जब ज्ञात है कि ऋषि कश्यप के कश्मीर में सभी ब्राह्मण थे, तो ? कश्मीरी पंडित हूं' - Farooq Abdullah, मुसलमान पहले हिन्दू थे - गुलाम नबी आजाद
मेरी उम्र अभी 36 के आस पास है लेकिन अभी तक ऐसा कभी नहीं देखा कि ब्राह्मणों ने शूद्रों, क्षत्रिय, या वैश्यों ने किसी के साथ कोई भेदभाव किया हो। हो सकता है मैं उस माहौल में नहीं रहा हूँ, अगर ऐसा कुछ था तो।
ठीक इसी प्रकार से आज जब मैं अपने शास्त्रों का अध्ययन करता हूँ तो वहां मनुष्य को अपनी आत्मा और परमात्मा की खोज के बारे में बताया गया है, कि कैसे कोई भी व्यक्ति सिद्दी प्राप्त कर सकता है, और किस प्रकार से व्यक्ति अपने आचरण के माध्यम से सिद्दी प्राप्ति से आगे की यात्रा परमात्मा को प्राप्त करने के लिए जारी रख सकता है।
लेकिन आज जब कश्मीर में एक नेता ने कहा - कि पहले कश्मीर में उच्च ब्राह्मण और निम्न ब्राह्मण का भेदभाव था इसलिए हम सरस्वती ब्राह्मण से दूसरे धर्म में कन्वर्ट हो गए।
What Do I Think? -
उच्च ब्राह्मण और निम्न ब्राह्मण का भेदभाव सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ क्युकी इस बात को मैंने अपने जीवन में पहली बार सुना था। अर्थात उन नेता ने सनातन धर्म पर एक और धब्बा लगाने की कोशिश है। जबकि इनका कर्तव्य समाज सुधारने की है न की भेदभाव और गरीबी से दुखी होकर धर्म परिवर्तन की बात करने की थी। इससे हमें कोई शिकायत नहीं है कि किस के पूर्वजो ने क्या किया, क्युकी उस समय की स्थिति क्या होगी, और उनका कर्तव्य क्या रहा होगा, वो उनको ही ज्ञात हो सकता है। मैं उनका अपमान करके कोई पाप करूँगा तो ये मूर्खता होगी।
लेकिन चाणक्य के अनुसार विचार करता हूँ तो -
परिवार की रक्षा के लिए परिवार के सदस्य का बलिदान कर देना चाहिए, गाँव की रक्षा के लिए परिवार का बलिदान कर देना चाहिए, देश की रक्षा के लिए गाँव का बलिदान कर देना चाहिए और आत्मा की रक्षा के लिए देश का बलिदान कर देना चाहिए।
(स्त्रोत - चाणक्य नीति - अध्याय 3)
तो हो सकता है कि कश्मीरी ब्राह्मण पूर्वजों ने अपनी रक्षा के लिए देश का बलिदान कर दिया हो। क्युकी जब मनुष्य ही नहीं बचेगा तो धर्म को क्या जानवर मानेगे?, क्युकी वे न सिद्दी प्राप्त कर सकते है, न ज्ञान, न भक्ति और न आत्मसाक्षात्कार, फिर भगवान् तो बहुत दूर की बात है।
इसलिए आज के समय में उच्च ब्राह्मण और निम्न ब्राह्मण में भेदभाव की बात करना समझ से परे है। क्युकी यह सनातनियो को फिर से तोड़ने का षङयन्त्र प्रतीत होता है, और अगर षणयंत्र नहीं है तो उन्हें अपनी और अन्य लोगो को सही रास्ते पर लाने का प्रयत्न करके ऋषि कश्यप के कश्मीर में पूर्वजों के ब्राह्मण धर्म का पालन चाहिए।
क्युकी श्रीराम से बैर रखकर उन्हें प्राप्त करना ब्राह्मण पुत्र राक्षस रावण की याद दिलाता है।
कुछ मुख्य स्त्रोत -
20 फरबरी 2014 - 'मैं असल में मुसलमान नहीं कश्मीरी पंडित हूं' - Farooq Abdullah (अमर उजाला )
17 अगस्त 2023 - देश के सारे मुसलमान पहले हिन्दू थे - गुलाम नबी आजाद (News18 न्यूज़ )
कश्मीर क़ौम का इतिहास किताब - कश्मीर में पहले सभी लोग हिंदू थे और वे सब ब्राह्मण थे (ज़ी न्यूज़)
डिस्क्लेमर - यह स्वयं की अभिव्यक्ति मात्र है। किसी की कोई मानहानि, सुझाव, आरोप, इत्यादि नहीं है। और न हीं इसका किसी कोई व्यक्ति या धर्म से सम्बन्ध है।
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