क्या आपने भी देखा है Wedding Photography के दौरान किसी कैमरामैन को पंडित जी को चिढ़ाते हुए, मजाक करते हुए, उन पर व्यंग करते हुए? तो सावधान ?
Hindu Wedding Photography, What I Think - आज का ये ब्लॉग आपको पूरा अवश्य पढ़ना चाहिए, क्युकी हो सकता है आपने कभी इस दृष्टि से न सोचा हो। विवाह जीवन का एक बेहद महत्वपूर्ण और खुशी से भरा अवसर होता है, विशेषकर सनातन धर्म में जहाँ विवाह संस्कार बहुत सारे रिवाजों और परंपराओं से जुड़े होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक कैमरेमैन किसी संस्कार समारोह में आपकी अनुमति से प्रवेश करता है, आपसे पैसे भी लेता है, और आपका विवाह संस्कार भी नष्ट कर सकता है?
क्या आपने भी देखा है Wedding Photography के दौरान किसी कैमरामैन को पंडित जी को चिढ़ाते हुए ? कैसे, समझिये नीचे।
आपने अवश्य ही अपने जीवन में कई विवाह संस्कारो में भाग लिया होगा, अपने वहां देखा होगा है कि उस विवाह संस्कार में जो ब्राह्मणदेव आये हुए होते है, उनके प्रति भड़काने काम शायद कैमरामैन ही शुरू करता है। मैं यहाँ कुछ उदाहरण देता हूँ आप याद कीजिये कि आपने क्या क्या इसे और कब कब अनुभव किया है।
ताकि अगर आप किसी अगले संस्कार में भाग ले और वहां कैमरामैन की उपस्थिति हो तो सावधान रहे।
वे उदाहरण इस प्रकार है -
1. मंडप के नीचे विवाह संस्कार के समय ब्राह्मणदेव मंत्रो को बुदबुदाते है, इतने में पास में बैठा कैमरामैन वहां उपस्थित युवाओं पर तंज कसता है कि पंडित जी क्या बड़बड़ा रहे है? और वे युवा अज्ञानता में उसका साथ देने लगते है, एक समय आ जाता है कि कैमरामैन चुप हो जाता है और वे युवा पंडित जी से विवाह संस्कार को जल्दी-जल्दी करने का दवाब डालने लगते है। पंडित जी की उम्र, बोलचाल इत्यादि पर विनोद (हसी मजाक) करने लगते है।
2. मंडप के नीचे विवाह संस्कार के समय दोनों पक्षों के पंडित बैठे होते है, दोनों को मिलने वाला अर्थ भी बराबर होता है। इसी समय कैमरामैन तंज कसता है कि वरपक्ष के पंडित जी को पहले से मिला है, आप वधुपक्ष के पंडित का ज्यादा दीजिये, फिर कैमरामैन चुप होकर वहां पक्षपात या भेदभाव से उत्पन्न वाद-विवाद की स्थिति का आनंद लेता है, और विवाह संस्कार में बाधा उत्पन्न हो जाती है।
3. मंडप के नीचे विवाह संस्कार के समय कैमरामैन पंडित जी के बारे में कहेगा कि इन्हे दूसरी शादी में जाना है, इसलिए मन ही मन बुदबुदा रहे है, जल्दवाजी कर रहे है । जबकि पंडित जी विधि विधान से कार्य में लगे होते है, लेकिन वर और वधु पक्ष के विचारों में संदेह डालने का कृत्य कर दिया जाता है, और हमें पता भी नहीं लगता।
इसे में थोड़ा समझाता हूँ -
अगर पंडित जी कोई *बहरूपियाँ नहीं है तो उन्हें इस बात का ज्ञान होता है कि इस विवाह संस्कार से उत्पन्न प्राप्त पुण्यों का दशम अंश मुझे भी प्राप्त होगा। यह अर्थ के साथ साथ स्वयं का कल्याण करता है। अगर जानबूझकर लालच या किसी स्वार्थ के कारण संस्कार गलत करवाया भी जाता है, तो याद रखिये उस गलती से उत्पन्न दोष का भी दशम अंश पंडित जी को मिलता है। तो आप स्वयं सोचिये कि कोई ब्राह्मण ऐसी गलती क्यों करेगा। आपने अगर कोई बहरूपियाँ पकड़ लिया है अपनी अज्ञानता के कारण तो कोई आपका प्रारब्धया ही होगा, जिसे भोगने का मार्ग बन रहा है। इसलिए ज्ञान ग्रहण कीजिये। पुराण, उपनिषद इत्यादि सुनिए और पढ़िए।
*बहरूपियाँ = ऐसे लोग जो ब्राह्मण नहीं है, अर्थात काशी से शिक्षित और दीक्षित नहीं है, त्रिकाल संध्या नहीं करते।
4. मंडप के नीचे विवाह संस्कार के समय कैमरामैन वर के मित्रों से मित्रता करता है, उनके साथ पहले विनोद, अमोद, प्रमोद करता है। फिर उसी समय वह प्रयास करता है कि उनके विचारो में संदेह के माध्यम से वर के मस्तिष्क में भी किसी प्रकार का संदेह प्रवेश करवाया जा सके. जैसे - पंडित जी तो भुगत रहे है, कंजूस है, लालची है इत्यादि।
5. मंडप के नीचे विवाह संस्कार के समय कैमरामैन वीडियो या फोटो लेने के बहाने वधु का चेहरा खुलवाने की कोशिश करता है, और ज्यादातर विवाहों में अब किया जाने भी लगा है।
हालाँकि उदाहरण और भी बहुत सारे है, लेकिन ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए और क्या होना चाहिए उसे मैं अपने अनुभव से कुछ बताने का प्रयास करता हूँ। समझ में आया तो उत्तम और न आये तो माया समझे अर्थात मुझे मुर्ख समझे।
यहाँ मैं आपको संक्षिप्त श्री शिव महापुराण में से कुछ अंश प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करता हूँ और आप स्वयं समझिये की सनातन धर्म में विवाह संस्कार कितना महत्वपूर्ण है। -
विवाह संस्कार के लिए ब्राह्मण कैसे चुने ?
विवाह संस्कार के लिए हमें ब्राह्मण के बारे में कुछ जानकारी आवश्यक रूप से पता होनी चाहिए, या करना चाहिए जैसे कि - ब्राह्मण या पंडित काशी से दीक्षित है या नहीं। ब्राह्मण तीनो काल की संध्या करता है कि नहीं, और वह नियमित वेद, पुराण का पठन पाठन करता है नहीं।
आजकल सनातन धर्म के विवाह संस्कारो को नष्ट करने के लिए, कैमरामैन के रूप में, वर के मित्रो के रूप में, या किसी अन्य रूप में विवाह संस्कार मंडप में प्रवेश कर जाते है, जिससे वहां की मान मर्यादा भंग हो जाती है।
होना क्या चाहिए -
- मंडप के नीचे वर और वधु को साक्षात् शिव जी और पार्वती माता का सायुज्य रूप ही समझना चाहिए।
- विवाह संस्कार के लिए, इससे पूर्व श्री शिव महापुराण से इस ज्ञान को वर और वधु को अवश्य दे, बहुत से परिवारों में इसी दौरान आज भी शिव महापुराण या रामायण से विवाह सम्बन्धी कथा करवाई जाती है, जिससे वर, वधु और उनके परिवारों का भाव शुध्द हो। विवाह से पहले वधु के लिए पार्वती माता की पूजा और वर से शिव जी का जलाभिषेक करवाया जाता है।
- वर पक्ष के लोगो को अपने आप को शिव जी का बाराती समझने का विचार रखना चाहिए । जिसकी अगमानी स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी करते है। जिसे वर पक्ष का ब्राह्मण को समझना चाहिए।
- वधु पक्ष के लोगो को पार्वती माता के पक्ष के होना का विचार रखना चाहिए। जिनकी अगमानी स्वयं श्रीनारद गुरुदेव करते है। जिन्हे वधु पक्ष का ब्राह्मण को समझना चाहिए।
- और इसी कारण से आज भी सनातन धर्म के हर विवाह संस्कार में ब्रह्मा जी द्वारा पढ़ा गया विवाह ही हर ब्राह्मण द्वारा पढ़ा जाता है। जिसमे सात वचन या ७ संकल्प वर और वधु दोनों से लिए जाते है।
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