जब आप उड़िया लोक-कवि हलधर नाग के बारे में जानेंगे, तो आप प्रेरणा से भर जाएंगे। श्री हलधर एक गरीब दलित परिवार से आते हैं।
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कौन हैं श्री हलधर नाग -
जिनके नाम के आगे कभी श्री नहीं लगा, 3 जोड़ी कपड़े, टूटी रबड़ की चप्पलें, और 732 रुपये की जमा राशि, 732 रुपये के मालिक को भारत सरकार (मोदी सरकार) पद्मश्री द्वारा घोषित किया जाता है।
ये हैं ओडिशा के हलधर नाग -
आप जानना चाहेंगे की कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि कौन हैं? खास बात यह है कि उनकी अब तक लिखी गई सभी कविताएं और 20 महाकाव्य मुंह जबानी याद हैं। अब उनकी रचनाओं के संकलन 'हलधर ग्रंथावली-2' को संबलपुर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।
ये महानुभाव सादे कपड़े, सफेद धोती, गमछा और बनियान पहनकर सांप नंगे पांव रहते हैं। इनकी खोज न्यूज़ चैनल ने नहीं बल्कि मोदी सरकार ने खोज निकाला पद्मश्री सम्मान के लिए।
जब आप उड़िया लोक-कवि हलधर नाग के बारे में जानेंगे, तो आप प्रेरणा से भर जाएंगे। श्री हलधर एक गरीब दलित परिवार से आते हैं। 10 साल की उम्र में अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने तीसरी कक्षा में अपनी पढ़ाई छोड़ दी। एक अनाथ की जिंदगी जीते हुए उन्होंने कई साल ढाबे में गंदे बर्तन साफ करने में बिताए। बाद में एक स्कूल में किचन की देखभाल करने का काम मिला। कुछ साल बाद बैंक से 1000 रुपये का कर्ज लेकर उसी स्कूल के सामने पेन-पेंसिल आदि की एक छोटी सी दुकान खोल ली, जिसमें वे छुट्टियों में पार्ट टाइम बैठते थे. यह उनकी अर्थव्यवस्था थी।
अब आते हैं उनकी साहित्यिक विशेषता पर। हलधर ने स्थानीय उड़िया भाषा में "राम-शबरी" जैसे कुछ धार्मिक विषयों पर लिखकर 1995 के आसपास लोगों को इसका पाठ करना शुरू किया। भावनाओं से भरी कविताएं लिखकर और जबरन लोगों के बीच पेश कर वे इतने लोकप्रिय हुए कि राष्ट्रपति ने उन्हें साहित्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया । इतना ही नहीं 5 विद्वान अब उनके साहित्य पर पीएचडी कर रहे हैं, जबकि खुद हलधर ने तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की है।
ऐसे व्यक्तित्वों को नमस्कार और प्रणाम जिनका लक्ष्य पैसा कमाना नहीं बल्कि ज्ञान हासिल करना है। पद्मश्री हलधर नाग जी ने कविताओं की रचना कर साहित्य जगत को समृद्ध किया।
Image Source - OTV Channel / YouTube
पद्मश्री हलधर नाग आज भी अपनी आजीविका के लिए मटर करी पुरी (रागचना) बेचते हैं
उनकी रचनाएँ -
उनकी कुछ रचनाएँ जो आज भी सर्वाधिक पसंद की जाती हैं
- कृष्णगुरु
- महासती उर्मिला
- तारा मंदोदरी
- अछिया
- बछार
- तुलसीदास की जीवनी
- लोकगीत
- सम्प्रदा
- प्रेम पाचन
- काव्यांजलि (तीसरा खंड)
- सिरी सोमलाई
- वीर सुरेंद्र साईं
- करमसानि
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