धर्मो रक्षति रक्षितः - सनातन धर्म की रक्षा कैसे करें? धर्म की रक्षा के लिए क्या करना चाहिए? हम अपने धर्म की रक्षा कैसे कर सकते है? सनातन धर्म के सामन
अगर सनातन धर्म के रक्षक बनना चाहते है और आप किसी भी जाति में पैदा हुए है। तो यह आज के समय में बहुत ही आसान है। यही सबसे बड़ा कर्तव्य है और यही मानव धर्म भी है।
हमारे देवी देवताओँ के हाथ में अस्त्र और शस्त्र केवल शोभा के लिए नहीं होते है, बल्कि वे उससे भी ज्यादा घातक और सत्य है जिसकी हम अपनी मनुष्य बुध्दि से कल्पना भी नहीं कर सकते। खैर यह बात ज्ञान के भाव में और अनुभव से समझी जा सकती है।
आज मैं आपको बताता हूँ कि अगर आप सनातन धर्म की रक्षा करना चाहते है तो सनातन धर्म के रक्षक कैसे बने? जिन्हे मैं छोटे छोटे प्रश्नो के उत्तर रूप में बतायूंगा।
सनातन धर्म का रक्षक कौन बन सकता है ?
दो तरह के लोग सनातन धर्म के रक्षक अवश्य बनने चाहिए -
जिनका शरीर क्षत्रिय है -
जिनका शरीर क्षत्रिय वर्ण (जिनके माता पिता क्षत्रिय है) में मिला है, उन्हें अपने धर्म की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।
जिनका ह्रदय क्षत्रिय है -
ऐसे सनातनी लोग जो अपने देवी, देवता का अपमान, अपने धर्म के लोगो का अपमान, उन पर अत्याचार, इत्यादि देखकर उनका ह्रदय क्रोध से लाल हो जाता है। वे सनातन धर्म की रक्षा करके अपना क्षत्रिय धर्म निभा सकते है।
क्या धर्म की रक्षा करने से मोक्ष मिलता है?
जितना मुझे ज्ञान है, यह बात एक दम सत्य है कि अगर आप धर्म अथवा सत्य की रक्षा करते है तो पृथ्वी पर मान, सम्मान, और साधन मिलते है।
अगर सनातन धर्म अर्थात सत्य धर्म की रक्षा करते करते वीरगति को प्राप्त हो गए तो वीरगति मिलती है, वीरगति का अर्थ ही वीर की गति अर्थात मोक्ष या स्वर्ग की प्राप्ति। यह आपके प्रारब्ध पर निर्भर करता है कि मोक्ष मिलेगा या स्वर्ग।
हम अपने धर्म की रक्षा कैसे कर सकते है?
यह प्रश्न हर सनातनी के मन में रहता है कि वह करे तो क्या करे, सनातन के रक्षक कैसे बने? कैसे बहरूपियों से और धर्मियों से अपने धर्म और सनातनी लोगो की रक्षा करे। अब यह जानकारी अपने आप को केंद्र में रखकर ध्यान से समझे।
सबसे पहले सक्षम बने -
जब खुद के अंदर शक्ति होगी तभी तो आप कुछ कर सकते है। तो पहले आपको मानसिक शक्ति अर्जित करनी होगी।
शक्ति अर्जित करने के लिए -
अगर भोजन सात्विक है तो -
आप प्रतिदिन संकल्प लेकर श्री हनुमान चालीसा का पाठ करे, और प्रार्थना करे कि आपको मानसिक और शारीरिक रूप से धर्म की रक्षा करने योग्य बनाये। और जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक वृद्धि करे। अपने कुल के देवी, देवताओ और पित्तरों को प्रसन्न करने के लिए भी हर रोज़ प्रार्थना करे।
अगर भोजन तामसिक है तो -
आप प्रतिदिन संकल्प लेकर श्रीमहादेव पंचाक्षरी, या चालीसा या कोई भी मुख्य देवी (देवी सप्तशती) आदि की शरण में जाए और प्रार्थना करे कि आपको मानसिक और शारीरिक रूप से धर्म की रक्षा करने योग्य बनाये। और जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक वृद्धि करे। अपने कुल के देवी, देवताओ और पित्तरों को प्रसन्न करने के लिए भी हर रोज़ प्रार्थना करे।
नोट - किसी ज्ञानी, या गुरु से मार्गदर्शन अवश्य ले।
स्वयं का रक्षण करने के लिए -
ऊपर बताई गयी जानकारी शक्ति अर्जित करने के लिए है, लेकिन साथ ही साथ आपको स्वयं का रक्षण भी आना चाहिए। इसके लिए आप अपने इष्ट के अनुसार उनका कवच पाठ अवश्य करे।
अब आपके पास मानसिक शक्ति भी है, कवच भी है। अब देखिये कि आप कैसे अपने धर्म की रक्षा कैसे कर सकते है? चलो, मैं मान लेता हूँ कि आप पहले से धर्म की रक्षा में सक्षम है लेकिन मुख्य प्रश्न का उत्तर जानना चाहते है कि अपने सनातन धर्म की रक्षा कैसे कर सकते है? अपनी नौकरी या व्यापार के अनुसार देखिये कि आप धर्म की रक्षा के लिए समय कहाँ निकाल सकते है। और इसे आप ध्यान से समझिये -
1. सोशल मीडिया और समाज में ऐसे लोगों पर नज़र रखे जो सनातन धर्म के देवी, देवता, पूजा पाठ, साधू इत्यादि पर बेहद गंदे कमेंट करते है। उनके सबूत अर्थात प्रमाण एकत्रित करे, और सभी प्रमाणों के साथ पुलिस कंप्लेंट करे। आप चाहे तो कोई सामाजिक या सोशल मीडिया ग्रुप बना सकते है, और जैसा जिसके पास समय हो वो अपनी धर्म की रक्षा में सेवा दे सकता है। लोगो को ऐसे बहरूपियों और अधर्मियों की सुचना आप तक पहुंचाने के लिए कहे।
अब आपके ग्रुप का काम है FIR करना। यह काम निस्वार्थ भाव से होगा तभी सफल होगा। स्वार्थ की भावना आते है, सबका नाश हो जायेगा, क्युकी अधर्मी लोग इस मौके को हाथ से जाने नहीं देंगे।
आज जन-मानस को खड़े होने की आवश्यकता है क्युकी नेता श्रीरामचरित मानस को फाड़ रहे है, जला रहे है, नेता सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए साफ़ साफ़ बोल चुके है, उन्हें डेंगू मलेरियां के मच्छर बोल चुके है। भक्त शब्द को घृणित बनाया जा रहा है। राजनितिक रैलियों में सनातन धर्म को छोड़ने और अपमानित किया जा रहा है। जब नेता ही ऐसे कार्य करने लगे और कोई कोर्ट स्वतः संज्ञान न ले तो सनातनी को अपना धर्म अवश्य ही निभाना ही चाहिए। अगर आप देखकर चुप है, और आपका उनको मौन समर्थन और वोट जाता है तो मरने के बाद अवश्य ही उन्ही को प्राप्त होंगे। श्रीमदभगवद गीता के इस श्लोक को याद कर ले।
यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।। गीता 9/25।।
अर्थ: देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं।
ध्यान रखे - मौन समर्थन देना या वोट देना, पूजा करने से कम नहीं है।
ये बहरूपिये आज न्यूज़, टीवी, सोशल मीडिया, यूट्यूब, फेसबुक, समाज, पॉलिटिक्स हर जगह कीड़ों की तरह फैले हुए है। जो मौका मिलने पर किसी न किसी रूप में सनातन धर्म को नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ते है। आपको बस इन्हे खोजना है, इनके प्रमाण एकत्रित करना है, और पुलिस में कंप्लेंट कराये, FIR की कॉपी लेना न भूले। इस प्रकार के ग्रुप सभी जिले, प्रदेश और क्षेत्रो या गाँवो में बनाये। जैसे ही कोई सनातन धर्म का अपमान करता हुआ कोई नेता, फ़िल्मी कलाकार, या सोशल मीडिया या समाज में कोई भी मिलता है, बस उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करके सभी जिले, प्रदेश और क्षेत्रो या गाँवो एक से अधिक FIR करवाए। याद रखे, धर्म के अपमान पर आपको सिर्फ निस्वार्थ भाव से भगवान् की सेवा भाव में रहकर FIR करने का कर्तव्य निभाना है, किसी का सर कलम नहीं करना है।
2. इसी प्रकार से मान लीजिये आप वकील है। आप अपनी वकालत में इतना समय निकालिये कि ऊपर दिए गए ग्रुप के लोगो को अपनी सेवा फ्री में दे सके। आपको सिर्फ सत्य का साथ देना है, यहाँ आपको कोई ऊंच, नीच और जाति नहीं देखनी।
3. मान लीजिये आप एक नेता है। आप अपनी नेतागिरी में इतना समय अवश्य निकालिये जो सात्विक और धार्मिक लोगो को अपना राजनैतिक सपोर्ट दे सके। अर्थात आपको भी सिर्फ सत्य का साथ देना है, यहाँ आपको कोई ऊंच, नीच और जाति नहीं देखनी।
ठीक इसी प्रकार से आपका जो भी काम, धंधा हो, आप सत्य को (ऐसे धर्म रक्षकों को ) कैसे, और कितना सपोर्ट कर सकते है, उस पर विचार करके, उस पर कार्य अवश्य करना चाहिए। और विचार आप तभी कर सकते है जब आपके पास विवेक होगा, और समय पर विवेक तभी कार्य करेगा जब आपने दैवीय शक्ति अर्जित कर ली है, और अपना रक्षण भी कर लिया है।
अपने कर्तव्य को सत्य के अनुसार ही पालन करना सनातन धर्म है। लेकिन बिना ज्ञान के सत्य का का वोध नहीं होता। बस इसके अलावा कोई शोर नहीं, क्युकी आप सेवा कर रहे है, भगवान् के दास है, इसलिए दास भाव में ही रहे। ज्यादा से ज्यादा ज्ञान अर्जित करे, और आंतरिक सुख को अनुभव करे।
अब आप विचार कीजिए कि आप क्या है, और सनातन धर्म के लिए क्या योगदान दे सकते है। लेकिन सिर्फ निस्वार्थ और दास भाव के माध्यम से।
नोट - सनातनी घरो में इसलिए टूट और फुट ज्यादा देखी जाती है क्युकी पिता अपने को सत्य के मार्ग पर समझता है, बेटा भी, माता भी, पत्नी भी, अर्थात सब अपनी-अपनी खींचते-खींचते चादर फाड़ (बटवारा कर) लेते है।
बस ऐसे परिवार सबसे पहले पुराण और उपनिषदों को हिंदी में पढ़े या यूट्यूब से असली ज्ञान की किताबो को सुने, या पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड करके जैसे ही समय मिले उसे पढ़े जिससे दैवीय मानसिक शक्ति अर्जित होगी या ऊपर बताये गए तरीके से मानसिक शक्ति अर्जित करे और अपना रक्षण ले, फिर उन लोगो की रक्षा करे, जो धर्म की रक्षा कर रहे है।
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