वन्दे मातरम् का क्या अर्थ है? Vande Matram Meaning, वंदे मातरम का मतलब क्या होता है? "वंदे मातरम" का क्या अर्थ है?
"वन्दे" शब्द संस्कृत से आया है। इसका मूल धातु "वन्द्" है, जिसका अर्थ होता है नमस्कार करना, आदर करना, स्तुति करना लेकिन इसका अर्थ पूजन करना कदापि नहीं है।
इसे ऐसे समझते है।
"वन्दे मातरम्" गीत का भावार्थ -
गीत में भारत देश की समानता माता के समान की गयी है:
सुजलाम् → जल से परिपूर्ण
सुफलाम् → फलों से भरी हुई
मलयजशीतलाम् → मलय पर्वत की ठंडी हवाओं से शीतल
शस्यश्यामलाम् → हरे-भरे खेतों से आच्छादित
मातरम → माता
वन्दे मातरम् → माता की बन्दना करता हूँ।
वन्दे मातरम् का अर्थ -
वन्दे = "मैं नमस्कार करता हूँ" या "मैं आदर करता हूँ"
"वन्दे मातरम्" का अर्थ है — "मैं माता (मातृभूमि) को नमस्कार करता हूँ"।
तो अब
वंदना -
नमस्कार करना, आदर करना, प्रणाम करना, सलाम करना या उपमा देते हुए गुणों का वर्णन करते हुए आदर और सम्मान के साथ धन्यवाद कहना (Thanks) कहना । इसमें मानसिक, आत्मिक और शारीरिक रूप से सम्मान प्रकट करते है।
स्तुति -
सत्य के साथ गुणों का वखान करना, प्रशंसा करना, महत्त्व का वर्णन करना। इसमें छंद या लय का इस्तेमाल होता है। इसमें मानसिक, आत्मिक और गुणों को लयवद्ध करके सम्मान या आदर प्रकट करते है।
संक्षेप में समझे तो -
वंदना = उपमा के साथ नमस्कार करना
स्तुति = गुणों को लयवद्ध करके गुणगान करना
उदाहरण के लिए -
१. अगर कोई छोटा भाई अपने बड़े भाई, मित्र, गुरु, माता पिता आदि की वंदना करता है तो क्या कोई उसे पूजा करना कह सकता है?
वंदना के लिए विशेष गुणों को आवश्यकता होना आवश्यक नहीं है, लेकिन उपमा अलंकार का प्रयोग किया जा सकता है। यह सम्मान का उच्चतम भाव है।
अब यदि कोई इसे पूजा करना कहता है तो वो निसंदेह मुर्ख की श्रेणी में रखने योग्य है।
२. अगर कोई छोटा भाई अपने बड़े भाई, मित्र, गुरु, माता पिता आदि की स्तुति करता है तो क्या कोई उसे पूजा करना कह सकता है? लेकिन स्तुति के लिए स्तुति में कहे गए शब्दों के अनुसार विशेष गुण भी होने आवश्यक है। यह सम्मान का उच्चतम से भी उच्च भाव है।
अगर कोई इसे भी पूजा करना कहता है तो वह भी निसंदेह मुर्ख की प्रथम श्रेणी में रखने योग्य है।
वन्दे मातरम्।
सुजलाम् सुफलाम् मलय़जशीतलाम्,
शस्यश्यामलाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 1।।
शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 2।।
कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनाद कराले,
कोटि-कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले,
के बॉले माँ तुमि अबले,
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीम्,
रिपुदलवारिणीं मातरम्। वन्दे मातरम्।। 3।।
तुमि विद्या तुमि धर्म,
तुमि हृदि तुमि मर्म,
त्वम् हि प्राणाः शरीरे,
बाहुते तुमि माँ शक्ति,
हृदय़े तुमि माँ भक्ति,
तोमारेई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे-मन्दिरे। वन्दे मातरम् ।। 4।।
त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,
कमला कमलदलविहारिणी,
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्,
नमामि कमलाम् अमलाम् अतुलाम्,
सुजलां सुफलां मातरम्। वन्दे मातरम्।। 5।।
श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम्,
धरणीम् भरणीम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 6।।
वन्दे मातरम् गीत का हिंदी अर्थ -
हे मां, तुम्हें मेरा प्रणाम है। मां तुम पानी से भरी हुई हो, फलों से भरी हुई हो।
हे मां तुम्हें मलय से आती हुई हवा शीतलता प्रदान करती है।हे मां तुम फसल से ढकी रहती हो। हे मां, तुम्हें मेरा प्रणाम है। ।।1।।
वो जिसकी रात्रि को चांद की रोशनी शोभायमान करती है, वो जिसकी भूमि खिले हुए फूलों से सुसज्जित पेड़ों से ढकी हुई है। सदैव हंसने वाली, मधुर भाषा बोलने वाली , सुख देने वाली, वरदान देने वाली मां तुम्हें मेरा प्रणाम है। ।।2।।
करोड़ों कंठ मधुर वाणी में तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं। करोड़ों हाथों में तेरी रक्षा के लिए धारदार तलवारें निकली हुई हैं। मां कौन कहता है कि तुम अबला हो। तुम बल धारण की हुई हो। तुम तारने वाली हो। मां तुम शत्रुओं को समाप्त करने वाली हो। मां तुम्हें मेरा प्रणाम है। ।।3।।
तुम ही विद्या हो, तुम ही धर्म हो। तुम ही हृदय, तुम ही तत्व हो। तुम ही शरीर में स्थित प्राण हो। हमारी बांहों में जो शक्ति है वो तुम ही हो। हृदय में जो भक्ति है वो तुम ही हो। तुम्हारी ही प्रतिमा हर मन्दिर में गड़ी हुई है। मां तुम्हें मेरा प्रणाम है। ।।4।।
तुम ही दस अस्त्र धारण की हुई दुर्गा हो। तुम ही कमल पर आसीन लक्ष्मी हो। तुम वाणी एवं विद्या देने वाली (सरस्वती ) हो, तुम्हें प्रणाम है। तुम धन देने वाली हो, तुम अति पवित्र हो, तुम्हारी कोई तुलना नहीं हो सकती है, तुम जल देने वाली हो, तुम फल देने वाली हो। मां तुम्हें मेरा प्रणाम है। ।।5।।
हे मां तुम श्यामवर्ण वाली,अति सरल,सदैव हंसने वाली हो। तुम धारण करने वाली,पालन-पोषण करने वाली हो। मां तुम्हें मेरा प्रणाम है। ।।6।।
पूजा क्या है?
यह एक शास्त्रोक्त कर्मकांड पद्धिति या सनातन विज्ञान है। जो बिना ज्ञान या गुरु या ब्राह्मण के संभव नहीं है।
वंदना = उपमा के साथ नमस्कार करना, आदर करना, धन्यवाद कहना।
स्तुति = गुणों का लयबद्ध वर्णन करना, प्रशंसा करना।
इसलिए
पूजा = शास्त्रोक्त कर्मकांड, जो वंदना या स्तुति से अलग है।
तो संक्षेप में, "वन्दे मातरम् " का अर्थ है उपमा अलंकार के प्रयोग के साथ नमस्कार करना, आदर करना ।

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