understand what Brahman means by the universe. Although many people were commenting that Is Brahman the supreme spirit of the universe? and Is Brahman
What I think के अंतर्गत आज कुछ बात करना चाहूंगा ब्राह्मण और ब्रह्मांड के बारे में।
ब्राह्मण -
ब्राह्मण शब्द मुझे लगता है कि ब्राह्मण एक वर्ण का नाम है, जो बुद्धिमता के आधार पर मनुष्यों में श्रेष्ठ कर्म (वैज्ञानिक खोज जैसे कि आत्मा की खोज / परम शांति की खोज / वास्तविक सत्य की खोज) करते है।
इसके अलावा, ब्राह्मण शब्द भी वेदों के चार वर्णों में से एक है जो वेदों की शिक्षा मनुष्यों को प्रदान करते थे अर्थात शिक्षक या गुरु का कार्य भी करते थे या है, जैसे की आजकल प्रोफेसर होते है ।
समय बीतने के साथ साथ इनके लिए तक्षशिला जैसी यूनिवर्सिटी भी बनायी गयी जहाँ बाहरी देशों के लोग भी पढ़ने के लिए आते थे।
ब्राह्मण शब्द का संधि विच्छेद -
ब्राह्मण शब्द का संधि विच्छेद दो भागों में किया जा सकता है - "ब्रह्म" और "अण". "ब्रह्म" अर्थात (Creater of Universe or Knowledge of Universe ) शब्द वेदों में उपयोग किये जाने वाले एक महत्वपूर्ण शब्द है, जिसका अर्थ होता है परम तत्व, परम सत्य या ईश्वर। तो वही "अण" शब्द का अर्थ समझता हूँ, अणु (Atom).
हालाँकि इंटरनेट पर कई वेबसाइटस द्वारा इसका "अण" काअलग अलग अर्थ बताया है। होता होगा उनके विचार और ज्ञान के हिसाब से।
अर्थात वह मनुष्य उस ब्रह्म का अणु (Atom) कहा जा सकता है जो ब्रह्म (Creater of Universe or Knowledge of Universe ) के बारे में ज्ञान रखता है, प्रोफेसर या गुरु बनने के बाद वह अपने सामाजिक लोगो को उस ब्रह्म (Creater of Universe or Knowledge of Universe ) के बारे में ज्ञान बांटता है। ताकि परम सत्य को उस समाज में भी बाँटा जा सके जो जो अपने कर्म में व्यस्त होकर सामाजिक व्यवस्था चला रहे है।
ब्रह्मांड (Universe ) -
दूसरी ओर, ब्रह्मांड शब्द ब्रह्मा और अंतरिक्ष के लिए प्रयुक्त होता है। ऐसा कुछ लोगो को मानना है लेकिन मेरे विचार से -
ब्रह्म (Creater of Universe or Knowledge of Universe ) + अंड
यहाँ अंड शब्द क्या है?
अंड अर्थात एग जिसका अर्थ समझ में आता है रचना करने वाला बीज अर्थात ऐसा अंड जिसके अंदर रचनाएँ बनती और बिगड़ती रहती है जिसे परिवर्तन कहा जाता है। जो सबकुछ है, जो समस्त वस्तुएं और ऊर्जाएं समेटता है जो ब्रह्मा द्वारा बनाए गए होते हैं।
ब्रह्मांड के अंदर जगत, तारे, ग्रह और अन्य वस्तुएं शामिल होती हैं। यह एक विशाल ब्रह्मांड है, जो अस्तित्व के सभी चीजों का घेरा होता है और समस्त वस्तुओं के समूह को संदर्भित करता है।
नोट - उपनिषदों की कुछ कहानियों के अनुसार सम्पूर्ण तरीके से ब्रह्म को कोई नहीं जानता, अगर कोई कहता है कि वह ब्रह्म को पूरी तरह से जानता है तब भी इसका मतलब यही निकलेगा कि वह नहीं जानता क्युकी ये अहम् भाव है। अहम् भाव रखने वाला ब्रह्म (Creater of Universe or Knowledge of Universe ) को पूरी तरह से नहीं जान सकता।
कर्म के अनुसार ही मनुष्य को पहचाना गया और जिसे वर्ण कहा गया । ब्राम्हण कोई भी बन सकता है| हर व्यक्ति को ब्राह्मणत्व तक पहुंचने का अधिकार है| ब्राह्मण ब्रह्मांड के नियमों का पालन करते हैं| विश्व के कल्याण के लिए कार्य करते हैं|
तो यहाँ मेने आपको बताया कि मेरे विचार से ब्राह्मण और ब्रह्मांड क्या है, आपके विचार से क्या हो सकता है? कमेंट में बताये? सहमति और असहमति दोनों का सम्मान है।
डिस्क्लेमर - ब्राह्मण शब्द का अर्थ यहाँ किसी जाति से नहीं बल्कि कर्म के लिए इस्तेमाल किया गया है।
ये भी पढ़े - हिन्दू धर्म में वर्ण कितने प्रकार के होते है?
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