Opportunity in the Disaster - जिनके अंदर भूत, प्रेत, पिसाच, निसाचर, अग्नि वैताल, कालनेमि, बैठकर भक्त शब्द को निन्दित शब्द बनाने का प्रयत्न कर रहे है
यह बात मैंने नहीं बल्कि कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने आपदा में अवसर को देखते हुए कही है, और इसे आजतक न्यूज़ के माध्यम से मुझे पता चला। क्या यह भारत में रहने वाले सनातन धर्मो के लिए खतरे की घंटी या सीधी चेतावनी है? चलिए मैं इस बात पर क्या सोचता हूँ What I Think के माध्यम से वह आपको बताता हूँ।
मैं भारत में प्रकट हुए पंथ (गुरु का बताया रास्ता) जैसे कि जैन धर्म, बौध्द धर्म, सिख धर्म अर्थात ऐसे धर्म जो भारत की पृथ्वी पर प्रकट हुए है उन्हें मैं सनातन धर्म ही कहता हूँ क्युकी वे सत्य को मानने, जानने, शांति दया और क्षमा की बात करते है।
इन पंथो के अलावा बचे हुए हम जैसे लोगों को विदेशी लोग हिन्दू कहते है। अन्य विदेशी धर्मो के बारे में ज्यादा जानता नहीं तो उन पर कोई कमेंट नहीं करूँगा।
मुझे आज आभास हुआ कि यह वास्तव में भारत में रहने वाले सनातन धर्मो के लिए ये सीधी चेतावनी है क्युकि -
बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन लोकतंत्र बचाने के लिए नहीं बल्कि लोकतंत्र ख़त्म करके वहां से अन्य धर्मो और पंथो के घरों को लूटना, आग लगाना, बलात्कार, मंदिर तोडना ही था।
लेकिन भारत के कुछ चिढ़े हुए पत्रकार, YouTuber और सोशल मीडिया पर रील बनाने वाले तर्कवादी, बौद्धिक भर्मित वैज्ञानिक उन्हें छात्रों का प्रदर्शन कह रहे है। वे कितने खुश है, भारत के लोगो से कितने अच्छे है, ऐसी पोस्ट सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनल पर प्रसारित कर रहे है। अब आप कहेंगे कि चिढ़े हुए लोग क्या है तो उसे आप विकिपीडिया इस पेज के अंत में पढ़ सकते है।
लगता है ऐसे लोगो की याददाश्त बहुत कमजोर है, इसलिए इन्हे याद दिला दूँ -
जोगिन्दर नाथ मंडल सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए करोडो सनातन धर्म के लोगो को अपने साथ लेकर पाकिस्तान और बांग्लादेश गए, क्युकी इसके बदले में उन्हें पाकिस्तान के मंत्री मंडल में जगह मिली थी। (पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश एक ही थे)
सीधी सी बात है उन करोडो लोगो ने जातिवाद, ठाकुरवाद, ब्राह्मणवाद की मनोहर कहानियाँ सुन-सुन कर बटवारे का समर्थन भी किया होगा, अंग्रेजो की तरफ से सैनिक बनकर अपने ही लोगो से लड़ाई भी की होगी।
और स्वयं देखो कि कैसे आज जोगिन्दरनाथ मंडल और उनके साथ गए या उनकी सोच को समर्थन करने वाले लोगो के साथ, झिंगालाला हो रहा है। लेकिन इन भ्रमित अर्थात तर्कवादी, बौद्धिक लोगों के कुकर्मो की वजह से वहां के आदिवासी, मूलनिवासी, भोलेभाले दलित अर्थात गरीब सनातन धर्म के लोग भी दंगा और अपमान सह रहे है।
वे अपनी आँखों के सामने अपनी पीढियों को ख़त्म होते अर्थात अपनी बहु-बेटियों का अपहरण होते हुए देख रहे है, लेकिन कुछ भी नहीं कर पा रहे क्युकी उनके शरीर उनके पूर्वजो के द्वारा चुने गए अधर्म से बंधित है।
अगर उस समय उन्होंने अधर्म का प्रतिकार किया होता, कम से कम आत्मरक्षा ही की होती तो उनकी पीढ़ी को यह सब नहीं देखना पड़ता। क्युकी पराधीन रहने से अच्छा होता है आत्मरक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त करना।
बचने का मार्ग क्या है ?
शरणागति !
बस आप श्रीराम चंद्र भगवान की शरणागति लेकर हर रोज़ श्री हनुमान चालीसा हाथ में जल और पुष्प लेकर संकल्प लेकर पढ़े और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करे।
अगर हालात बदतर है तो श्रीबजरंगबाण हाथ में जल और पुष्प लेकर संकल्प लेकर पढ़े और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करे।
कुछ दिनों में आप न केवल आत्मरक्षा कर पाएंगे, बल्कि दुसरो की रक्षा करने के लिए भी आपके अंदर सामर्थ्य होगा।
सबसे बड़ी बात आप उस भ्रम से पूरी तरह मुक्त होते है, और उन लोगो को पहचान जाते है जिनके अंदर भूत, प्रेत, पिसाच, निसाचर, अग्नि वैताल, कालनेमि, मारीमर बैठकर भक्त शब्द को निन्दित शब्द बनाने का प्रयत्न कर रहे है।
तो फिर सनातन धर्म के अन्य पंथ क्या करे?
वे अपने गुरु के ज्ञान को हर रोज नियम से किताब को हाथ में लेकर पढ़े या सुने। वे भी मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। और आत्मरक्षा को अपना पहला धर्म या पहला कर्तव्य समझे।
नोट : सनातन धर्म में भेदभाव, जातिवाद है या नहीं इसका साक्षात् अनुभव शरणागति लेकर देखे, हो सकता है आप अपने पूर्वजो की गलती सुधारकर, उनके भगीरथ की तरह उद्धार के भागी बन जाए। क्युकी जिस पीढ़ी में साधक पैदा होता है, वह अपने सात पीढ़ियों का उद्धार अर्थात मुक्त कर देता है।
लेकिन बस ध्यान रहे, शरणागति अर्थात तन, मन से पूरी तरह से शरणागति, और शास्त्र के ज्ञान को निरंतर सुनना या पढ़ना।
डिस्क्लेमर - यह लेख मेरी स्वयं की जानकारी पर आधारित है, अगर कुछ भी गलत लिखा हो तो सिर्फ अज्ञानता मात्र है, इसका किसी से, किसी भी प्रकार का सम्बन्ध नहीं है।
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