गोदी मीडिया का एक और कारनामा- मीडिया में विदेशी ताकतें अपना पैसा लगाकर किसी देश के लोगो को भ्रमित करके वहां की सत्ता परिवर्तन में दखल दे सकते है
लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तंभ कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य है जनता तक सही और निष्पक्ष जानकारी पहुँचाना, ताकि लोग अपने निर्णय खुद ले सकें। लेकिन समय के साथ मीडिया के अलग-अलग रूप सामने आए हैं। क्योंकि मीडिया में भी विदेशी ताकतें अपना पैसा लगाकर किसी देश के लोगो को भ्रमित करके वहां की सत्ता परिवर्तन में दखल दे सकते है, अर्थात ऐसे लोग दूर से दिखने में आज़ाद होते है लेकिन उन्हें ऐसी छिपी हुयी शक्तियों के द्वारा प्रभावित किया जाता है। तो गोदी मीडिया और अन्य मीडिया को मै क्या समझता हूँ अर्थात what i think के आज के ब्लॉग में आज उनके बारे में बताऊंगा जो सबके बारे में बताते है।
सत्यवादी मीडिया: देशहित के लिए सत्य की खोज करने वाला
यह वह मीडिया होता है जो किसी नेता द्वारा कही बात को बताता है, और उसके पीछे छिपे हुए सत्य और असत्य को प्रमाण के साथ बताता है। इनके लिए राष्ट्रहित ही सबसे बड़ा हित होता है, बिज़नेस दूसरे नंबर पर होता है। ये लोकतंत्र में चौथे स्तंभ की भूमिका अदा करते है। ये अपने सत्य अर्थात धर्म और कर्तव्य का पालन करने वाले होते है।
उदाहरण रिपोर्टिंग:
मान लीजिए किसी नेता ने कहा कि “हमारे राज्य में 1 लाख नई नौकरियाँ दी गईं।”
सत्यवादी मीडिया क्या करेगा? – वह सरकारी रिपोर्ट, आँकड़े और स्वतंत्र सर्वे दिखाकर बताएगा कि वास्तव में कितनी नौकरियाँ बनीं।
अगर दावा सच है तो जनता को भरोसा मिलेगा, और अगर गलत है तो सच सामने लाएगा।
उदाहरण रिपोर्टिंग:
“नेता जी ने आरोप लगाया है कि वोट चोरी हुई, लेकिन चुनाव आयोग की जाँच में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला। अदालत ने भी मामले को खारिज किया है। इसलिए यह बयान जनता और देश के साथ धोखा माना जा सकता है।”
निष्कर्ष: यह मीडिया जनता को तथ्यात्मक जानकारी देता है, जिससे वे खुद तय कर सकें कि आरोप में कितना दम है।
अवसरवादी मीडिया: न्यूज़ एंकर नहीं, बस न्यूज़ टेप रिकॉर्डर -
यह वह मीडिया होता है जो किसी नेता द्वारा कहे हुए सत्य और असत्य भाषण को ज्यो का त्यों दिखा देता है। इनके अनुसार मीडिया का मतलब सिर्फ समाचार बताना होता है, उसके पीछे सत्य और असत्य से कोई मतलब नहीं होता। इनका सबसे बड़ा हित बिज़नेस होता है।
उदाहरण रिपोर्टिंग:
मान लीजिए वही नेता कहता है – “हमने 1 लाख नौकरियाँ दी।”
अवसरवादी मीडिया इस बयान को सीधे दिखा देगा → “मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 लाख नौकरियाँ दी गईं।”
निष्कर्ष: न सत्यापन, न आँकड़े, न सवाल। बस खबर सुना दी और आगे बढ़ गए।
उदाहरण रिपोर्टिंग:
“नेता जी ने कहा है कि सरकार वोट चोरी करती है। आइए सुनते हैं उनका पूरा भाषण…”
कोई विश्लेषण नहीं
कोई सत्यापन नहीं
कोई पृष्ठभूमि नहीं
सिर्फ बयान को दिखाना, ताकि टीआरपी मिले
निष्कर्ष: यह मीडिया दर्शकों को सूचना तो देता है, लेकिन उन्हें सोचने या समझने का अवसर नहीं देता।
गोदी मीडिया: विचारधारा की गोद में बैठा पत्रकार -
गोदी मीडिया के अनुसार सिर्फ अपनी विचारधारा के अनुसार समाचार प्रकाशित करते है, जैसे कि अगर इनकी विचारधारा की सरकार है तो बुराई को भी अच्छी बताने का प्रयत्न करते है। और अगर इनके विचारधारा की सरकार नहीं है तो सिर्फ सरकार की हर समाचार में किसी न किसी बहाने से सरकार को बुरा बताने का प्रयत्न करते है, और स्वयं सत्यवादी मीडिया को गोदी मीडिया का नाम देकर लोगो को भर्मित बनाये रखने का प्रयत्न करते है।
इनका सबसे बड़ा हित बिज़नेस के साथ साथ भ्रष्टाचार में भी साथ देना होता है।
उदाहरण रिपोर्टिंग :
मान लीजिए सरकार ने 1 लाख नौकरियाँ देने का दावा किया लेकिन असल में सिर्फ़ 10 हज़ार ही बनीं।
गोदी मीडिया (अगर सरकार अपनी विचारधारा की है) → तो कहेगा “इतिहास में पहली बार इतनी नौकरियाँ बनीं, यह सरकार युवाओं के लिए मसीहा है।”
वही गोदी मीडिया (अगर सरकार विरोधी विचारधारा की है) → तो कहेगा “सरकार ने जनता को धोखा दिया, ये सिर्फ़ दिखावटी नौकरियाँ हैं।” चाहे सरकारी आकंड़े उपस्थित हो, लेकिन उन्हें न बताकर, आप स्वयं सोचिये, आप समझिये, उनको मत देखिये और केवल इन्हे देखिये आदि आदि बाते बनाते है।
उदाहरण रिपोर्टिंग:
(सरकार अपनी विचारधारा की) → “विपक्ष चुनाव हार गया, अब हार का ठीकरा सरकार पर फोड़ रहा है। ये बयान पूरी तरह झूठा है।”
(सरकार विरोधी विचारधारा की) → “इतिहास में पहली बार लोकतंत्र इस हद तक खतरे में है। सरकार वोट चोरी कर रही है।”
निष्कर्ष: गोदी मीडिया बयान को अपनी विचारधारा के अनुसार मोड़ देता है, जिससे जनता भ्रमित हो सकती है।
अर्थात सच को तोड़-मरोड़कर अपनी तरफ़ से पेश करना ही गोदी मीडिया का तरीका है। और ज्यादातर समाचारों में स्वयं सत्य को छुपाकर जनता को अलग दिशा देने का प्रयत्न करते है, जैसे कि - आप स्वयं सोचिये, आप मानकर चलिए, आदि आदि प्रकार से मनगढंत भविष्य का डर दिखाना
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असर |
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लोकतंत्र के लिए |
गोदी मीडिया का एक और कारनामा -
मेरे इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आपकी बुद्दिमता का लेवल कितना भी हो, लेकिन फिर समाचार सतर्क होकर ही सुनेगे, पढ़ेंगे और देखेंगे।
आपके क्या विचार कमेंट करके बताये।
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