क्या शूद्र, मलेच्छी, गुलाम और नीच का अर्थ एक ही है? Do Shudra, Malechhi, Ghulam and Neech mean the same thing? मतलबी घटिया लोगों पर शायरी, बेशर्म लोगो
नहीं, जितनी मुझे जानकारी है उस हिसाब से शूद्र, मलेच्छी, गुलाम और नीच ये चारो शब्द का अर्थ अलग-अलग है। इस ब्लॉग को सिर्फ सकारात्मक रूप से ले। इससे समाज और देश दोनों को फायदा होगा क्युकी आप लोगो को आसानी से पहचान सकते है।
ऐसा कौन होगा जो चाहेगा उसका बच्चा बलात्कारी बने?
तो चलिए खोलते है आपके ज्ञान-चक्षु प्रेम के साथ -
शूद्र का अर्थ -
इसकी व्युत्पत्ति होगी-‘शु द्रवतीति शूद्रः’ = जो स्वामी के कहे अनुसार कार्य करता है अर्थात् जो सेवा और श्रम का कार्य करता है।
जैसे राजा के नौकर, चाकर
जैसे किसी व्यापारी के नौकर
आज किसी कंपनी या सरकार के नौकर
इनसे कोई भी कार्य नहीं करवाया जा सकता, उनके कौशल के आधार पर रखा जाता है, उनके कर्तव्य या कर्म के बदले द्रव्य या धन दिया जाता है। इनसे कोई छुआछूत नहीं होती थी और न है। क्युकी इनके द्वारा बनाया गया भोजन तब भी खाते थे और आज भी खाते है। शूद्र का सम्मान अन्य तीन वर्णो के समकक्ष था और है।
इत्यादि
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मलेच्छी का अर्थ -
मलेच्छ / मलेच्छी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। मल + इच्छा, जिसका अर्थ होता है - गंदे विचार या दुष्ट प्रवृत्ति।
शास्त्रों के अनुसार म्लेच्छ जैसे कि -
- गाय का मांस खाने वाला
- मंदिरो को तोड़ने वाला, प्रतिमा को खंडित करने वाला
- वेद पुराण फाड़ने वाला
- लोभ, लालच, व्यभिचार, अभक्ष्य खिलाकर अन्य मनुष्यों को अपने जैसा बनाना / अर्थात उनके धर्म से खंडित कराने वाला। (धर्म-परिवर्तन कराने वाला)
- अपनी ही कुल की पुत्रियों / स्त्रियों से भोग करने वाला,
- इत्यादि
इनसे छुआछूत आज भी कुछ लोग मानते है अगर इनके गंदे कर्म पता चल जाए. मलेच्छी का सम्मान सनातन धर्म के आस्तिक लोग नहीं करते लेकिन नास्तिक लोग करते है क्युकी इनके कुछ कर्म आपस में मिलते है।
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गुलाम का अर्थ -
- मोल लिया हुआ दास / खरीदा हुआ नौकर जैसे की राजा हरिश्चंद्र
- इनसे कोई भी कार्य लिया जा सकता था ।
- इन्हे कोई द्रव्य या धन नहीं दिया जाता था ।
- इनसे कोई छुआछूत नहीं होती, लेकिन कर्म करते समय पवित्रता का ध्यान अवश्य रखा जाता था।
- इत्यादि
नीच का अर्थ -
- अपने घर में शराब या नशा बेंचने वाला
- अपने ही घर में अपनी ही पुत्रियों / स्त्रियों से वैश्यावृति करवाने वाला
- गाय / मनुष्य का मांस खाने वाला
- मंदिरो को तोड़ने वाला, प्रतिमा को खंडित करने वाला
- वेद पुराण फाड़ने वाला
- बलात्कार करने वाला
- चोरी करने वाला
- इत्यादि
पहले इन्हे राजा के सैनिक ढूढ़ते रहते थे, आज पुलिस दुढ़ती है। इनसे दूरी जरुरी है, नहीं तो इनके संपर्क में आने पर समाज के बच्चे भी इनके रास्ते पर चलने लगते है। वे भी नीचता को प्राप्त होते है, चाहे वे किसी भी धर्म, पंथ या जाति के हो।
नोट - नीच लोग हर धर्म, पंथ और जाति में हो सकते है इनका किसी एक धर्म, पंथ और जाति से सम्बन्ध नहीं है। नीच का कोई सम्मान नहीं होता । इन्हे पुलिस या सैनिक हमेशा खोजते रहते और ये बहरूपिया या अपराधी के रूप में जीवन भर भागते रहते है।
डिस्क्लेमर - ऊपर दी गयी जानकारी सिर्फ मेरे व्यक्तिगत विचार मात्र है जिन्हे अपने जीवन से अनुभव किया है। किसी व्यक्ति, व्यवसाय, धर्म, पंथ और जाति को चोट पहुंचाने का कोई उदेश्य नहीं है । न ही उनका यहाँ पर कोई सम्बन्ध है।
मेरा उदेश्य था -
एक अच्छा मनुष्य या मानव जीवन यापन में एक दूसरे का सहायक होता है , मैं इसे विश्व बंधुत्व समझता हूँ। और इस अच्छे समाज का परिवार रुपी सभी देशो की धरती है। जिसे मैं वसुधैव कुटुंबकम समझता हूँ । इसलिए सभी धर्म, पंथ और जाति के लिए प्रार्थना करता हूँ।
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
भी सुखी होवें,सभी रोगमुक्त रहें,
सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
ॐ शांति शांति शांति॥
वैसे भी ये सदी भारत की है। इसलिए भारत के विकास और निर्माण के लिए अपने ज्ञान, कौशल और चरित्र को अपडेट करने की आवश्यकता है। उसे करते रहे। ॐ शांति
FAQs -
क्या हिन्दू धर्म चार वर्णों में विभाजित है?
मेरी नज़र से हिन्दू धर्म चार वर्णों में विभाजित नहीं था और न ही विभाजित है बल्कि सनातन धर्म में समाज में रहने वाले लोगो को चार वर्णों के अनुसार पहचाना जाता था।
जैसे आज के उपलक्ष्य में मुझे ये चारो वर्ण प्रतीत होते है -
- वैज्ञानिक खोज या जीवन या आत्मा की खोज करने वाले वैज्ञानिक - ब्राह्मण
- जो लोग आर्मी, पुलिस, या कोई भी सैनिक है वो - क्षत्रिय
- जो आज व्यापार करते है या खुद की रेहड़ी भी लगाते है वे - वैश्य
- जो लोग प्राइवेट (National or International) या सरकारी नौकरी करते है वे - शूद्र
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