अगर आप अपनी बेटी या बेटे के विवाह के लिए अच्छा घर देख रहे है, तो इन बातों को याद रखे, शायद फायदे में रहेंगे, वर्णसंकर का शूद्र से क्या सम्बन्ध है? hyb
कुछ बहरूपियों ने वर्णसंकर शब्द को शूद्र वर्ण से जोड़ दिया जबकि ऐसा नहीं है। शूद्र वर्ण भगवान को उतनी ही प्रिय है जितनी अन्य। जैसे कि -
ब्राह्मण स्वयं के मुक्त होने के लिए शास्त्रोक्त जीवन जीता है और वही संस्कार आगे की पीढ़ी को ट्रांसफर करता है तो मुक्ति मिल जाती है। ज्ञान का दुरूपयोग करने पर ब्रह्मराक्षस की गति भी मिल सकती है। अपने धर्म का पालन करना ही इनका मुख्य धर्म होता है।
क्षत्रिय को धर्म की रक्षा के लिए लड़ते हुए अगर वीरगति प्राप्त करता है तो तुरंत मुक्ति मिलती है। और वही संस्कार आगे की पीढ़ी को ट्रांसफर करता है तो भी मुक्ति मिल जाती है। जो क्षत्रिय धर्म की रक्षा और पित्तरों को वर्ष में एक बार या हर तीर्थ पर उनको भोग भेट देते है, वे पृथ्वी पर अत्यंत सुखी जीवन जीते है। अपने धर्म का पालन करना ही इनका मुख्य धर्म होता है।
वैश्य या व्यापारी अगर ईमानदारी से व्यापार करता है। और वही संस्कार आगे की पीढ़ी को ट्रांसफर करता है तो मुक्ति मिल जाती है। ये मन, कर्म, और वचन से अहिंसा के व्रत का पालन करते है तो अवश्य गति मिल जाती है। अपने कर्तव्य का पालन करना ही इनका मुख्य धर्म होता है।
शूद्र अर्थात नौकरी, चाकरी करके गृहस्थ जीवन चलाने वाले लोग ((आजकल की कोई जाति नहीं)) अगर सुबह शाम भी भगवान को याद कर ले और मन, कर्म, वचन से शुद्ध रहने की कोशिश भी करे, तभी भी इन्हे प्रभु आश्रय दे देते है। और वही संस्कार आगे की पीढ़ी को ट्रांसफर करता है तो पित्तरलोक या सीधी मुक्ति भी मिल जाती है। इन्हे अपने कर्तव्य का पालन करना ही इनका मुख्य धर्म होता है।
सनातन धर्म में शूद्र, वैश्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण कोई भी हेय नहीं है, बल्कि श्रेय है। फिर आपस में विवाह क्यों नहीं करते उसका कारण नीचे है। क्या आपस में विवाह करने को मना किया गया है, या पूर्ण सत्य नहीं है।
नोट : यहाँ ब्राह्मण, वैश्य, सूद्र और क्षत्रिय शब्दों का यहाँ आजकल की जातियों से कोई सम्बन्ध नहीं है। मैंने यहाँ सिर्फ कार्य के अनुसार वर्ण को समझा है, आजकल की जाति के अनुसार नहीं ।
वर्णसंकर के ऊपर बहुत से लोगो ने Quora, facebook और तमाम वेबसाइट पर अपने अपने विचार प्रकट किये है। ज्यादातर की दृष्टि सिर्फ वर्णो तक सिमट कर रह गयी, लेकिन मुझे वर्णसंकर संतान का सनातन धर्म के दो वर्ण में आपस के विवाह करने से कोई सम्बन्ध नहीं लगता ।
क्युकी सुखी जीवन के लिए दोनों के माता-पिताओं का समधि और समधन होना आवश्यक है। अर्थात समान धन,
यहाँ मेरा समान धन से तात्पर्य -
- कुल के देवी देवता दोनों के सात्विक, राजसिक या तामसिक जो भी हो, समान होने चाहिए।
- सम्पति दोनों माता पिताओ में कुछ हद तक समान होना चाहिए।
- सुख, साधन दोनों के माता पिताओ में समान होने चाहिए
- परिवार का रंग, रूप, भाषा, आकर, और प्रकार भी समान रहना चाहिए।
- जिनके घर में सात्विक देवी, देवता या ब्रह्म पूजित है, और यदि उस घर का लड़का ऐसी लड़की से विवाह करता है जो तामसिक भोजन करती है। तो सजा के लिए उस पीढ़ी को अपनी कमर पेटी कस लेनी चाहिए। जब तक पुण्य बचे है तब तक जी लो अपनी ज़िंदगी , उसके बाद चालू होगा दंड विधान।
इसलिए अगर आप अपनी बेटी या बेटे के विवाह के लिए अच्छा घर देख रहे है, तो इन बातों को याद रखे, शायद फायदे में रहेंगे।
यही कारण है कि सनातन धर्म के लोग अन्य विपरीत वर्णो में विवाह कम करते है। सिर्फ अपने बराबरी में ही विवाह करते है, चाहे लड़की का हो या लड़के का। सनातन धर्म में सभी वर्ण समान है। सभी श्रेय है। अत्यधिक तामसिक लोग (चाहे वे किसी भी जाति, वर्ण, कुल के हो) जो तामसिक भोजन करते है,वे कभी भी जानकार सात्विक व्यक्ति को अपने घर का दाना-पानी नहीं खिलाते-पिलाते है।
लेकिन विधर्मियों ने ऐसे छुआछूत का नाम दे दिया। उनसे खुद को अपने अपने कुल को बचाकर रखे, खासकर बॉलीवुड से, जिन्होंने अकेले भारत में बचे हुए सनातनियों को नैतिक पाठ पढ़ाने का ठेका लिया है, अन्य पंथो के लिए खामोश रहते है। इनके जब तक पिछले जन्म के पुण्य है तब तक कर ले जो करना है, नहीं तो सड़क पर भीग मांगते, कैंसर से तड़पते, या कमरे में ज़िंदा लाश बनकर सड़े तो ऐसी कहानियों पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
तो अगर कोई आपको कोई वर्णसंकर या शूद्र इत्यादि शब्दों का गलत तरीके से ज्ञान देकर भ्रमित करे या सनातन धर्म से दूर करने का प्रयास करे तो सावधान रहना। सनातन धर्म के चारों वर्णो, और उनमे सभी जातियों का कल्याण हो। भगवान् उनसे प्रेम करे और वे भगवान् से प्रेम करे।
जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी।
दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तुते॥
जय श्री हनुमान, जयश्रीराम, हर हर महादेव
डिस्क्लेमर - ऊपर दी गई जानकारी, मेरे अपने विचार है जो किसी तर्कशील व्यक्ति के लिए सही या गलत हो सकते है। इसलिए दिल पर न मिले, सीख मिले तो अच्छी बात, बुरी लगे तो क्षमा करे। ऐसी ही चित्र विचित्र जानकारी के लिए मुझे याद रखे - www.pradeeptomar.com के माध्यम से।
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