Ayaan lured a girl from another religion into his love trap and then beat the daughter so much that one eye got damaged. Put chilli on the wounds and
हमारे यहाँ हमेशा से वामपंथी इतिहास पढ़ाया जाता रहा है, जिन्होंने एक और इतिहास पढ़ाया ही नहीं अपितु रटाया कि - शूद्रों में निम्न और गरीब जातियों को शामिल करके उन्हें अछूत कहा जाने लगा. अछूतों को तालाबों, कुंओं, मंदिरों, शैक्षणिक संस्थाओं जैसे सार्वजनिक जगहों पर जाने से वंचित कर दिया गया था. मानवता को शर्मसार कर देने वाली परिस्थितियों के बीच दलितों, पिछड़ों और पीड़ितों के मुक्तिदाता और मसीहा बनकर अवतरित हुए. - सोर्स टीवी9 हिंदी
लेकिन इतिहास में से जब इतिहास ही गायब हो, जैसे की लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु, सुभाष चंद्र वोस की गुमनामी, और वीर सावरकर की देशभक्ति इत्यादि तो ऊपर बताई गयी कहानी सत्य कैसे हो सकती है? इस कहानी पर संदेह करना आवश्यक है।
अगर शूद्रों में निम्न और गरीब जातियों को शामिल करके उन्हें अछूत माना जाता होता तो शास्त्रों में ब्राह्मण को हमेशा गरीब बताया गया है, तो इनके हिसाब से शास्त्र गलत अर्थात सिर्फ माइथोलॉजी है? आज भी शादियों में हर जाति के लोग और उनका बनाया सामान बनाये बिना अनुष्ठान पूर्ण नहीं होता, ये कैसी छुआछूत है? क्या छुआछूत सिर्फ घर की डेहरी पर ही होती है, बाहर सब एक दूसरे का टिक्की, गोलगप्पे उड़ाते है, इस रहस्य को फिर किसी और दिन बतायूंगा।
Ayaan lured a girl from another religion into his love trap and then beat the daughter so much that one eye got damaged. Put chilli on the wounds and put Feviquik in the mouth and eyes to suppress his voice.
Bollywood and leftists in India did not hold any fast, no candle demonstrations of any kind. Although if the girl was of another religion then she would have said "I am ashamed"
Would have definitely stood with the poster.
तो क्या छुआछूत नहीं है ?
बिल्कुल है, ये हर देश में, और हर जगह है। लेकिन छुआछूत का रूप और रंग हर देश में अलग अलग है। इस देश में भी पहले कुछ और था, उसका इतिहास अंट शंट बताया गया है।
कैसे वो ऐसे,इस उदाहरण से समझे -
आप अपने घर में टॉयलेट से निकले, तो क्या आप अपवित्र है, क्या आपके साथ छुआछूत होनी चाहिए? अगर आप कहेंगे नहीं, तो क्या आप (चाहे किसी भी धर्म को मानने वाले हो) बिना हाथ पैर धोकर ही, धर्म पुस्तके, पूजा या इबादत का स्थान छुएंगे। नहीं न।
मान लीजिये इसी समय अगर आपकी माँ ने देख लिया वही मार-मार कर भूत बना देंगी।
फिर ठीक उसी समय आपके घर के बाहर खड़ा व्यक्ति हमको, हमारे धर्म के खिलाफ भड़कायेगा, कहेगा कि आपकी मां आपके साथ छुआछूत कर रही है। उसे छोड़ दो, मेरे साथ चलो, जो मर्ज़ी हो वो खायो, जिस स्त्री को चाहो उसे रखो, मन भर जाए तो छोड़ दो, दूसरी रख लो, ऐसी हज़ारो बातें बनाता है।
फिर उसकी बातों में आकर वह भर्मित मनुष्य अपना धर्म अर्थात कर्तव्य को भूल स्वयं अपना घर (सनातन धर्म) छोड़ देते है, और फिर जीवन पर्यन्त दुसरो को भी अपने भ्रम का शिकार बनाता रहता है।
खैर, यहाँ बात कर रहा था उस लड़की की, जिसके साथ फेवीक्विक वाली बर्बरता हुई । और ये फेवीक्विक वाली बर्बरता क्यों हुई और इसके दोषी वही है जो दुसरो को भी अपने भ्रम का शिकार बनाते है।
ये भ्रम होते है जैसे कि -
- सनातन धर्म में छुआछूत है, ये सिर्फ ब्रह्मणो और क्षत्रियों का बनाया धर्म है।
- सनातनी लोग आर्य थे, जो दूसरे गृह से हम दलितों अर्थात मूल निवासियों को अपना गुलाम बनाकर रखने लगे, और उन्हें सूद्र कहने लगे ।
- इसी प्रकार से ये नीले कपटी कालनेमि प्रेत भोले भाले सनातनियों को कभी बाबा साहेब अम्बेडकर, कभी मूल निवासियों वाली कहानी, कभी छुआछूत, कभी गरीबी, कभी जाति, कभी आरक्षित कार्य इत्यादि का नाम लेकर अपने भ्रम का शिकार बनाते है।
नोट - जबकि सत्य यह है कि -
आज पूरा भारत जिसमे ब्राह्मण और ठाकुर भी शामिल है वे बाबा साहेब अम्बेडकर का उतना ही सम्मान करते है, जितना अन्य। क्युकी सविंधान सभा में बाबा साहेब अम्बेडकर को समर्थन देने वालों में सभी जाति, और वर्ग के लोग थे, हमारे पूर्वजो ने इसी हमारी एकता के लिए स्वीकार किया था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इन नीले कपटी कालनेमि प्रेतों ने सभी का आरक्षण छीन लिया, जो वैदिक समय से मिला हुआ था, जैसे की बढ़ई का लड़का बढ़ई, सुनार का सुनार इत्यादि। जिसमे उनको अपने भविष्य की पीढ़ी के लिए काम की चिंता नहीं थी। जन्मजात आरक्षण मिला हुआ था। अब आज के समय वे अपना काम छोड़कर नौकरी कर रहे है। लेकिन वे ये नहीं बताते है कि नौकरी शब्द का अर्थ ही शूद्र अर्थात काम करने वाला होता है।
कितने आश्चर्य की बात है कि हमारे दलितों से उनका काम धंधा छीन लिया और उस काम धंधे प्रति नफरत पैदा कर दी। लेकिन वही काम आज अन्य धर्मो के लोग गर्व से कर रहे है, और नौकरी वालो से अच्छा जीवन जी रहे है। इसी प्रकार से ये नीले सांप भोले भाले सनातनियों को कभी बाबा साहेब अम्बेडकर, कभी मूल निवासियों वाली कहानी, कभी छुआछूत, कभी गरीबी, कभी जाति, कभी आरक्षित कार्य इत्यादि का नाम लेकर अपने भ्रम का शिकार बनाते रहते है। जिसका सिर्फ एक लक्ष्य है अपने कुल के देवी देवता को छोड़ दो।
किन्तु आज हर सनातनी व्यक्ति को उस लड़की और लड़कों के साथ खड़ा होना चाहिए, जो अपने ज्ञान, अपने कुल के देवी देवता से दूर है, चाहे वे किसी भी जाति के हो, वासी हो या आदिवासी, वे सनातन धर्म का खून है, हमारे देवी देवता कही न कही एक दूसरे से शक्ति लेते है, शक्तियां चाहे निम्न कोटि की हो या उच्च कोटि की, है तो सभी माता पार्वती और भोलेनाथ की संतान ही।
क्युकी पुलिस का कहना है कि लड़की के साथ अयान पठान ने 17 अप्रैल की रात हैवानियत की. अयान ने अन्य धर्म की लड़की को बहलाफुसलाकर प्रेमजाल में फंसाया फिर उस बेटी को इतना पीटा कि एक आंख खराब हो गई है। जख्मों पर मिर्च डाली और उसकी आवाज को दबाने के लिए मुंह और आंख में फेवीक्विक लगा दिया। उसने बुरी तरह पीटा और फिर मुंह में मिर्च पाउडर भरकर फेवीक्विक से होंठ चिपका दिए। अगर उस लड़की के कुल के देवी-देवता साथ होते तो इस हद तक भ्रमित नहीं होती, कही न कही, कभी न कभी विवेक अवश्य जागता।
इसलिए मैं तो खड़ा हूँ उस बहन के साथ, और उसी के समर्थन के लिए ये ब्लॉग पोस्ट डाली है।और सरकार से प्रार्थना करता हूँ कि अपराधी को सविंधान के अनुसार कड़े से कड़ा दंड मिले। एक प्रार्थना भगवान् से यह भी प्रार्थना करता हूँ कि उस बहन की अज्ञानता के कारण भ्रम का शिकार बनाने वाले चमगादड़ो का समूल नाश करे, बचे हुए को पाताल लोक में भेजकर इस पृथ्वी को अज्ञानता से मुक्ति प्रदान करे।
और आप भी दलितों के मसीहा, पत्रकार, वकील जो भी मिले जो दुसरो को भ्रमित करते रहते है, जिनका उदेश्य सिर्फ आपके कुल के देवी देवताओं की पूजा को बंद करवाना है। उनसे अवश्य पूछे कि - फेवीक्विक वाली बर्बरता पर आपने क्या किया? कोई अनशन, कोई मोमबत्ती क्यों नहीं ? क्या वास्तव में सनातनियों की ज़िंदगी मलेरियां के मच्छरों की भांति ही है?
डिस्क्लेमर - यह एक ब्लॉग पोस्ट मात्र है, जो स्वयं के भाव पर आधारित है। अगर कोई लाइन या शब्द किसी को किंचित मात्र भी बुरी लगी है तो कमेंट में उस शब्द व् लाइन को लिखे, और बुरा लगने का कारण।
मैं आदर सहित, क्षमा मांगकर उसे हटा लूंगा। यह सिर्फ स्वयं के भाव मात्र है। यहाँ दलित शब्द का अर्थ जाति विशेष नहीं बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर अर्थात गरीब है, जो आज हर धर्म में है।
हे माता पार्वती और भोलेनाथ, आप सभी सनातनी निम्न कोटि की शक्तियाँ , या उच्च कोटि की, उनका और उनके वंशजो का कल्याण करे . ॐ नमः शिवाय। श्री सीताराम
COMMENTS