कमंडल बनाम मंडल की लड़ाई करवाने वाले बहरूपिये कौन? Kamandal vs Mandal Why is superstition visible only in Sanatan Dharma? Who are the impersonators wh
कमंडल बनाम मंडल की लड़ाई को समझने से पहले आपको कमंडल और मंडल शब्दों का अर्थ पता होना चाहिए जिसे मीडिया के भेष में छिपे कुछ बहरूपिये इन शब्दों का इस्तेमाल करते है। तो चलिए कमंडल और मंडल शब्द के रूप में छिपे कोड वर्ड को को समझने की कोशिश करते है कि इसका सम्बन्ध केवल सनातन धर्म को तोड़ने मात्र से है या इन शब्दों के भ्रम जाल में अन्य धर्म, पंथ या मज़हब भी आते है? -
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कमंडल (what is kamandal?) |
मंडल (what is mandal?) |
अर्थ |
यहाँ कमंडल से अर्थ उस भारत की जनता से लगाया जाता रहा है जो धार्मिक है, जो सनातन धर्म को मानते है। लेकिन बहरूपिये इस शब्द को कोडवर्ड के रूप में इस्तेमाल करते है। |
मंडल शब्द का कोई एक अर्थ नहीं है बल्कि बहरूपिये इस शब्द का इस्तेमाल भी कोडवर्ड की तरह इस्तेमाल करते है। और यह कई कोडवर्ड का समूह (मंडल, जैसे की तारामंडल) है। |
धर्म और अधर्म |
बहरूपिये इस शब्द को धर्म के कोडवर्ड के रूप में इस्तेमाल करते है। 1. ये बात ज्यादातर जानते होंगे की साधू संतो को कमंडल से पहचाना जाता रहा है। 2. कमंडल का सम्बन्ध भगवान् शिव से भी है जो इनकी आरती में आता है। 3. कमंडल से श्री ब्रह्मा जी और वामनावतार श्री हरि को भी पहचानते है। 4. कमंडल से सभी सनातनियों को पहचानते है, ऐसा कहे तो गलत नहीं होगा।
Another View : अब अगर कोई ये कहता है कि कमंडल की लड़ाई मंडल से है अर्थात कमंडल अर्थात सनातन धर्म और मंडल (अन्य धर्मो का समूह)। अर्थात इन शब्दों का अविष्कार किस सोच के साथ मीडिया, नेता, या लोगो ने किया है कभी उनकी प्रोफाइल को ध्यान से देखे तो पता चलेगा कि इन्हे कमंडल और मंडल को लड़वाने से फुरसत नहीं है। |
बहरूपिये इस शब्द को धर्म के खिलाफ कोडवर्ड के रूप में इस्तेमाल करते है। बहरूपिये इस कोडवर्ड के प्रयोग से मनुष्य जीव को उसके धर्म के खिलाफ भड़काते है - 1. जो मांस, मदिरा का सेवन करते है, जबकि वे भी सनातनी हो सकते है, क्युकी सनातन उनको भी स्वीकार करता है जो तंत्र साधना करते है या नास्तिक है। लेकिन उनको डराकर तोडा जाता रहा है। 2. सनातन धर्म हमेशा अधर्म (असत्य, चोरी, व्यभिचार इत्यादि ) के विरुद्ध रहा है जिस तरह से हर माता-पिता अपने बच्चे के लिए चिंतित होते है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह बच्चा अपने माता पिता को सिर्फ इसलिए ठुकरा दे की वे असत्य, चोरी, व्यभिचार इत्यादि करने से रोकते है।
Another View : सनातन धर्म (कमंडल ) अन्य धर्मो (मंडल ) से क्यों लड़ने लगा, सनातन धर्म कभी नहीं कहता है कि हमारे सिवा और कोई नहीं है बल्कि अन्य धर्मो के महापुरुषों और ज्ञानी लोगो को सम्मान देता है। जैसे कि - इस्लाम में कबीर, रहीम , सिक्ख धर्म में गुरुनानक, गुरु गोविन्द सिंह जी , बौध्द धर्म में गौतम बुध्द, क्रिस्टियन में यीशु मसीह, जैन में महावीर भगवन इत्यादि। |
कर्तव्य और अकर्तव्य
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1. ईमानदारी से पढ़ने वाला छात्र जो अपने कौशल से पद को प्राप्त करता है। 2. उस पद पर बैठने वाला अधिकारी जो व्यापार को ईमानदारी से करने देता है। 3. व्यापारी भी व्यापार करके ईमानदारी से GST भर देता है। 4. जनता भी ईमानदारी से टैक्स भरती है। 5. सत्ता उस धन का उपयोग 4/6 लेन रोड, 24 घंटे बिजली, 5G नेटवर्क, गरीबो को सहायता जैसे कौशल विकास, फ्री सिलेंडर, फ्री अनाज, बीमा, स्वास्थ्य बीमा इत्यादि देती है। |
1. जिसमे जनता रिश्वत देकर अपने काम करवाती है। 2. जिसमे अधिकारी जनता से रिश्वत लेकर काम करते है। 3. और वो ही अधिकारी उस पाप की कमाई को ऊपर सत्ता तक पहुंचाते है। 4. सत्ता उसी धन को अधर्मी, स्वार्थी, गरीब या मजबूर लोगो को सनातन धर्म में भेदभाव बताकर उनके धर्म से तोड़कर अधर्म में सम्मिलित करके उसी लूट का धन इनाम के रूप में वापस कर देते है। इस प्रकार बहरूपिये सनातनी लोगो को भ्रमित करके इनके धर्म से भटकाते है ताकि इन पर अपनी सत्ता जमा सके। |
क्षेत्र से -
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1. क्षेत्र में वो लोग आते है भले ही इन्होने कभी वेद, पुराण या शास्त्रों का अध्ययन न किया हो लेकिन ब्राह्मणों और साधुओं के संपर्क में रहने से इन्हे कई तरह की सामाजिक बातों का ज्ञान होता है। और ये जल्दी किसी के भड़कावे में नहीं आते है। 2. इसलिए ब्राह्मण हमेशा से सभी तरह के आक्रमणकारी, धर्म परिवर्तित लोग / बहरूपियों, देशद्रोही इत्यादियों के निशाने पर रहे है। |
1. ऐसा क्षेत्र जहाँ के लोग सनातन धर्म को तो मानते है लेकिन अपने हिसाब से। अपने हिसाब से अर्थ इतना है कि उनके भगवान् से प्रेम करने का अपना अपना तरीका है। प्रेम के लिए सनातन धर्म में कई परम्पराएँ, रीतियाँ, संस्कृति है। 2. बहरूपिये इन सीधे साधे वनवासीयो (जो वेद, पुराणों और शास्त्रों के अध्ययन से वंचित रह गये) को सनातन धर्म में आपस में लड़वाने का कार्य करते है। उनसे कहते है तुम मूल-निवासी हो। बाकी सब बाहर से आये है जबकि खुद किसी दूसरे देश के आक्रांताओं के वंशज है। |
जाति से -
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कमंडल के नाम से मैंने कोई जाति तो सुनी नहीं। लेकिन कोडवर्ड में बहरूपिये इसका अर्थ क्षत्रिय और ब्राह्मणों के रूप में करते है। |
मंडल के नाम से सनातन धर्म के लोगो की एक जाति है जिसे बहरूपियों ने सनातन धर्म के विरुद कुछ लोगो को भ्रमित कर रखा है, ताकि वे किसी अन्य धर्म में परिवर्तित हो जाए और उनका साथ देने लगे। बहरूपियों को सिर्फ सनातनी लोगो को ख़त्म करना है ताकि समाज से शिष्टाचार, धर्म, नैतिकता ख़त्म करके भारत को अफ़ग़ानिस्तान की तरह पहचान मिटाकर बना दे। लेकिन हमारे मंडल वनवासी सनातनी, ठीक वैसे ही धर्म युद्ध में डटे हुए है, जैसे रावण के बीच विभीषण। |
धोखे से -
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कुछ लोग कमंडल धारण करके धार्मिक लोगो के बीच इस प्रकार छुप कर रहते है जैसे कि कालनेमि राक्षस भेष बदलकर कमंडल लेकर श्री महावीर के बीच मार्ग में बैठा हुआ था। चूँकि श्री हनुमान जी अपने बल और बुद्धि के सागर है तो पहचान गए। अर्थात जातियों को छोड़कर धर्म के नाम पर एक जुट होने का समय है। इस बार अगर अयोध्या के रामलला के प्रति धर्म और कर्तव्य नहीं निभा पाए तो आगे क्या होगा इसके एक नहीं, इतिहास में हज़ारो ट्रेलर है। |
एक छोटा सा उदाहरण याद आ रहा कि जब 1947 में बटवारे के समय श्री राजेंद्र नाथ मंडल जो पाकिस्तान में बसना चाहते थे, क्युकी वे मंत्री बनना चाहते थे, वे जातिवाद के नाम पर सनातनियों को तोड़कर उसी टूटे हुए समूह के दम पर बने नेता थे। । उनको बहरूपियों ने पूरी तरह भ्रमित करके अपने सम्मोहन में सम्मोहित कर रखा था। वे अपने साथ करोड़ों सनातनियों को लेकर वहां गए सबको सपने दिखाए लेकिन वे सभी करोड़ों लोग सिर्फ वहां काफिर और मुहाजिर ही रहे। जिनमे से स्त्रियों को लुटते-लुटते देखते-रोते 90 प्रतिशत ख़त्म हो गए। अर्थात पूर्वजों की गलती पीढियों को भुगतनी पड़ती है ये चेतावनी शास्त्र और हमारे साधु-संत देते आये है। |
इस प्रकार से मेने एक टेबल के द्वारा समझने की कोशिश की, कि कैसे बहरूपिये कमंडल और मंडल को नहीं लड़वाते है (mandal vs kamandal) बल्कि सनातनियों को आपस में लड़वाते है।
आप ऊपर देखिए किस प्रकार से बहरूपिये इन कोडवर्ड (अज्ञान) का प्रयोग करते है।
- धर्म और अधर्म का ज्ञान न होना
- कर्तव्य और अकर्तव्य का ज्ञान न होना
- क्षेत्रवाजी के द्वारा केवल सनातनियों में ही घृणा फैलाना
- जातिवाद के द्वारा केवल सनातनियों में ही घृणा फैलाना
- धोखेवाजी के द्वारा मानवता की हत्या करना।
तो इस ब्लॉग में मैंने कमंडल और मंडल शब्द के रूप में छिपे कोडवर्ड को डिकोड करने की कोशिश की है। आपके हिसाब से और इन कोडवर्ड का मतलब क्या हो सकता है?
तो प्रश्न उठता है कि इन शब्दों के कोडवर्ड में निशाना केवल सनातन धर्म के लोग है या अन्य धर्म के?
हिन्दुओं को सावधान रहना होगा और mandal-kamandal politics से बचना होगा। क्युकी आखाड़े में सिर्फ हिन्दू होंगे जातियों के नाम पर और तमाशा देखने वाले अन्य होंगे। सावधान इसलिए भी रहना होगा क्युकी भारत के अलावा हिन्दूओ की अपनी ज़मीन बची भी नहीं है, जिसे वे अपना या अपने लोग कह सके। बहरूपिये छात्रों को Evolution of Mandal politics पढ़ाकर बचपन में ही सनातन धर्म के विरुध्द बीज डाल देते है, और रिश्वत लेकर बने अध्यापक उस बीज में पानी डालते है। ताकि वे हर आत्मा को परमात्मा के विरुद्ध कर सके।
स्पष्टीकरण - बहरूपिये हर धर्म या पंथ में होते है ये अपने शारीरिक या वैचारिक स्वार्थ के लिए अपने धर्म या किसी के भी धर्म को किसी भी स्तर तक गिरा सकते है।
डिस्क्लेमर -
1. यह एक ब्लॉग पोस्ट मात्रहै जो स्वयं के विचारो से उत्पन्न मनोभाव है। यहाँ मैंने किसी भी जाति, धर्म का अपमान नहीं किया है।
2. अगर किसी को कुछ भी बुरा आभास हुआ है तो क्षमाप्रार्थी हूँ। यहाँ इस्तेमाल वर्णो और जातियों के नाम सिर्फ उनको सम्मान देने के लिए किया है क्युकी हम एक ही भगवान् की संतान है। (वो एक है लेकिन उसके रूप अनंत है। हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहि सुनहि बहुबिधि सब संता)
3. गर्व से कहो कि हम सनातनी है। श्री हनुमान जी सभी सनातनियों पर कृपा करे, चाहे वे सनातनी मंडल हो या कमंडल, अभी तक वे सनातनी बच गए है इतना काफी है। । अधर्म का नाश हो और धर्म हमेशा विजयी हो।
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