श्रीरामचरित फाड़ने वाले वही कार्यकर्ता जो पन्ने फाड़कर आग में जला रहे है और बिखेरे हुए पन्नो को पैरो से आग में बढ़ा रहे है। pages in the fire with feet
श्रीरामचरित मानस का अपमान करने वाले या फाड़ने वाले कार्यकर्ताओं को हनुमान चालीसा याद है? और तो और वे श्री तुलसीदास जी को भूल नहीं पाते है, यह सुनकर शांत मन ज्वालामुखी की तरह उद्धिग्न हो उठा।
What do I Think ?
अपने ब्लॉग के अनुसार आपको बताता हूँ की मुझे एक सनातनी वोटर और हनुमान जी का तुच्छ दास होने के नाते इस पर मेरे क्या विचार है।
नेता जी ने कहा -
1. कि वे गोस्वामी तुलसीदास को भूल नही पाते
मेरा विचार -
उनका यह सोचना ठीक ही होगा के वे गोस्वामी श्री तुलसीदास को भूल नहीं पाते, क्युकी उन्हें इस धरती पर उपलब्ध सभी रामचरित मानस की प्रतियां फड़वानी की चिंता व्याप्त होगी। इससे उनके अधर्मी वोटर प्रसन्न होंगे जो किसी के धर्म का अपमान करके सुख पाते है।
------------------शंका समाधान शुरू ----------------------
अधर्मी वोटर अर्थात
1. एक ऐसा चिढ़ा हुआ पड़ोसी जो भक्ति देखकर जलता है और किसी के इष्ट या धर्म का अपमान करना उनका लक्ष्य होता है। इसलिए वे मंदिर मार्ग या धर्म कार्य में हड्डी, खून, मांस इत्यादि फेकते रहते है।
2. अपने ही घर का बेटा स्वार्थ की हड्डी चाटने के लिए उसी पड़ोसी के घर में रहने लगता है अर्थात धर्म से अधर्म में परिवर्तन कर लेता है, उसके बाद से जब भी कभी , जैसे ही अपने सगे मां/ बाप को देखता तो उन्हें गाली, उन पर चुटकी लेने लगता है।
खैर ये सब सत्य उजागर करने से ये काफिर कहाँ समझने वाले।
काफिर अर्थात
वही ऊपर वाला, जो अपने सगे मां/बाप का सगा नहीं, वो पडोसी का सगा कैसे होगा, इसलिए वही पडोसी कूट भाषा में इन मूर्खों को काफिर कहता है, सोचता है किसी न किसी दंगे में दंगो का नाम लेकर निपटा देंगे। फ़िलहाल इनकी माताएं और बहनो का अपहरण (शादी धोखे से या बहाने से ) करता रहता है लेकिन स्वार्थ और लालच की हड्डी चाटने के आनंद से इनकी आँखे बंद है।
--------------------शंका समाधान समाप्त ------------------
हाल ही में उनके ही नेता और उनके कार्यकर्ताओं ने रामचरित मानस की कई प्रतियां देश और दुनियाँ के सामने फाड़ी और जलाई, उस दुनियाँ के सामने जो भारत को श्रीराम और कृष्ण की जन्मभूमि के रूप में आदर और सम्मान से देखती है। इसलिए अधर्मी लोग सत्य तो तब बोलेंगे जब सत्य का ज्ञान हो, अतः अपनी आदतानुसार कई झूठ बोले और बताया की ये दलितों और महिलाओं के खिलाफ है।
आगे नेता जी ने कहा -
२. उनके कार्यकर्ताओं को हनुमान चालीसा याद है।
मेरा विचार -
कोई व्यक्ति जो श्री हनुमान जी का भक्त या श्री राम जी का भक्त है क्या वो इस पार्टी का कार्यकर्त्ता बनेगा? क्या वो अपने श्रीरामचरित मानस के अपमान को जातिवाद के स्वार्थ के लिए भूल जायेगा? अगर भुला तो श्री हनुमान जी उसको क्षमा कर सकेंगे क्या?
मैं तो अंतिम साँस तक इस अपमान को नहीं भूलूंगा
फिर भी स्वार्थवश, जातिवाद से भ्रमित अगर कोई ऐसा करता हुआ दिखाई भी देता है तो वो मेरी नज़र में, वो एक बहरूपियाँ ही होगा, इससे ज्यादा मैं उस व्यक्ति या कार्यकर्ता को सम्मान नहीं दे सकता।
फिर आगे नेता जी ने और कहा कि -
३. कोई घर परिवार ऐसा नहीं है जिसने महाभारत ना पढ़ा हो या रामायण के बारे में ना जानता हो.
मेरा विचार -
जब आपको पता है कि कोई ऐसा घर परिवार ऐसा नहीं है जिसने महाभारत ना पढ़ा हो या रामायण के बारे में ना जानता हो, उसके बाद भी अधर्मियों के साथ खड़े होकर अपने आपको शरीफ बता रहे है?
रामायण और महाभारत काल में भी ज्यादातर लोगो को शास्त्रों का ज्ञान था लेकिन उस काल में भी अधर्मी थे, और रामायणकाल में भी अधर्मी थे जो ऋषियों के यज्ञ विध्वंस करते थे। संतो को मारते पीटते थे, उनके हवन, मंदिर विध्वस करते थे।
इसलिए इतिहास के पन्नों को मत पलटिये क्युकी कई पन्नो में संतो के खून के छींटे भी मिलेंगे
ॐ श्री सीतारामाभ्याम नमः ॐ श्री हनुमते नमः।
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श्रीरामचरित फाड़ने वाले वही कार्यकर्ता जिन्हे हनुमान चालीसा और श्री गोस्वामी तुलसीदास जी याद है? वे रामचरित मानस के पन्ने फाड़कर आग में जला रहे है और बिखेरे हुए पन्नो को पैरो से आगे में बढ़ा रहे है। |
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