घोषणा और संकल्प में क्या अंतर होता है? तो फिर संकल्प और प्रतिज्ञा में क्या अंतर है? संकल्प पत्र क्या है? संकल्प पत्र 2024 PDF, घोषणा पत्र 2024
आज कल चुनाव का समय चल रहा है तो अलग अलग राजनीतिक पार्टियां अपने अपने घोषणापत्र (Manifesto) और संकल्प पत्र को देश की जनता के सामने रख रही है। चूँकि भारत गुलामी से निकला है और गरीबी के कालखंड से निकल रहा है। तो ऐसे में आज की पीढ़ी अपने नैतिकता, और ज्ञान से थोड़ी दूर सी प्रतीत होती है। लेकिन अब इंटरनेट के कारण लोगो के बीच ज्ञान का प्रचार प्रसार बहुत तेज़ी से हो रहा है।
हो सकता है ज्यादातर लोगो को घोषणा और संकल्प के बीच का अंतर पता हो, लेकिन मैं क्या सोचता हूँ और मुझे कितना पता है उस बात को मैं यहाँ बता रहा हूँ। अगर अच्छा लगे तो बड़े हो तो आशीर्वाद और छोटे हो तो प्रेम दीजिये।
घोषणा -
जैसा हम जानते है कि प्रकृति त्रिगुणात्मक है, सत, रज और तम।
तो मेरा अनुभव कहता है कि यह शब्द रज और तम से भरा है। अर्थात इस शब्द का प्रयोग मैंने ऐसे ज्यादा सुना है।
- मैं घोषणा करता हूँ कि आज से मेरा नाम फलाना फलाना होगा।
- मैं घोषणा करता हूँ कि अब मेरा उनसे कोई सम्बन्ध नहीं है।
- मैं घोषणा करता हूँ कि आज से आपको भीख मिलेगी।
इत्यादि।
संकल्प -
अब हम फिर से प्रकृति के त्रिगुणात्मक रूप को याद करेंगे जो है, सत, रज और तम।
अब मेरा अनुभव कहता है कि यह संकल्प शब्द सत से भरा है। अर्थात इस शब्द का प्रयोग मैंने इस प्रकार ज्यादा सुना है।
- मैं संकल्प लेता हूँ इस व्रत को करने का।
- मैं संकल्प लेता हूँ इस यज्ञ या अनुष्ठान करने का।
- मैं संकल्प लेता हूँ किसी अमुक कार्य को करने का
इत्यादि
अब इन शब्दों की अदला-बदली करके देखते है।
- मैं घोषणा करता हूँ इस व्रत को पूरा करने का। और मैं संकल्प करता हूँ कि आज से मेरा नाम फलाना फलाना होगा।
- मैं घोषणा करता हूँ इस यज्ञ या अनुष्ठान करने का, और मैं संकल्प लेता हूँ कि अब मेरा उनसे कोई सम्बन्ध नहीं है।
- मैं संकल्प लेता हूँ कि आज से आपको भीख मिलेगी, और मैं घोषणा करता हूँ किसी अमुक कार्य को करने का।
अब आपको क्या समझ आया? अगर नहीं आया तो कोई बात नहीं, मैं इसे समझाने का प्रयत्न करता हूँ।
संकल्प -
यह पूरा ब्रह्माण्ड संकल्प से ही चलता है, संकल्प से बड़ा महत्त्व, महत्त्व का भी महत्त्व नहीं है।
क्युकी संकल्प कभी भी तोडा नहीं जा सकता, अगर संकल्प किसी कारण से टूटता है तो उसके गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते है।
यह बात संकल्प लेने वाले व्यक्ति को पता होती है। इसका शास्त्रों में सबसे ज्यादा महत्त्व है। क्युकी संकल्प के बिना ब्रह्माण्ड, प्रकृति और सनातन धर्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्युकी कल्पना करने वाला स्वयं भी कोई नहीं होगा।
जैसे कि राजा बलि को पता था कि अगर मैंने तीन पग जमीन नापने का संकल्प इस बटुक ब्राह्मण को दे दिया तो पूरा करना ही पड़ेगा।
संकल्प से ही सभी की उत्पति हुयी है।
संकल्प के फायदे -
अगर कोई व्यक्ति अपने किसी संकल्प को पूरा करता है तो ये ब्रह्माण्ड और प्रकृति (दैवीय शक्ति) उसे उसका संकल्प का फल प्रदान करने को आतुर हो जाती है। क्युकी ऐसा करना उनका भी संकल्प है। शास्त्रों में कई जगह उल्लेख है कि यह पूरा ब्राह्मण संकल्प से ही चलता है।
घोषणा -
घोषणा का शास्त्रों में कोई इतना बड़ा महत्त्व नहीं है लेकिन व्यक्तिगतरूप से ही इसका महत्त्व है।
घोषणा के फायदे -
घोषणा पूरी न होने पर इसका कोई दोष नहीं लगता।
और घोषणा पूरी होने पर उस घोषणा का फल किसी व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार ही मिलता है।
इसमें कोई भी दैवीय शक्ति का उस अमुक व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं रहता। वह अपने कर्म का अच्छा या बुरा फल भोगने के लिए स्वतंत्र रहता है।
तो फिर संकल्प और प्रतिज्ञा में क्या अंतर है?
जैसा कि ऊपर बताया था कि संकल्प, किसी भी स्थिति खंडित नहीं किया जा सकता, अगर संकल्प सत्य अर्थात धर्म के लिए लिया गया है तो प्रकृति और पूरा ब्रह्माण्ड अपना योगदान कही न कही, किसी न किसी रूप में अवश्य देता है।
लेकिन अगर संकल्प असत्य अर्थात अधर्म के लिए लिया गया है तो प्रकृति और पूरा ब्रह्माण्ड कही न कही, किसी न किसी रूप में पूरा करने से रोकते है।
जैसे कि -
महाभारत के समय अधर्मी कर्ण के संकल्प को रोकने के लिए, इन्द्र भगवान् ने उससे कवच और कुण्डल मांग लिए, तो पृथ्वी माता ने उसके रथ का पहिया पकड़ लिया था।
तो फिर प्रतिज्ञा? -
यह मन और वाणी के द्वारा स्वयं को दी हुयी आज्ञा होती है, इसमें प्रकृति का कोई हस्तक्षेप नहीं होता लेकिन आपका मान और सम्मान प्रकृति और पृथ्वी में नष्ट होता है। अन्य योनियों के प्राणी उसे समझ जाते है कि जो अपनी आज्ञा स्वयं नहीं मानता, वह दुसरो की क्या मानेगा। ऐसे लोगो को लम्पट कहा जाता है, जिसकी बात का कोई मोल यही होता है।
आशा है यह जानकारी आपको यह समझने में अवश्य सहायता करेंगी कि कौन सा नेता बहरूपियाँ है या और कौन प्रजा सेवक।
तो ये था कि घोषणा और संकल्प के बारे में What I Think . आपको ये जानकारी कैसी लगी। अगर कही कोई शब्द गलत लगे हो तो क्षमा करे और कमेंट के माध्यम से मार्गदर्शन करे।
आप सभी को श्री सीताराम, जय हनुमान
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