क्या मैं खुलेआम अपनी नाभि दिखा सकती हूं? Can I expose my navel in public in India? Why should not show or expose your navel or belly button, Alert
If you are searching, Can I expose my navel in public or should I show or expose my navel or belly button, So be careful, you may become fodder for heretics.
आज अपनी कंपनी के बाहर, जब चाय की दुकान पर बैठा था तो एक महानुभाव ब्लॉग्गिंग के बारे में अपने विचार रख रहे थे। उनको सुना तो अच्छा लगा और काफी कुछ सीखने को मिला। धीरे से मैंने भी बोल दिया कि मेरे अपने नाम का मेरा भी ब्लॉग जिसमे "मैं क्या सोचता हूँ? - What I Think" उस बारे में लिखता हूँ।
उन्होंने पूछा मतलब ?
मैंने कहाँ जो विचार आप चाय की दुकान पर बता रहे है, उसे में अपने ब्लॉग पर लिखता हूँ, सबके अपने अपने विचार होते है, और इसलिए सब अपने-अपने भौतिक और आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार अपने-अपने विचार रखते रहते है।
विचारो का आदान प्रदान होना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन विचारो की पहचान त्रिगुणात्मक रूप में अवश्य होनी चाहिए।
अब वह शांत होकर अपने इंस्टाग्राम को ऊपर नीचे करके रील देखने लगे।
4-5 रील देखने के बाद बोले - भाई साहब ! ये हिन्दू लड़कियों और घर की औरतों को पता नहीं क्या हो गया, साधारण ब्लॉग्गिंग से हटकर अपना पेट दिखाती रहती है?
थोड़ी देर के लिए मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या बोलू?
लेकिन बात अगर पूरी तरह से सही नहीं होगी, तो गलत भी नहीं थी।
(चूँकि मैंने वहाँ पर अपने विचारो को विस्तृत रूप से बताया था, इसलिए मुझे लगा कि उस उत्तर को अपने ब्लॉग पर भी डालना चाहिए। लेकिन लिखते समय उस उत्तर को काफी छोटा किया है। समझने वाले समझ जायेगे और नहीं समझने वाले चारो वेद, 18 पुराण पढ़ने के बाद भी नहीं समझेंगे।)
मैंने उनसे कहा - देखो, भाई साहब ! इस संसार में ज्ञान के तीन रूप है। जिनको समझने के बाद, आप किसी के भी विचारों को त्रिगुणात्मक रूप से पहचान सकते है। वे ज्ञान है -
- सत्वगुण से उत्पन्न सात्विक ज्ञान
- रजोगुण से उत्पन्न राजसिक ज्ञान
- तमोगुण से उत्पन्न तामसिक ज्ञान
सात्विक ज्ञान -
शास्त्रों के अध्ययन से प्राप्त ज्ञान सात्विक ज्ञान होता है, इसे आध्यत्मिक ज्ञान भी कहते है । इसमें सत्य आचरण, निस्वार्थ भक्ति, निस्वार्थ कर्म, निस्वार्थ श्रध्दा, निस्वार्थ दया, निस्वार्थ रक्षा, निस्वार्थ विज्ञान, निस्वार्थ चिकित्सा इत्यादि समाहित होते है। यह ज्ञान, व्यक्ति को देवत्व का भाव देता है।
राजसिक ज्ञान -
सामाजिक और अर्थशास्त्र से सम्बंधित ज्ञान की अधिकता को भौतिक ज्ञान कहते है, इसमें भौतिक सुख की प्रधानता अधिक होती है। भौतिक सुख के लिए, किसी व्यक्ति का सात्विक ज्ञान कम जाता है।
ऐसे लोग सामाजिक और अर्थशास्त्र का ज्ञान होने के कारण तब तक राजसिक सुख भोगते है जब तक इनके पास पहले की अर्जित की हुयी आध्यत्मिक ऊर्जा होती है। आध्यत्मिक ऊर्जा के क्षय होने के साथ ही इनका समाज में पतन हो जाता है। ऐसा मनुष्य, अपने मनुष्य धर्म से गिर पड़ता है। आगे चलकर इनके वंश समाप्त हो जाते है। अर्थात इनके वंश देवत्व से राक्षसत्व में परिवर्तन हो जाते है। जिसे आज धर्म परिवर्तन भी कह सकते है। राजसिक ज्ञान मनुष्य को भौतिकता प्रदान करता है।
तामसिक ज्ञान -
अगर शास्त्रों के अध्ययन का उदेश्य ही स्वार्थ है, तो वह तामसिक ज्ञान होता है, जैसे गुरु शुक्राचार्य, तप करने वाले राक्षस, रावण इत्यादि ज्ञानी तो थे, लेकिन तामसिक प्रवृत्ति की अधिकता होती है।
तामसिक ज्ञान किसी मनुष्य को दूसरे किसी अन्य मनुष्य से उसके सात्विक और राजसिक ज्ञान से उत्पन्न ऊर्जा को स्वयं के स्वार्थ के लिए छीनने की प्रवृत्ति भी देता है।
भाई साहब ! त्रिगुणात्मक ज्ञान का अर्थ तो कुछ -कुछ समझ में आ गया, लेकिन इसका आज की घर-समाज की लड़कियों का सोशल मीडिया पर पेट या नाभि दिखाने का क्या और कैसे सम्बन्ध है?
मैंने कहाँ जिस तरह से रावण की नाभि में अमृत स्थापित था, ठीक वैसे ही सनातनियों की नाभि में भी आत्मचेतना होती है। यह आत्म चेतना उन मनुष्यों में भी हो सकती है जो बिना किसी ज्यादा ज्ञान के निस्वार्थ कर्म करते रहते है, अर्थात स्वार्थ को महत्त्व कम या नहीं देते है।
इसलिए सनातनी हिन्दू माताएं-बहने, खासकर ब्राह्मण माताएं-बहने जो अपने पूर्वजों के सात्विक कर्म एवं उनके स्वयं के सात्विक कर्म और पूजा अनुष्ठान के द्वारा अर्जित ऊर्जा से उत्पन्न आत्मचेतना को अगले वंश के लिए नाभि में छुपा कर रखती है, जिसे वे अपनी अगली पीढ़ी में ब्राह्मणत्व के रूप में शिशु-नाल से शिशु में कुछ आत्मचेतना ट्रांसफर करती है।
यहाँ ब्राह्मणत्व शब्द का अर्थ जाति से ज्यादा ब्राह्मणत्व को धारण करने वाली पीढ़ी से है, जो निरंतर भगवान् की सेवा करते आ रहे है।
(इसलिए ब्राह्मणो को सिध्दियां जल्दी सिद्द हो जाती है, शास्त्रों में भी भगवन को सबसे प्रिय ब्राह्मण ही रहे है। यहाँ ब्राह्मण का अर्थ जाति से नहीं बल्कि ऐसे मनुष्य परिवार से है जो ब्राह्मण जैसा जीवन जीता है अर्थात शास्त्र अध्ययन, विधि-विधान से भगवान् का जप-तप-व्रत करता है। )
Source - योगचूडामणि उपनिषद
आत्मचेतना की चोरी कैसे होती है?
यह बात अगर मैं कहूंगा तो अन्धविश्वास लगेगी, लेकिन अगर आप किसी गांव के ओझा, भगत या किसी तंत्र करने वाले से पूछे, तो वो आराम से ये सब बता देंगे कि वे और उनके जैसे तामसिक ज्ञान के अनुयायी बहरूपिये कैसे सात्विक ऊर्जा की चोरी करते है।
बॉलीवुड और टीवी में तो सब Navel दिखाती है?
उनके पास ऐसी कोई सात्विक ऊर्जा नहीं होगी, या उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं होगा जिसे उन्हें उसे छुपाकर या ढककर रखने की आवश्यकता पड़े।
हालाँकि बॉलीवुड में ऐसे कई केस सुनाने को आये है जिसमे कुछ माताओं बहनो का पुण्यवल इतना क्षीण हो गया कि आखिरी समय में उन्हें तिल-तिल कर मरना पड़ा, कही अस्पताल में, तो कही फुटपाथ पर, कही अकेली कोठरी में सड़ी हुयी अवस्था में मिली, कहानियाँ आती रहती है लेकिन हमें क्या फर्क पड़ता है, हम तो भ्रमित है। ज़िंदगी न मिलेगी दोबरा इसी में सब कुछ कर लो। है न :-)
यह सुनकर भाईसाहब को विश्वास नहीं हुआ। मैंने कहा अगर शास्त्रों में ढूढ़ सकते हो या किसी ज्ञानी से पूछ सकते हो, और अगर ये गप्प लग रही है तो ऐसा ही समझो। और मैं मुस्कराकर वहां से चला आया।
त्रिगुणात्मक ज्ञान और आत्मचेतना के बारे में शारीरकोपिनषत् (Shariraka Upanishad) से कुछ-कुछ समझ में आया, क्युकी इन बहरूपियों के पास खुद का पुण्यबल तो होता नहीं है, इसलिए समाज में इनसे भ्रमित लोग नाभि दिखाने को फैशन बोलकर, सात्विक ऊर्जा की चोरी करवाते है। और स्वयं की घर की स्त्रियों को काले कोट में ढककर रखते है।
आशा है कुछ भ्रम दूर हुआ होगा कि क्यू घरेलु पूजा-पाठ करने वाली माताओं और बहनों को (Navel Expose) नाभि या नेवल नहीं दिखाना चाहिए?
डिस्क्लेमर - यह जानकारी स्वयं का एक विचार है, जिसका कोई प्रमाण नहीं है, शारीरकोपिनषत् से कुछ जानकारी आपको मिल जाएगी, कुछ आपको ग्रामीण भगतवाल दे देंगे। लेकिन जिन भगतो ने क्षुद्र आत्माओं को वश करके काम करवाते है वे खुद ऐसे ही माध्यमों से ऊर्जाओं की चोरी करते है, वे क्या बताएँगे। उनसे दूर रहे। अगर यह आपको अंधविश्वास लगता है तो यह जानकारी आपके मनोरंजन के लिए थी, दिल पे मत ले, just chill your life
Note - शास्त्रों में कोई स्रोत मिलेगा तो जरूर यहाँ अपडेट करूँगा।
गूगल पर कुछ पूछे गए प्रश्नों के उत्तर -
FAQs -
क्या मैं खुलेआम अपनी नाभि दिखा सकती हूं?
अगर आप आस्तिक है तो बिलकुल नहीं दिखाना चाहिए, बाकी लोग हर बात पर हसी उड़ाते है, गधो का काम रेंकना है, आप खुद सोचिये एक प्रेत आपके पुण्यबल लेने के लिए हसी मजाक क्या, क्या क्या नहीं करेगा। इसलिए सावधान रहे।
Should navel be exposed?
No, if you are Hindu sanatani mothers and sisters, and doing any worship then you should not expose and show this thing.
What is the most attractive belly button shape?
It is a trape for Hindu Sanatani mothers and sisters. beware !!
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