जिन लोगो को प्रभु राम और रामसेतु काल्पनिक प्रतीत होते है, वे इनके प्रिय साथी थे और है। जो लोग प्रभु राम के भव्य मंदिर के लिए श्री हनुमान जी की तरह इस
यूट्यूब पर स्क्रॉल करते समय एक खबर अपने आप सामने आ गयी कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं, सभी के भगवान हैं और यह बात किसी नेता ने कही थी। आप चाहे तो "राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं, सभी के भगवान हैं" को गूगल में सर्च करके देख ले कौन कह है।
ज्यादातर मीडिया ने उनकी इस बात को हैडलाइन बनाकर, उनके उपदेशो को बड़े विस्तार से लोगो को बताये है, उन श्रीमान ने देश के लोगो को बताया कि कौन लोग राम के नाम का फायदा उठाना चाहते है? इस बात को बताया है, उन्हें लगता है की उन्होंने लोगो को उनका धर्म समझाया है। ऐसा करते हुए उन्होंने ज्यादातर धर्मो के नाम भी लिए है।
(लेकिन यहाँ मीडिया ने उन उपदेशों पर अपने स्वयं के विचार नहीं थोपे है। और न ही आगे-पीछे के सत्य से अवगत कराया है यहाँ ईमानदारी से मीडिया ने काम किया है। (सिर्फ कुछ, सभी नहीं))
उनकी उस न्यूज़ को अलग अलग मीडिया माध्यम से जानने के बाद अचानक से एक विचार के आने से मस्तिष्क में बिजली सी कौंध गयी।
1. जिन लोगो को प्रभु राम और रामसेतु काल्पनिक प्रतीत होते है, वे इनके प्रिय साथी थे और है। कैसे?
लेकिन
2. जो लोग प्रभु राम के भव्य मंदिर के लिए श्री हनुमान जी की तरह इस रामकाज़ को रामबाण की तरह कर रहे है, वे इन महाशय के राजनीतिक विरोधी है। कैसे?
कितने कमाल की बात है कि सबके अपने-अपने श्रीराम है
तो किसी के लिए वे मर्यादा के साथ पुरुषों में उत्तम पुरुष अर्थात पुरुषोत्तम श्रीराम है, जिनके श्री हनुमानजी भक्त है जिन्हे श्रीराम जी अपने भाई भरत के समान कहते भी है और समान प्रेम भी करते है ।
श्रीराम की महिमा को आप परम श्रदेय श्री जैन मुनि जी के श्रीमुख से सुन सकते है।
Disclaimer - इस लेख में वर्णित बातें लेखक अपने भाव मात्र है। इसका किसी व्यक्ति, पार्टी इत्यादि से कोई लेना देना नहीं है। फिर भी अगर कही किसी प्राणिमात्र को कोई दुःख पंहुचा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ
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