पूर्वजो का आभार व्यक्त करते है, तो बदले में उनके स्वयं के बच्चे भी उन्ही के संस्कारो से प्रेरित होकर आपके जाने के बाद श्राध्द करते है।
यह से इस पीढ़ी की या वंशवेल फिर से सही ट्रैक पर आ जाती है। ऐसी स्थिति में आपका पुनर्जन्म होने का नंबर आपके माता पिता से पहले आ जाता है।
पूर्वजो का जन्म, आपके बाद क्यों?
क्युकी उनका श्राध्द आपने तो कर दिया और वे मुक्त भी हो गए लेकिन उन्होंने स्वयं ने अपने माता-पिता का श्राध्द नहीं किया था तो वे अपने पूर्वजो के श्राप के कारण (चन्द्रमा के अंधकार वाले क्षेत्र में ) उस लाइन में लगते है जिसमे भोगयोनि के जीवो (अन्य जानवर, नभचर, जलचर इत्यादि जीवो के रूप में) का जन्म होता है। उसे भोगने के बाद तब कही मनुष्य बनने का नंबर आता है।
- लेकिन अगर आपको अपने धर्म के प्रति भ्रमित किया गया है जैसे कि -
- जातिवाद ख़त्म करने के लिए अपना वंश, Sarname, या गोत्र हटा दो।
- जीवित माता-पिता की परवाह नहीं, मरने के बाद खीर-पूड़ी। ये सब अंधविश्वास है।
- कर्मकांड या ब्राह्मणवाद से मुक्ति या आज़ादी,
- मंदिर मत जाना क्युकी वे छुआछूत करते है। इत्यादि तरीको से, तो फिर आपके घर में ऊपर दिए गए दोष होना बहुत आम बात है।
तो इसलिए भगवान् की ह्रदय से प्रार्थना करके अपने पितरो को अवश्य मुक्त करे। और अपने बच्चो को भी सिखाये।
डिस्क्लेमर - यहाँ दी गयी जानकारी किसी शास्त्र से संदर्भित नहीं है, यह स्वयं की जानकारी मात्र है जो अधूरी या गलत भी हो सकती है। शास्त्रों और परम्परा से प्रमाणित गुरु की शरण में जाकर पूछे।
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