जब से मोदी सरकार आयी तब से प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले लोगो के अच्छे दिन आये है क्युकी हालात इससे पहले ख़राब नहीं बल्कि कीचड जैसे थे, क...
जब से मोदी सरकार आयी तब से प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले लोगो के अच्छे दिन आये है क्युकी हालात इससे पहले ख़राब नहीं बल्कि कीचड जैसे थे, क्युकी कर्मचारी को परिवार पालने के लिए प्राइवेट कंपनियों और फैक्ट्रियो की मनमानी सहन करनी पड़ती थी। सारा काम नंबर 2 अर्थात बिना किसी पढ़ा लिखी के होता रहता था। इन्हे देखने वाला कोई नहीं था। फिर अचानक से हालात बदले और प्राइवेट कंपनी में काम करना अब उतना बुरा नहीं रहा। लेकिन जिनको आदत है चोरी की, वो क्या करे। उनका खाना हज़म नहीं होता इसलिए आज भी Unlawful Activities को करने के तरीके ढूढ़ते रहते है। और इन तरीको को बताने वाले भी वही है जो अकाउंटेंट या इसी लाइन के लोग है। आज या ब्लॉग उन्ही लोगो को समर्पित है जो वह कल्चर अपनाते है जिसमे गरीब और ज्यादा गरीब हो जाता है और कंपनियां और ज्यादा बड़ी बन जाती है।
आज के युग 2023 में प्राइवेट कंपनी या फैक्ट्री में काम करने में क्या बदलाव आया? (जितना मुझे पता है)
- अब प्राइवेट कंपनी कैश में सैलरी नहीं दे सकती।
- अब प्राइवेट कंपनी को Employee का ESI और PF भी देना अनिवार्य है।
- इससे भारत सरकार के पास कंपनियों के अधिकृत Employee का डाटा उन्हें मिल जाता है।
- ESI और PF को आधार से लिंक किया जा रहा है।
लेकिन अभी भी ऐसी बहुत सी कम्पनिया है जो इसका तोड़ ढूढ़ने में लगी हुयी है और ज्यादातर कंपनियों ने इसका तोड़ निकाल भी लिया है। अगर आपकी कंपनी भी ऐसा कर रही है तो आपको जॉब बदलना अत्यंत आवश्यक है नहीं तो आपके परिवार का जीवन अधर में लटक सकता है।
वो तोड़ क्या है आपको बता देते है ताकि आपको समझ में आये और गवर्नमेंट भी इसका कोई अन्य रास्ता निकाले, क्युकी भगवान् की कृपा से सरकार ईमानदार है तो उनसे आशाये और अपेक्षाएं है।
क्या कर रही है कंपनियां -
1. ऐसी लोगो को एम्लोई दिखाते है जो वर्किंग नहीं है उनके अकाउंट में मोटा पैसा सैलरी के रूप में डालती है, और कॅश में वापस ले लेती है, कुछ कमीशन छोड़कर।
क्यों करते है?
क्युकी फिर उसी कॅश पैसे से Daily Wages पर सस्ते वर्कर रखकर, कई गुना काम करवाती है। न छुट्टी देनी पड़ती है और न छुट्टी का पैसा, और न इन पर Minimum Wages का नियम लागु होता है। फिर ESI, PF, और ऑफिस का खर्चा बचता है। और कम्पनिया अपने प्रॉफिट को भी कम करके सरकार को दिखा देती है ताकि टैक्स न भरना पड़े, और इससे कंपनी को उनकी ग्रेच्युटी नहीं देनी पड़ती, और न वो क़ानूनी रूप से मांग सकते है।
नया रास्ता या तरीका क्या निकाला ?
हर दो या तीन साल बाद एक नयी Child कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाते है और फिर उन वर्किंग एम्प्लोयी को नए कर्मचारी के रूप में ट्रांसफर करते है जो लम्बे समय से काम कर रहे है और उनको भी जो वर्किंग नहीं है सिर्फ कमीशन के रूप में अपने अकाउंट में सैलरी डलवाते है।
2. सरकार की तरफ से PF और ESI अनिवार्य कर दिया जिसमे 900 के आस पास ESI का पैसा और 1800 PF का पैसा कंपनी को देना पड़ता है। लेकिन ये पैसा भी कुछ कंपनियां अपनी तरफ से देने को राजी नहीं है।
क्यों करते है?
कंपनी के अकाउंट से बिना रकम खर्च हुए वे सरकार को अपने अकाउंट में PF और ESI का expanse या खर्चा दिखा देते है।
नया रास्ता क्या निकाला ?
हर साल जो 5-10 प्रतिशत सैलरी बढ़ाते है उसे रोककर, उनसे कह दिया कि उसकी जगह हम आपका एक तरफ का ESI और PF भर रहे है, बाकि जो एम्प्लोयी का हिस्सा उसकी सैलरी से कटना चालू हो जाता है। इससे उनकी जीवन शैली और मुश्किल हो जाती है, और वे सरकार को कोसने लगते है ।
3. सरकार को दिखानी वाली सैलरी अलग और मिलने वाली अलग होती है, कैसे ?
नया रास्ता क्या निकाला ?
कंपनी एम्लोई का पैसा काटने के लिए कई हथकंडे अपनाती है जैसे लेट आने पर हाफ डे कट जाना, पूरे साल में सिर्फ 10-12 छुट्टी देना, और कोई CL या PL नहीं देना, 8 घंटे की जगह 10 घंटे की Working Hour करना।
ऐसे तरीको के लिए कंपनी एक नहीं बल्कि कई CA और कई जानकारों को हायर करती है। वे ट्रिक आकर बताते है। और रही बात लेबर इंस्पेक्टर की तो उसका नाम ज्यादातर कर्मचारियों ने सुना होता है, लेकिन उसे देखा कभी नहीं होता । शायद वे इनके साथ मिलकर काम करते हो, क्या पता।
जहाँ मोदी सरकार, नौकरी के working Hour को कम करना चाहती है, अर्थात शांतिवार और रविवार छुट्टी देकर, एम्प्लोयी की efficiency बढ़ाना चाहती है वहां इस प्रकार की कंपनियां किसी भी कर्मचारी का मनोबल तोड़ती है।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि आज 2023 में भी कोई वैश्य अर्थात व्यापारी शुद्रो का खून चूस रहा हो । शूद्र अर्थात एम्प्लोयी या कर्मचारी या धन के बदले सेवा देने वाला ।
विस्तार से समझे कि - शूद्र क्या है?
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डिस्क्लेमर - यह एक ब्लॉग पोस्ट है जो स्वयं के अनुभव के आधार पर है, किसी कंपनी का कोई डाटा, रिकॉर्ड या शिकायत नहीं है।
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