सिख धर्म में सिंह सरनेम , सनातन धर्म (हिन्दू ) में सिंह, सिंह इतने ही शक्तिशाली है तो देश बार बार और इतने बार गुलाम कैसे हुआ?
सिंह शब्द के बारे में मैं क्या सोचता हूँ आज What I Think केटेगरी के माध्यम से आपको अपने अनुभव के अनुसार जानकारी दूंगा।
Why do people of Hindu and Punjabi religions use Singh's surname in their name?
इंटरनेट पर कई जगह लोगो ने लिखा है कि सिंह शब्द संस्कृत के शब्द सिन्हा या सिम्हा से लिया गया है। मेरे अनुसार ये सच नहीं हो सकता क्युकि सिंह अपने आप में एक जानवर विशेष का नाम है तो इस नाम को किसी और शब्द से काटने छाटने की आवश्यकता नहीं है।
सनातन धर्म में सबसे पहले सिंह शब्द का उपयोग -
सनातन धर्म में सबसे पहले सिंह शब्द सुनने को मिलता है। वैवस्तर मन्वन्तर में जब आदिशक्ति माँ दुर्गा अपने सिंह पर सवार हो कर दैत्य महिसासुर का वध करती है।
इसी प्रकार माँ नारायणी और भगवान् विष्णु के अवतार नरसिंह रूप में प्रकट होते है, जिनका शरीर मनुष्य का होता है और मुख सिंह का।
वैसे तो शास्त्रों में अन्य जगह भी सिंह का उल्लेख मिलता है। लेकिन इतना काफी है।
सिंह शब्द का उपयोग मनुष्यों -
सनातन धर्म (हिन्दू ) में सिंह सरनेम का प्रयोग -
जहाँ तक मुझे लगता है, सिंह शब्द का उपयोग सिर्फ वे परिवार करते थे जो कर्म से क्षत्रिय थे, जिनका कर्म अन्य वर्णों में सत्व परिवारों की रक्षा करना था।
इससे पहले लोगो को उनके वर्ण अर्थात रंग अर्थात उनके काम करने के ढंग अर्थात कर्म से पहचाना जाता है।
अगर कोई व्यक्ति अपनी पीढ़ी को योद्दा बनाना चाहती है तो वे सिर्फ युद्द के तौर तरीके सीखते थे, जिनका काम सनातन धर्म और सनातन के लोगो की ढाल और तलवार बनना था। युद्द के तौर तरीके सीखने के लिए द्रोणाचार्य की तरह गुरु होते है।
सिख धर्म में सिंह सरनेम का प्रयोग -
जैसे सिख धर्म भी सनातन धर्म का अंग है, श्री गुरु नानक गुरु जी ने अपनी नानक वाणी में श्री राम का कई बार नाम लिया है। लेकिन मन में प्रश्न आता है कि जब श्री राम को मानना था तो अलग धर्म क्यों?
तो इसका उत्तर उन्होंने खुद दिया है, समझ में आये तो ठीक, नहीं आये तब भी ठीक, मेरी औकात नहीं है व्याख्या करने की। -
सूरज कुल ते रघु भया, रघवंस होआ राम ।
राम चन्द को दोई सुत, लवी कुसू तिह नाम ।
एह हमाते बड़े हैं, जुगह जुगह अवतार ।
इन्हीं के घर उपजू नानक कल अवतार ।।
अवश्य ही उन्होंने अपनी दिव्य-दृष्टि से भविष्य को देखा होगा कि सनातन धर्म के लोगो को ख़त्म करने के लिए बार-बार आक्रमण होंगे । तो इसलिए उन्होंने क्षत्रिय लोगो को एक करके उन श्रेष्ठ गुरु ने एक श्रेष्ठ पंथ की स्थापना की, ताकि आक्रमणकारियो का ध्यान इनसे हटकर सिर्फ सनातनियों पर ही रहे। आक्रमणकारी सनातन धर्म को इसलिए मिटाना चाहते थे और है, क्युकी उनके जप तप व्रत से देवताओ को शक्ति मिलती है, और अन्य जीवों का भी कल्याण होता है। सात्विक शक्ति के बढ़ने से इनकी निम्न कोटि की शक्तियाँ अपंग होती है तो वे मनुष्यों में जहाँ से सत्व की शुरुआत होती है, उस जड़ को ही काटना चाहती है।
आज भी सभी सिक्खों पर भी उनके गुरु की ऐसी कृपा है, अगर वे सत्य, वचन, और गुरु की वाणी पर चलते है तो उन्हें किसी कर्मकांड करने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें वह शक्ति उनके गुरु सीधे उस ओमकार अर्थात सत्य से जोड़कर देते रहते है, क्युकी वे स्वयं ओमकार के एक रूप है। उन्हें में लाख लाख बार दंडवत करता हूँ।
हाँ, जिनका विश्वास अपनी गुरु की वाणी में कम हुआ, वे अवश्य पतन के मार्ग पर है, क्युकी वे भी अब अन्य धर्मो में अपने गुरु को छोड़कर जा रहे है। जिसका कारण कलियुग की माया अर्थात अज्ञान है। और ऐसा अन्य सनातन धर्म के लोग भी कर रहे है।
तो मुझे लगता है इसलिए सिख धर्म के सभी लोग अपने नाम में "सिंह" अवश्य लगाते है क्युकी वे मनुष्यों में सिंह की तरह बलवान, साहसी और देश और अपने गुरु के भक्त है। शायद यही कारण रहा होगा कि सिक्ख गुरूओं ने सात्विक सनातनियों की रक्षा के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए, उन्होंने ऐसे कलियुग में भी नरसिंह में से सिंह का रूप दिखा दिया।
तो अब आपको समझ में आ गया होगा कि कौन कौन से मनुष्य अपने नाम में सिंह लगाते है, चाहे वे किसी भी धर्म के हो। सिंह अपनी शक्ति के वश में रहते हुए, उस समय तक कोई भी राक्षस किसी भी माता या भक्त को नुक्सान नहीं पंहुचा सकता। इतिहास और शास्त्र ऐसी गाथाओं से भरे पढ़े है।
अब आप कहेंगे की सिंह इतने ही शक्तिशाली है तो देश बार बार और इतने बार गुलाम कैसे हुआ?
उसका उत्तर मैं इतना ही दे सकता हूँ कि पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी को युद्द में हराकर छोड़ दिया था, बाद उसने क्या किया? अर्थात गुलामी मिली देश को।
तो ये कलयुग है, दोस्त बनकर कोई भी गला काट सकता है। क्युकी अभी कलयुग तीन पैर के साथ खड़ा है, और धर्म सिर्फ एक पैर पर।
धर्म अर्थात = जीवन में सत्य, कर्तव्य, निष्ठा, दया, रक्षा और भक्ति का पालन करना। - धर्मो रक्षति रक्षितः
आज भी लोगो को सत्य से दूर रखकर भ्रमित किया जा रहा है कि सब मीडिया बिके हुए है, विदेशी मीडिया या विदेशी YouTubers सही है।
इसलिए सुनो सबकी, सब देखो लेकिन अंतरात्मा और अपने ज्ञान से सही और गलत को चुनो। रास्ता मिल जाता है।
क्या करना चाहिए ? -
सुबह जागकर नित्यकर्म करके ब्राह्मण की तरह अपने धर्म गुरु या ईश्वर की पूजा, प्रार्थना करो, फिर नौकरी करते हो तो बिना चोरी, ईमानदारी से सूद्र की तरह काम करो, अपना धंधा है तो ईमानदार से असत्य को त्यागकर वैश्य की तरह धंधा करो। अगर समाज में किसी सत्य के ऊपर असत्य हावी हो रहा है तो क्षत्रिय की तरह सत्य के पक्ष में अंतिम सांस तक खड़े रहे।
तो फिर आप किसी भी धर्म के बने रहे, लेकिन आप स्वयं चलते फिरते सनातन धर्म का अंग (ब्राह्मण+क्षत्रिय+वैश्य +शूद्र) बन जायेगे। सारी शक्तियां और देवता आपका साथ देंगे। एक बात और इनमे से कोई भी वर्ण हेय के योग्य नहीं बल्कि चारो श्रेय है।
तो हिंदू और पंजाबी अपने नाम में सिंह क्यों लगाते है, मुझे सिर्फ यही ज्ञान है, अगर आपके पास कुछ विशेष ज्ञान है तो कमेंट में अवश्य शेयर करे।
Disclaimer - मुझे नहीं पता कि मेरे द्वारा लिखी गयी बातें सच है या गलत, पर जितना भी है, स्वयं का अनुभव, या ह्रदय का भाव है, यहाँ मैंने किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, पंथ किसी मनुष्य या विशेष को ऊँचा,नीचे नहीं कहा है। और न कहने का भाव है। फिर भी किसी को थोड़ा सा भी किसी भी लाइन में बुरा लगा हो तो क्षमा मांगता हूँ। आप मुझे कमेंट में सूचित कर सकते है, मैं उसे हटा लूंगा।
This post is about - Why do people of Hindu and Punjabi religions use Singh surname in their name? Surname Singh in Sikhism, Singh in Sanatan Dharma (Hindu), Singh is so powerful, then how did the country get enslaved again and again and so many times?
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