भारत में ये ऑनलाइन ठगी करने में "घर बैठे काम (वर्क फ्रॉम होम)" के नाम पर सबसे ज्यादा ठगी हो रही है. ऑनलाइन फ्रॉड, ऑनलाइन धोखाधड़ी, धोखाधड़ी meaning in english, धोखाधड़ी की धारा आदि क्या होती है और इससे कैसे बचे.
आप ऑनलाइन किस किस तरह से फ्रॉड (ठगी) का शिकार हो सकते है.
By Pradeep Singh Tomar/ New Delhi : आज इन्टरनेट की दुनिया में हर कोई ऑनलाइन ट्रांजेक्सन करना चाहता है. और सरकार भी लोगो को प्रेरित कर रही है की ऑनलाइन ही लेन देन करे क्युकी इसमें सरकार के पास सारा रिकॉर्ड इकट्टा होता रहता है. पर कोई भी ऑनलाइन लेन देन करने से पहले आप सुनिश्चित करे की आपने जो भी लेन देन किया है वो सुरक्षित है.घर बैठे काम (वर्क फ्रॉम होम) के नाम पर ठगी:
भारत में ये ऑनलाइन ठगी करने में "घर बैठे काम (वर्क फ्रॉम होम)" के नाम पर सबसे ज्यादा ठगी हो रही है. कंपनी पहले आपसे से रजिस्ट्रेशन शुल्क या कस्टम शुल्क के रूप मोटी रकम लेती है फिर थोडा थोडा काम देकर गायब हो जाती है. इनसे बचे. क्युकी काम या जॉब देने वाली कंपनी आपसे रोजगार के नाम पर पैसे नहीं ले सकती क्युकी उसे तो आपको पैसा देना है काम के बदले फिर लेने का सवाल कैसे बनता है. उनके एक्जक्यूटिव आपसे मीठी मीठी बातें करके आपको फसाते है फिर आपको चैन सिस्टम बनाने के लिए कहते है जिसमे आपको भी कमिसन मिलता है. मतलब कंपनी के लिए फिर आप लोगो को फसाते है फिर सारा का सारा चैन सिस्टम ठगी का शिकार होता है. चैन सिस्टम मार्केटिंग नाम की कोई चीज़ नहीं होती ये ध्यान रखे.लॉटरी के नाम पर ठगी:
भारत में ये ठगी दुसरे नंबर पर है. जिसमे आपको ईमेल या SMS प्राप्त होता है. जिसमे आप विजेता बताये जाते है. या आपके पास फ़ोन आता है आपको लॉटरी लौटरी का विजेता बताया जाता है फिर आपसे कुछ न कुछ रकम रजिस्ट्रेशन शुल्क, कस्टम शुल्क, गवर्नमेंट फीस, सर्विस टैक्स इत्यादि के रूप में पैसे ऐठे जाते है. पहले वो आपसे 500 या 1000 रुपये लेते है जब आपके पैसे फस जाते है फिर लगातार कुछ न कुछ बहाने बनाकर आपसे पैसे लूटते रहते है जब तक की आपको एहसास नहीं हो जाता की आप लुट रहे है. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है.ऑनलाइन शौपिंग या कैश ओन डिलीवरी के द्वारा ठगी:
कैश ओन डिलीवरी के द्वारा ठगी:
यहाँ आप तीन तरह से ठगे जा सकते है:पहला :
आप कोई ऑनलाइन वेबसाइट देखे जहाँ किसी वस्तु का मूल्य जरुरत से ज्यादा कम हो, और वो वेबसाइट कैश ओन डिलीवरी से प्रोडक्ट को डिलीवर करने का वादा कर रही हो. आप बिना सोचे समझे आर्डर बुक कर देते है फिर कैश ओन डिलीवरी से आपको आर्डर प्राप्त होता है, कूरियर वाला आप से पैसे लेकर चला जाता है, फिर जब आप पार्सल खोलते है तो उसमे खराब वस्तु, कोई सस्ता सामान या खाली पार्सल होता है वो पैसे आपको रिफंड मिलना ९९% मुमकिन नहीं होता. क्युकी पैसे आपने कुरियर वाले को दिए है न की वेबसाइट को. वेबसाइट आपका आर्डर डिलीट करके कहेगी की आपने कोई आर्डर नहीं दिया.
दूसरा:
अगर आपके पास कोई फ़ोन कॉल आता है और वो आपको अविश्वसनीय डिस्काउंट या ऑफर देने की बात करता है और कहता है की आर्डर आपको कैश ओन डिलीवरी के द्वारा मिलेगा जिसे आप कुरियर वाले के सामने खोल के चेक करके पैसे देना, आप सोचते है ठीक है बाद में कुरियर वाला खुला हुआ पार्सल लेने से मना कर देता है. और आप फस जाते है क्युकी कुरियर वाला भी आपकी सिटी का होता है वो इस फ्रॉड में शामिल नहीं होता, वो तो डिलीवरी करके पैसे ले रहा है, क्या निकल रहा है और क्या नहीं ये उसकी जिम्मेदारी है जिसने पार्सल भेजा है.
तीसरा :
आपके पास ईमेल आती है जिसमे क्लेम किया जाता है की फलां फलां वस्तु कैश ओन डिलीवरी के द्वारा के द्वारा बुक करा सकते है और फिर से वही कुरियर वाली कहानी.
(नोट - वैसे देखा जाये तो कैश ओन डिलीवरी से ज्यादा ऑनलाइन पेमेंट वाले आर्डर सुरक्षित रहते है, क्युकी ऑनलाइन पेमेंट में फ्रॉड होने पर आपके पास पेमेंट देने का सबूत होता है, और बैंक या पुलिस से शिकायत कर सकते है जबकि कैश ओन डिलीवरी में नहीं.
नकली बैंक ईमेल से ठगी :
इस ठगी में आपको आपके बैंक से ईमेल प्राप्त होती है जो बैंक से न होकर उसकी बिलकुल कॉपी होती है, उस ईमेल में आपसे किसी न किसी लिंक पर क्लिक करके अपने खाते को अपडेट करने के लिए कहा जायेगा. या वो लिंक ही वायरस इत्यादि से भरा हुआ होगा जो आपकी सारी जानकारी को आपके कंप्यूटर से चुरा लेती है. इनसे सावधान रहे. क्युकी बैंक हर बार और बार-बार आपसे कहता है की न तो कोई उसका एक्सक्यूटिव फ़ोन पर या ईमेल पर आपसे कोई निजी जानकारी मांग सकता है और न आपको देना चाहिए. वो निजी जानकारी हो सकती है. जैसे OTP (One Time Password), आपकी जन्मदिन तारीख, आपका कार्ड नंबर, आपका कोई पिन, आपका इन्टरनेट बैंकिंग लॉग इन या आपका पासवर्ड इत्यादि.व्यापारियों के साथ ठगी:
अगर आपके पास कोई दुकान, फैक्ट्री, सर्विस किसी भी चीज़ में डील कर रहे है या आप नए नए इन्टरनेट पर अपने बिज़नेस को स्थापित करने के लिए आये और आपको इन्टरनेट की दुनिया या इन्टरनेट के फ्रौड्स (धोखाधडी) के बारे में कम जानकारी रखते है तो इस टॉपिक का प्रिंटआउट निकाल कर अपने पास रख ले क्युकी ये धोखाधड़ी आपके साथ होने वाली है या हो सकता है की हो चुकी हो. आइये जानिए क्या होगा आपके साथ.आपको किसी जाने माने पोर्टल या किसी अन्य बिज़नेस पोर्टल के नाम से फ़ोन आएगा. और वो आपसे कहेगा:
"सर में इस... फलाने फलाने ... पोर्टल से बोल रहा हु, जहा भारत के करोड़ो व्यापारी रजिस्टर्ड है जो हमारे साथ अपने बिज़नेस को प्रमोट कर रहे है आप भी अपने प्रोडक्ट्स या सर्विस को नम्बर एक पोर्टल पर फ्री में रजिस्टर्ड करा सकते है, जिसका कोई चार्ज नहीं है." { आप भी खुश हो जाते है ये तो बहुत अच्छी बात है और आप "हाँ" बोल देते है.} फिर वो आपके आइटम्स या सर्विसेज को अपने पोर्टल पर लिस्ट कर देता है, यहाँ से असली खेल शुरू होता है...
1. फिर आपके पास झूटी इमेल्स और कॉल्स आने चालू हो जायेगे जो आपसे आपके आइटम्स या सर्विसेज के बारे में जानकारी लेंगे, प्राइस फिक्स करेंगे, आपसे सेम्प्ल्स भी मगायेंगे उसके बाद न कोई कॉल न कोई जानकारी ...बस सन्नाटा. आपका समय और सेम्प्ल्स का पैसा बर्बाद.
2. फिर अचानक कुछ दिनों बाद उसी पोर्टल से फ़ोन आएगा और बोलेगा, "सर लोग आपके प्रोडक्ट्स या सर्विस को बहुत पसंद कर रहे है और खूब देख रहे है पर आप पर भरोसा नहीं कर पा रहे. उसके लिए आपको हमारे पोर्टल से वेरिफिकेशन कराना होगा. जिसका कुछ चार्ज जैसे 10000 या 15000 आदि हो सकता है" फिर आप सोचते है सही बात है कॉल्स तो आई थी पर लोग ऑनलाइन ऐसे कैसे विश्वास कर लेंगे और आप उन एक्सक्यूटीव् को बुला कर उस राशि का चेक दे देते है. मतलब आपने बिना किसी बिज़नेस के 15000 रुपये खो दिए.
3. फिर कुछ दिन या महीने गुजरते है और फिर से आपके पास उसी पोर्टल से फ़ोन आता है एक्सक्यूटीव् आपसे कहता है "सर आपने अपने प्रोडक्ट्स का फोटोशूट कराके अच्छी फोटो डाले ताकि ऑनलाइन दिखने में अच्छा लगे, ये तो आप भी जानते है न सर जो अच्छा दिखता है वही बिकता है. क्या फायदा आपके वेरिफिकेशन का." आप सोचते है इस सर्विस को ले लेना चाहिए नहीं तो वेरिफिकेशन के पैसे बर्बाद हो जायेगे और मुझे कोई बिज़नेस भी नहीं मिलेगा. आप फिर से उन्हें 15000-20000 की पेमेंट करते है मतलब 35000 आपके गये वो भी बिना धंधे के.
4. फिर कुछ दिनों बाद फ़ोन आएगा और बोलेगा की "सर आपके फोटोज भी ठीक है, वेरिफिकेशन भी ठीक है, लेकिन वेबसाइट आपकी कंपनी या आपके बिज़नेस के नाम की होनी चाहिए आप तो जानते ही है की आज हर ब्रांड की अपनी वेबसाइट है इसमें सिर्फ 50000 से 60000 तक का खर्चा आएगा. आपको फिर से उसकी बात सच लगेगी और आप 35000 रुपये बचाने के लिए फिर से उसे 50,000 दे देते है. यानि आपने बिना धंधे के आपको 1 लाख के आस पास चूना लग गया.
5. आपके पास ऐसे कॉल्स आते रहते है और आप उन्हें पेमेंट करते रहते है. जबतक की आप समझ नहीं जाते की आप ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हुए है, छोटे मोटे व्यापारियों के तो धंधे भी बंद हो जाते है इनके चक्कर में आकर.
इसका हल क्या है:
अगर आप अपने धंधे को ऑनलाइन लाना ही चाहते है तो आप अपनी वेबसाइट किसी वेबसाइट बनाने वाली कंपनी से संपर्क करे, उसे अपनी जरुरत बताये वो आपको इस्तेमाल करना सिखाएगा. फिर आप एक लड़का जॉब पर रखे जिसे कंप्यूटर, इन्टरनेट या ऑनलाइन मार्केटिंग की नोलेज हो, वो आपका काम आपके सामने करेगा. इससे आपका एक बार में खर्चा होगा वो भी 10,000 से 25,000 के बीच. उसके बाद डोमेन और वेब होस्टिंग का रेंट भरते रहे हर साल. फिर आपके साथ बिज़नेस देने के नाम पर कोई फ्रॉड नहीं होगा. एकबात आप समझ ले की जिसको भी ऑनलाइन बिज़नेस करना है वो खुद आपको ढूढेगा अगर आपका धंधा या बिज़नेस ऑनलाइन है आपको खोजने की आव्यश्यकता नहीं है आप बस इमानदारी से प्रोडक्ट या सर्विस की डिलीवरी करे. ग्राहक अपने आप बनेगे.
ऑनलाइन खरीदारी में भी करे समझदारी का इस्तेमाल:
कैश ओन डिलीवरी का इस्तेमाल कम से कम करे या नहीं करे. क्युकी इसमें आप पार्सल के मिलने के बाद पैसा देते है, एक बार आपने पार्सल ले लिया फिर पार्सल के अंदर क्या निकलेगा इसकी जिम्मेदारी कूरियर में काम करने वाले व्यक्ति की नहीं होती है, वो कहेगा की कंपनी या वेबसाइट में शिकायत करो. आप का आर्डर नंबर डिलीट कर दिया जायेगा और आपके पास पेमेंट देने का भी कोई साक्ष्य नहीं होता है. ऐसे फ्रॉड आजकल बहुत ज्यादा हो रहे है.कूरियर बॉय से पार्सल लेने से पहले ये चेक करे की वेबसाइट द्वारा दिया गया कूरियर ट्रैकिंग नंबर और कूरियर का नाम सामान है या नहीं, कही कोई और तो नहीं जो उस वेबसाइट का इस्तेमाल कर आपको लूट ले जाये. क्युकी जरुरी नहीं की वेबसाइट या कंपनी ही फ्रॉड हो, हो सकता है की वहाँ का कोई स्टाफ आपके साथ धोखाधडी कर रहा हो.
जैसे अभी हाल ही में नोटबंदी के समय बैंक या संस्था फ्रॉड नहीं कर रही थी लेकिन उसमे कार्यरत कुछ एक दो कर्मचारियों ने सिर्फ कुछ परसेंट कमीशन के लिए देश के साथ गद्दारी की.
जब भी आप सामान ऑनलाइन खरीदे हमेशा ऑनलाइन पेमेंट का ही इस्तेमाल करे क्युकी आपके पास बैंक में रिकॉर्ड होता है चाहे आप क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर रहे हो या डेबिट कार्ड या नेट-बैंकिंग.
आप चाहे तो ऑनलाइन वॉलेट का भी इस्तेमाल कर सकते है. जैसे Payumoney, PayTM, Mobikwik, Airtel Money, OLA Money, FreeCharge, Idea Money, Citi Master Pass, CitrusPay, Ezetap, HDFC PayZapp, ICICI Pockets, Jio Money, Juspay, Axis Lime, MomoeXpress, SBI Buddy, Oxigen, Paymate आदि आदि. वॉलेट से पेमेंट करने का ये फायदा होता है की आप अपने कार्ड या ऑनलाइन बैंकिंग की जानकारी सिर्फ वॉलेट को देते है और किसी को नहीं. जिससे आपकी निजी जानकारी लीक नहीं होती है. आजकल वॉलेट इस्तेमाल करने पर ऑफर भी अच्छे मिल रहे है.
हैक की गई साइटों से बचें :
कुछ वेबसाइट हैक हो जाती है और वेबसाइट कंपनी को काफी बाद में पता चलता है या कभी कभी कंपनी असहाय होती है इसे सोल्व करने में. ऐसी वेबसाइट पर लेन देन से बचना चाहिए. आप उस वेबसाइट का लिंक गूगल सर्च में डालेंगे तो लाल कलर में हैक वेबसाइट की वार्निंग दिखायी देगी. या फिर ऐसी वेबसाइट जिस पर है तो वो कही और रीडायरेक्ट हो रही हो उनसे बचे.क्लोन वेबसाइट से बचे :
कुछ नकली साइटें बिल्कुल असली साइट की तरह लगती हैं, लेकिन उन्हें आपकी खाता जानकारी को चोरी करने के लिए सेट किया गया है. ध्यान रखे.अपरिचित वेबसाइट से पहले परिचित हो:
अगर आपने पहली बार किसी वेबसाइट से खरीददारी कर रहे है तो उस वेबसाइट के बारे में इन्टरनेट पॉजिटिव या नेगेटिव रिव्यु या फीडबैक जरुर ढूढे. दिए गए फ़ोन नंबर्स या ईमेल पर कांटेक्ट करे और जानकारी ले. सोशल मीडिया पर भी उसको ढूढ कर देख सकते है. साथ ही साथ ये भी पता करे की वेबसाइट कितनी पुरानी है.मज़बूत पासवर्ड:
एक से अधिक खातों में पासवर्ड का पुनः उपयोग न करें और उन्हें समय-समय पर बदलना याद रखें, क्युकी पासवर्ड समान होगा तो सारी खाते एक साथ हैक हो सकते है.कभी भी अपने कार्ड की जानकारी या इन्टरनेट बैंकिंग का पासवर्ड या यूजरनाम अपने ब्राउज़र में सेव नहीं करे. न ही वॉलेट / पर्स में लिख कर रखे. अगर आप इतने सारे पासवर्ड या बैंक अकाउंट नंबर या कार्ड नंबर भूल जाते है और आपको कही न कही लिख कर रखना ही है तो हमेशा कूट भाषा में लिख कर रखे जैसे - A,B,C,D,E,F,G,H = 81,82,83,84,85,86,87 तो DEEA = 84858581, मतलब आपको केवल DEEA लिख कर रखना है, इसे आप अकाउंट नंबर, कार्ड नंबर या पासवर्ड आदि में खुद परवर्तित करके इस्तेमाल कर लेंगे. कूट भाषा भी बहुत सी तरह की होती है सरल या कठिन आप अपने अनुसार उसे सीखकर इस्तेमाल कर सकते है.
सर आपने ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट कर दियाकोर डिलीवरी बॉय आपको समान नहीं पहुंचा कर खुद रख ले तो आप क्या कर सकते हो
ReplyDeleteइसलिए ऑनलाइन पेमेंट करने से लोग डरते है और कैश ऑन डिलीवरी को चुनते है
मेरा मानना है कि ऑनलाइन शॉपिंग करने से अच्छा किसी पास की दुकान से सामान ले आओ
No, the Delivery boy can not keep the item. you should always buy from a genuine website.
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