भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदू आबादी का हिस्सा 7.82% घटा है क्या हिन्दू भारत से भी ख़त्म होने वाले है?
भारत में हिन्दू अब सिर्फ कुछ दिनों का मेहमान रह गया है तो अगर मैं ऐसा सोचता हूँ तो इसके पीछे कोई बड़ी बात नहीं है। और अगर मैं यह भी सोचता हूँ कि सनातनी भक्तों, अर्थात आस्तिक हिन्दुओं को कोई मिटा नहीं सकता है तो यह उतना ही सत्य है जितना सूर्य से निकलता प्रकाश। यहाँ मेरे अंदर आये दोनों प्रकार के विचारों को लिखूंगा ताकि आप दोनों भावों की तुलना कर सके। तो चलिए जानते है कि आखिर क्यों सभी हिन्दुओं का ही धर्मानतरण करना चाहते है ? - What I Think?
शास्त्रों से समझ आया -
मुझे शास्त्रों के अध्ययन से इतना समझ में आया कि ये तो कलयुग की शुरुआत है। आगे चलकर सभी भ्रम के जाल में फसकर नास्तिक बनेगे, या धर्म परिवर्तन करेंगे। लेकिन क्या भक्त समाप्त हो जायेगे?, नहीं, ऐसा कदापि नहीं होगा, क्युकी भक्तो को बचाने के लिए ही कल्कि भगवान् अवतार लेंगे। मैं शास्त्रों का ज्ञाता नहीं हूँ। लेकिन जितना विचार किया, यही समझ आया।
धर्म परिवर्तन से स्वयं का खात्मा -
भारत में धर्म परिवर्तन धड्ड्ले से चल रहा है। धर्म परिवर्तन करने से सनातन धर्म कमजोर हो जायेगा ऐसा अन्य लोग सोचते है। क्युकी -
1. धर्म परिवर्तन करने से व्यक्ति अपना सर नेम अर्थात अंत के नाम को त्याग देता है जिससे इनके पूर्वजो और पित्तरो का आशीर्वाद हट जाता है।
2. माताएं, बहने बिंदी और कुमकुम का त्याग कर देती है, जिससे इनके ऊपर भी सुरक्षा कवच हट जाता है। अब ये परिवार बिना सुरक्षा के ऐसे लोगो के चंगुल में फसता है जो जीते जी इनको अपना गुलाम बनाकर रखते है, शारीरिक रूप से न सही लेकिन मानसिक रूप से गुलाम बनाकर रखते है। मरने के बाद ये आत्माएं असंख्य वर्षो तक इनकी गुलाम रहती है।
3. सात्विक हिन्दुओ के घर सात्विक देवताओं का आशीर्वाद और तामसिक हिन्दुओं के ऊपर तामसिक सनातनी शक्तियों का आशीर्वाद होता है। लेकिन सनातनी शक्तियों के साथ छोड़ने पर अन्य विधर्मी शक्तियों का वास होता है, और वे अपने अनुसार उस परिवार से भोग लेती है।
4. ये लोग मनु भगवान को कोसने लगते है, श्रीमनु भगवान के शास्त्रों को वाद या विवाद बताकर उसे मनुवाद कहते है। मनु के अंश होने से मनुष्य होना तो स्वीकारते है लेकिन उनके द्वारा बताये गए मुक्ति के सीधे, सरल मार्ग को वाद या विवाद बताकर अन्य लोगो को पूजा, तंत्र, मन्त्र से दूर करते है।
5. जब कोई सनातनी परिवार धर्म परिवर्तन करता है तो वह अपने देवी देवताओ को हवि देना बंद कर देता है, अर्थात हवन नहीं करता है। ऐसे में वे देवी देवता भी इनके हाल पर छोड़ देते है। अब सुख और दुःख इनके प्रारब्ध के अनुसार भोगने होते है, वो भी बिना कोई सुरक्षा कवच के।
6. जब कोई सनातनी परिवार धर्म परिवर्तन करता है तो वह अपने घर के या कुल के देवी देवताओ को भोग, प्रसाद देना बंद कर देता है। ऐसे में इनको उन शक्तियों का श्राप लगता है। और ये अधम लोकों में गिरकर, वहां के नियमित निवासी हो जाते है।
यह देखिये इसका प्रूफ -
कैसे रुकेगा धर्म परिवर्तन -
अगर आप चाहते है कि आपके बच्चे किसी भी हालत में धर्म न बदले, क्युकी अगर वे धर्म के साथ चलेंगे तो आपको भी मरने के बाद पानी-वानी मिलता रहेगा। इसलिए सिर्फ एक काम अवश्य करे कि -
आप चाहे किसी भी जाति के हो, अपने बच्चो को श्री हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए आदत बनाये, और शिव जी पर जल चढ़वाये। बस आगे की जिम्मेदारी श्री हनुमान जी खुद उठा लेंगे। उनको प्रेम से पुकारना, आपकी जिम्मेदारी है, बचाना उनकी जिम्मेदारी है। आपके बच्चे नशे, भ्रम, छल, और कपट से दूर रहेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। तो यह भी समझता हूँ कि आस्तिक हिन्दुओं को कोई मिटा नहीं सकता है तो यह उतना ही सत्य है जितना सूर्य से निकलता प्रकाश।
अगर समय निकाल पाए तो -
- स्वयं और स्वयं के परिवार की रक्षा के लिए किसी कवच का पाठ करे
- कुलदेवी, कुलदेवताओं और पित्तरो का आशीर्वाद बना रहे, इसके लिए भगवान की नित्य शास्त्रों से प्रचलित किसी स्तुति को अवश्य करे।
- शत्रुओं से और धर्म की रक्षा करने के लिए शस्त्र और अस्त्र का पाठ करके सिद्द करे। क्युकी ये समय मार खाने का नहीं है, बल्कि स्वयं की, अपने परिवार की और धर्म की रक्षा का समय है। रक्षा करते हुए मरेंगे तो वीरगति प्राप्त होगी।
- हमारे शास्त्रों में कवच, अस्त्र और शस्त्र सिद्द करने का तरीका ऐसे ही नहीं बताया गया है। इसलिए जातिवाद के भ्रम में न फसे, कोई भी जाति हो आपकी, आप धर्म और सत्य का साथ लेकर शास्त्र का ज्ञान लेना शुरू करे, उस पर चिंतन और मनन करे और स्वयं अनुभव करे।
ये नीचे दिया गया वीडियो प्रूफ विधर्मियो के लिए है जो सनातन धर्म पर विश्वास नहीं करते, ऐसा करके देखे स्वयं अनुभव करे। लेकिन ऐसे भोग भक्तों के लिए लिए नहीं है। वे सावधान और प्रभु की शरणागति में रहे
Disclaimer - दी गयी जानकारी स्वयं के अनुभव और विचारो पर आधारित है, जिसका उदेश्य सनातनी भाइयों को दूसरे पंथ या मार्ग में जाने से सावधान करना मात्र है। मेरा उदेश्य किसी भी धर्म, पंथ, जाति का अपमान करना नहीं है। जिसको कोई भी शब्द बुरा लगा हो, वे मुझे क्षमा करे।
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