अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो शराब की एक बोतल पर दूसरी फ्री करते इससे विदेशी भी देश में दारु पीने आते, सोचो देश में कितना टूरिज्म बढ़ता।
आज जब न्यूज़ देखी तो पता चला की कि हमारे प्रधानमंत्री जी पढ़े लिखे नहीं है, ऐसा किसी नेता ने बयान दिया था। तो बड़ा आश्चर्य हुआ और इंटरनेट पर खोजा बस उसी को लेकर एक हल्का फुल्का ब्लॉग लिखा है -
बिना रैंक के कमांडर बनाना -
सुना है लाल बत्ती का कल्चर ख़त्म कर दिया गया है? ये तो वही बात हुयी की बिना किसी स्टार, या रैंक के किसी अफसर का रोड पर निकलना। स्टार या रैंक ही तो बताते है की सामने वाला कितना बड़ा अफसर है, और कितना रुवाब है जनाब का।
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो ऐसा नहीं करते क्युकी हम घंटो-घंटो बसों की गर्मी में पिघलते रहते थे, जब लाल बत्ती का काफिला निकलता था, मतलब सुकून के दिन छीन लिए जनता से, और नेता या अफसर से उसका दबंग वाला रुतबा।
खाते हुए का निवाला छीनना -
अगर आप खाना खा रहे हो, और खाते से कोई हाथ से निवाला छीन ले तो कैसा लगेगा?, पता चला है कि संसद की कैंटीन में सांसदों को खाने पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी गई है।
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो सांसदों की सैलरी पहले डबल करते, क्युकी सांसदों के यहाँ जनता ही इतनी आती है कि अगर नेतागिरी में चाय का खर्चा भी न निकाल सके तो, क्या फायदा ऐसी देश सेवा का।
घिसी पिटी पढाई -
सुना है कि देश में नयी शिक्षा नीति बनायीं गयी है जिसके तहत अब सरकार टीवी पर ही देश के युवाओं को 50 से ज्यादा टीवी चैनल पर प्रोग्रामिंग, टेक्निकल पढाई करवा रही है। ढेर सारे AIIMS बना दिए।
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो ऐसी शिक्षा नीति बनाते जिसमे सभी टीचर अर्थात अध्यापकों को विदेश भेजा जाता। ताकि वो भी विदेशी कल्चर सीख कर आते, तो बच्चो को कन्वर्ट करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। उन्हें भी तर्कशील बनाया जा सकता था फिर वे भी ऐसे ग्रुप बनाते जिसमे लिखते अंधभक्त दूर रहे, फिर वे भी RSS, श्रीराम भक्तों और अंधभक्तो को दूर रखकर आपस में ही तर्क करते।
जनता को काम पर लगा दिया।
सुना है अब जन धन अकाउंट, आधार कार्ड और 5G मोबाइल, UPI, GST, DBT पता नहीं क्या क्या योजनाएं शुरू की है। मुद्रा लोन से बिज़नेस शुरू करने को कह रहे है और जो मुद्रा योजना के लायक भी नहीं उन्हें पकोड़े तलने को बोल रहे है।
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो इस प्रकार कि योजनाएं बनाते जैसे कि फ्री लाइट, फ्री पानी, फ्री बस, फ्री मकान, फ्री इंटरनेट, फ्री अन्न योजना, भोजन का अधिकार, फ्री स्कूटी, फ्री साइकिल, फ्री स्मार्टफोन, फ्री लैपटॉप, बिना पढ़े लिखे या 20 प्रतिशत नंबर लाने पर भी सरकारी नौकरी, उसमे भी रोज़ रोज़ ड्यूटी करने की जरुरत नहीं, रिटायरमेंट पर एक करोड़ रुपये, और जिंदगी भर पेंशन इत्यादि
एक मिनट, इसमें ये भी जोड़ना था कि -
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो ये सब जाति के हिसाब से देते, ठाकुर, ब्राह्मण अर्थात सवर्णो का ये देश थोड़े ही है, वे मूलनिवासी नहीं है वे तो आर्य है जो ब्रह्म के ब्राह्मण से भारतवर्ष अर्थात आर्यावर्त अर्थात जम्मूद्वीप में कही टपके थे। कुछ और याद आ रहा है कि भारत की खोज भी तो वास्कोडिगामा ने की थी बाकी सब कुछ लोगों के हिसाब से सब अंधभक्ति है।
दकियानूसी सोच -
सुना है मोदी जी ने बोला था कि मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है।’ गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है।
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो पोस्ट ऑफिस में गंगा जल बेंचने की बजाय, देश के हर गांव व् शहर में शराब की एक बोतल पर दूसरी फ्री करते इससे विदेशी भी देश में दारु पीने आते, सोचो देश में कितना टूरिज्म बढ़ता। लोग अपने घरो में दारू बेंचने का रोजगार खोल लेते, 24 घंटे कभी भी दारू लो। और धंधे का नाम होता "साहसी का ठेका"।
खिचड़ी न खाते है न खाने देते है?-
सुना है मोदी जी सबको कच्चा राशन जैसे की दाल, चावल, गेहूँ इत्यादि गरीबों को फ्री में दे रहे है वो भी कॉरोनकाल के बाद से, अब तक ?
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो हर रोज़ अपने सरकारी कर्मचारियों से उसी दाल चावल की खिचड़ी बनवाकर बटवाते, खुद भी खाते और कर्मचारियों को भी खाने देते और जनता को भी खिलाते।
लोगो को अपने घरों में खाना भी नहीं पकाना पड़ता। बिजली, पानी, स्कूटी, स्मार्टफोन, लैपटॉप, साइकिल, जहाँ जुग्गी वही मकान, और सरकारी नौकरी लेने के बाद कौन घर में खाना बनाएगा?, ये तो गरीबो पर अत्याचार है। मोदी जी अडानी का तेल, टाटा का नमक, और रिलायंस स्टोर से सामान बिकवा कर उनका बिजनेस चमकाना चाहते है।
फिर खिचड़ी का हिसाब किताब भी नहीं रखना पड़ता। फालतू का बोलते रहते है कि खिचड़ी खायूँगा न खाने दूंगा। ये क्या बात हुयी?
अँधेरा होने से भय का माहौल -
सुना है भारत ने 18,000 गांवों में बिजली पहुंचाने का महत्वाकांक्षी मिशन तय किया है। और अब सोलर लाइट के पीछे पड़े है। चारो तरफ LED वल्व और पता नहीं क्या क्या।
अगर मोदी जी पढ़े लिखे होते तो फ्री केरोसिन योजना निकालते, जिससे राशन बाँटने वालो का भी घर रोशन होता और जिसे मिलता उसका भी। और जिससे खरीद रहे उसका भी।
लेकिन अब भय का माहौल है। लोग केरोसिन डाल कर मर भी नहीं सकते, और जो जीना चाहते है वे केरोसिन डालकर बाइक या ट्रेक्टर भी नहीं चला सकते। शायद इसलिए किसान विरोधी भी है। इससे भी मन नहीं भरा तो जिस यूरिया से दूध बन सकता था, उसी यूरिया में नीम की कोटिंग करवा दी, बताओ भला ।
लेकिन नहीं, साहब को तो अम्बानी अडानी की जेवे भरनी है।
अगर कोई और पढ़ा लिखा व्यक्ति प्रधानमंत्री होता तो - विदेशों में इलाज, विदेशो में पढाई, कई कई शादियां, घर में कई किलो सोना, करोडो रुपये का कैश, नौकरी के बदले जमीन इत्यादि करता, भाई परिवार नाम की चीज़ भी तो कोई होती है। कुछ नहीं तो कम से कम पेंटिंग बनाकर ही करोडो की बेंच देते?
लेकिन अब क्या कहे पढ़े लिखे कम है, इसलिए इतनी समझ कहाँ।
हद है भाई ! मोदी जी तो बिल्कुल तानाशाही पर उतर आये है। हमारे यहाँ के देशभक्त नेता विदेशों में जा जाकर सहायता के लिए पुकार रहे है। वो तो उनके (विदेशों) यहाँ गेहूं, टमाटर, सब्जी की कमी है, और भारत में सब्जी हद से ज्यादा सस्ती है !
नहीं तो अभी संधि पर हस्ताक्षर करवा लिए होते और कबकी कब्र खुद गयी होती। गलत मत समझना, मैं चीन के साथ हुए हस्ताक्षर की बात नहीं कर रहा।

डिस्क्लेमर - कृपया अन्यथा न ले। मोदी जी और किसी भी नेता पर मेरी कोई व्यक्तिगत टिपण्णी नहीं है। इस ब्लॉग को सिर्फ एक हास्य व्यंग के रूप में ही देखे। मोदी जी समेत सभी देशभक्त नेताओ और जनता को भगवान् श्री राम और उनके भक्त हनुमान रक्षा करे, और दीर्घायु प्रदान करे, । सभी धर्मो की रक्षा हो, और अधर्म का नाश हो।
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1 -
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
Hindi Translation -
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें,
सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
ॐ शांति शांति शांति॥
English Translation:
May all sentient beings be at peace, may no one suffer from illness,
May all see what is auspicious, and may no one suffer.
Om peace, peace, peace.
From Brihadaranyaka Upanishad (1.4.14) (Sanatan Dharma (Hindusm))
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2 -
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥
Hindi Translation -
यह मेरा है, वह पराया है, ऐसे छोटें विचार के व्यक्ति करते हैं।
उच्च चरित्र वाले लोग समस्त संसार को ही परिवार मानते हैं॥
English Translation:
This is mine, that is his, says the small-minded,
The wise believe that the entire world is a family.
(Vasudhaiva Kutumbakam is a Sanskrit phrase found in Hindu texts such as the Maha Upanishad, which means "The World Is One Family".)
Source: Maha Upanishad 6.71–75 (Sanatan Dharma (Hindusm))
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