पट और कपट क्या होता है? भेद छुपाने का कारण उस पहले व्यक्ति के स्वयं का स्वार्थ होता है। What is deception and fraud?
क्या आपको पता है कि पट (पर्दे जैसा - जिसे मंदिरो में भगवान् के पट खोलना, कहते हुए दिखाई देते है ) और कपट क्या होता है? आशा है आपको भी पता नहीं होगा इसलिए इसे पता करने के लिए इस पेज पर आये है। हालाँकि मुझे भी पहले नहीं पता था, लेकिन आज जब श्री राजेश्वरानंद को सुन रहा था तो पता चला। जैसा समझ में आया, वैसा बताता हूँ।
पट का अर्थ -
जिससे व्यक्ति का तन ढका रहता है।
कपट का अर्थ -
जिससे व्यक्ति का मन ढका रहता है।
और कपट का अर्थ मुझे बताने की आवश्यकता नहीं होगी, ज्यादातर लोगो को पता होगा फिर भी अपनी समझ में क्या समझता हूँ तो उसे बताता हूँ, गलत लगूँ तो कमेंट करके सही कर सकते है।
कपट का अर्थ -
कपट एक राक्षसी प्रवृति है, जिसका उदेश्य किसी का अहित करने में निहित होता है।
जब कोई एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से कोई भेद छुपता है, और उस भेद छुपाने का कारण उस पहले व्यक्ति के स्वयं का स्वार्थ होता है।
मुझे लगता है उस व्यक्ति की ऐसी मानसकिता वास्तविक कारण शायद उसका अपने भगवान् या जिस नाम से उसको पुकारता है, वह उससे या तो बहुत दूर है या उनमे विश्वास नहीं रखता। अब ऐसे लोग किसी के वश में होंगे की नहीं, भगवान् जाने।
तो कैसी लगी ये जानकारी। अगर मेरी जानकारी में कोई सुधार करना चाहते है तो स्वागत है।
आप सभी को जय श्री राम।
प्रभु हम सभी पर कृपा बनाये रखे।
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