Free‑to‑Air Channels और Cable Operators की असली कहानी

नए TRAI नियमों के तहत Free‑to‑Air चैनलों पर भी NCF लागू है। जानिए कैसे इससे DTH और Cable TV की लागत बढ़ी, और क्यों दर्शक OTT की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।

आज फिर से खबर देखी कि केबल टीवी और DTH की ग्रोथ इस साल भी नीचे ही जा रही है तो अब आज क्या सोचता हूँ उसे बताता हूँ। 

नए नियमों के तहत अब Free‑to‑Air (FTA) चैनलों के लिए भी Network Capacity Fee (NCF) लिया जा रहा है। इसका मतलब है कि दर्शकों को पहले की तरह “पूरी तरह मुफ्त” अनुभव नहीं मिल रहा, और इससे DTH व Cable TV की लागत बढ़ गई है। 

इस बदलाव से पहले भी ज्यादातर DTH और केबल टीवी अपने ग्राहकों को सिर्फ 99 रुपये महीने में ही ज्यादातर फ्री-टू-एयर चैनल्स और कुछ पे चैनल्स ऑफर कर रहे थे, लेकिन वही सब आज 150 से ऊपर के दाम पर मिलता है।  

NCF (Network Capacity Fee) -

यह वह शुल्क है जो DTH/Cable ऑपरेटर हर ग्राहक से लेते हैं ताकि नेटवर्क की क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च निकाला जा सके। लेकिन यह बहुत ही ज्यादा है क्युकी इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्चा एक बार होता है, बार बार नहीं। 

लेकिन हाल ही में जो digitization हुआ उससे उनकी कॉस्ट बहुत ज्यादा बढ़ी है। क्युकी जिन नेटवर्क्स  नेट Headend लगाया है उनका काफी खर्चा हुआ है। लेकिन अब वे बड़े नेटवर्क छोटे छोटे केबल ऑपरेटर्स को लाइन देकर अपनी कॉस्ट निकालने में लगे है। 

इससे पहले FTA चैनल देखने के लिए केवल NCF का बेसिक शुल्क लगता था, लेकिन अब FTA चैनलों पर भी NCF लागू है। यानी चाहे आप केवल मुफ्त चैनल देखें, फिर भी 100 रुपये से ज्यादा का NCF देना पड़ेगा

TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) ने अप्रैल 2025 में जारी FAQ में साफ किया है कि NCF सभी चैनलों पर लागू है, चाहे वे Pay हों या FTA

चुनौतियाँ  -

पहले ज्यादातर केबल टीवी और DTH ऑपरेटर्स नए नए FTA चैनल्स को स्वयं जोड़ते थे ताकि ग्राहकों को अपने बेसिक पैक में  ज्यादा चैनल्स होने का ऑफर दिया जा सके।

अब यही खेल उल्टा हो चुका है, अब ज्यादातर DTH और केबल टीवी उन्ही फ्री-टू-एयर चैनल्स को अपने प्लेटफार्म पर रखते है, जो समय से carrige फीस चुकाते है। जो नहीं चुकाते उन्हें हटा दिया जाता है। जिससे फ्री-टू-एयर चैनल्स भी आसानी से सर्वाइव नहीं कर पा रहे है।    

OTT की वजह मिडिल क्लास या उससे ऊपर का व्यूअर जिसके पास अनलिमिटेड इंटरनेट का कनेक्शन है, वह OTT पर शिफ्ट हो रहा है। क्युकी जितने पैसे में आज केबल टीवी या DTH का कनेक्शन मिलता है, उससे थोड़े से ज्यादा पैसे दो तो पूरे घर के लिए अनलिमिटेड इंटरनेट, फ्री इंटरनेट टीवी चैनल्स, यूट्यूब से बिल्कुल नया कंटेंट, और OTT जैसी सुविधा मिल जाती है। 

हालाँकि जहाँ अनलिमिटेड इंटरनेट नहीं है, वहां OTT पूरी तरह से फ़ैल है, क्युकी कोई 2 GB का डाटा OTT पर बर्बाद नहीं करेगा, उसे वह नयी नयी रील्स देखने में खर्च करना ज्यादा अच्छा मानता है। बाकी के आजकल ऐसे क्षेत्रो में  फ्री-टू-एयर टीवी चैनल्स देखने का सबसे सस्ता और आसान माध्यम है प्रसार भारती की डीडी फ्री डिश सर्विस।

इसलिए आजकल ज्यादातर केबल ऑपरेटर्स अब इंटरनेट ऑपरेटर्स के रूप में बदल रहे है। इंटरनेट का कनेक्शन लो, और इंटरनेट के माध्यम से फ्री FAST और फ्री-टू-एयर चैनल्स लो। आज में खुद ऐसा एंड्राइड बॉक्स बनाकर देता हूँ उन ऑपरेटर्स को, जिन्हे वे इंटरनेट कनेक्शन के साथ फ्री में बांटते है, उनके लिए टीवी लांचर, लॉक सिस्टम, ऑनलाइन अपग्रेड इत्यादि करके देता हूँ और मैं इस लाइन में तब से (1998) हूँ, जब में अपने एनालॉग रिसीवर से रेडियो की तरह फ्री-टू-एयर चैनल्स को देखता था।  

तो जिन चैनल्स ने ड्रामा करके NCF लगवाया था, और वो भी उस समय लगवाया था जब केबल ऑपरेटरस ने बहुत ज्यादा पैसा मार्किट से उठाकर हेडएंड में इन्वेस्ट किया था,  अब उन चैनल्स के Viewers और विज्ञापन सीधे सीधे यूट्यूब पर जा रहे है।

नए TRAI नियमों के तहत Free‑to‑Air चैनलों पर भी NCF लागू है। जानिए कैसे इससे DTH और Cable TV की लागत बढ़ी, और क्यों दर्शक OTT की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।

लेकिन उन्हें आज AC वाले रूम में बैठकर लगता है कि डीडी फ्रीडिश की वजह से केबल टीवी और DTH की ग्रोथ हर साल गिर रही है तो वे सही मायने में अपने कस्टमर को जानते ही नहीं है। 

खैर, अपनी-अपनी ढपली और अपना-अपना राग। बजाओ, गाओ और नाचो। 

हालाँकि इस बारे में मैंने एक पोस्ट 2018 में भी लिखी थी, और कुछ भविष्यवाणियाँ की थी, आज वे मेरी बातें ज्यादातर सही सावित हुयी है। 

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