कैसे CM योगी ने मुस्लिमों को कलंकित होने से बचा लिया? न्यायोचित कार्यवाही के लिए श्री योगी आदित्य नाथ गुरु जी की मै चरण वन्दना करता हूँ, शायद इसी कार
जिन लोगो को वोट चाहिए वो किसी भी कंडीशन में राजनीति करते है, यहाँ बात राजनीति की नहीं बल्कि विचार करने योग्य विषय है।
अभी हाल ही कुछ दिनों पहले मीडिया में खबर देखी कि बुलंदशहर के एक गांव में किसी ने मंदिर और मंदिर में रखे बिग्रह को खंडित कर दिया । जो लोग सूत्रों से खबरे चलाते है वो सूत्र दौड़ाने लगे। इधर कुछ लोगो में धारणा भी बनने लगी कि हिन्दू तो अपने मंदिर तोड़ नहीं सकता, फिर जरूर ये किसी अन्य धर्म के लोगो की करतूत होगी।
लेकिन 7-8 दिन बाद मंदिर तोड़ने वाले अपराधी हरीश शर्मा उर्फ ईलू ,अजय, शिवम और केशव आदि को पकड़ लिया गया, इन अपराधियों ने अपने इस अपराध का दोषी शराब को बताया - कि नशे में थे। कुछ मीडिया भी दोषी शराब के नशे को बता रही है तो कुछ मीडिया या विशेष धर्म शब्द की जगह सीधा सीधा हिन्दू नाम लिख रही है। । वो बात अलग है की मंदिर खंडित करने की योजना शराब पीने से पहले बन चुकी थी, क्युकी खंडित करने में इस्तेमाल हुआ गैदाला उनसे बरामद हुआ है।
योगीनाथ ने मुस्लिमों को कलंकित होने से कैसे बचा लिया? -
आप आप खुद विचार कीजिये की अगर पहले वाली कोई तुष्टिकरण करने वाली सरकार होती तो क्या करती? तुष्टिकरण करने वाली सरकारे तो पाकिस्तानी आतंकियों के हाथ में भी कलावा देख लेती थी, तो यहाँ उन्हें तुष्टिकरण के तहत वोटो की खेती करने में कितना समय लगता?
नहीं समझ आया?
अब सीधी सीधी कल्पना कीजिए -
पुलिस को पता चलता की मंदिर तोड़ने वाले हिन्दुओं के रूप में काफिर है, और ये बात किसी मंत्री तक जाती तो क्या करते?, तुष्टिकरण करने वाला मंत्री कहता - कि कही से भी चार मुस्लिम पकड़कर उनको मीडिया के सामने मुँह ढक कर खड़ा कर दो। कौन क्या कर लेता?
इससे होता क्या?
इसी ऊपर वाली कल्पना को एक कदम और आगे लेकर जाइये, कि अब बुलंद शहर के आस पास उसके बाद विरोध होता, दंगे भी हो सकते थे, जिसमे दोनों वर्गों के जान माल का नुक्सान होता। और जान माल के नुक्सान के साथ साथ देश के मुस्लिमों पर ये कलंक लगता कि इन्होने मंदिर तोड़े।
अब आप कल्पना से बाहर निकलिए क्युकि -
श्री योगीनाथ की सरकार की पुलिस ने जो भी वास्तविक अपराधी थे, उनको धर-दबोचा, इसमें कोई संदेह नहीं कि वे धन्यवाद के पात्र है।
हिन्दुओ ने मंदिर क्यों तोड़े -
अब योगी जी की पुलिस अपराधियों के साथ झिंगालाला तब तक करेगी जब तक की उनका काफिरपना दूर नहीं हो जायेगा। क्युकी भगवान् अगर अपने भक्तो के लिए करुणा के सागर है तो वे हाथ में सुदर्शन चक्र भी चिढ़े हुए दानव, राक्षस और मनुष्यो के लिए रखते है।
इस तरह के लोग कभी मंदिर तोड़ते है, कभी रामचरित मानस जलाते है, कभी संतो पर गोली चलवाते है, कभी संतो को रेल के डिब्बे में बंद करके जलाते है, कभी संतो को घेर कर मारते है, कभी ये लोग मंदिर में चादर चढ़ाते है, तो कभी मंदिर में नमाज़ पढ़ते है, इन लोगो का धर्म से कोई लेना देना नहीं है इन सभी पर पुलिस को कार्यवाही करनी चाहिए बिना धर्म और जाति देखे।
आज कल कई लोगो के नाम हिन्दू जैसे होते है, लेकिन वे वास्तव में सनातन धर्म छोड़ चुके होते है वे केवल आरक्षण के लिए और समाज में खुद को एक्सपोज़ न करने के चक्कर में अपना नाम नहीं बदलते है।
न्यायोचित कार्यवाही के लिए श्री योगी आदित्य नाथ गुरु जी की मै चरण वन्दना करता हूँ, शायद इसी कारण CM योगी को जो भी समझते है वे उन्हें चुनते भी है।
नोट: यह एक व्यक्तिगत विचार से उपजा एक ब्लॉग मात्र है, कोई खबर या न्यूज़ नहीं। धर्म तभी तक श्रेष्ट है जब तक वह किसी पर आक्रमण या हमला नहीं करता, लेकिन आत्मरक्षा करना धर्म है।
इस बात को रिजवान जी ने भी उठाया, देखिये उन्होंने एक्सपोज़ करने वालो को Expose कर दिया। -
Courtesy - Face to Face, / YouTube official
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